Ismail Haniyeh: ईरान इतना साधारण मुल्क भी नहीं कि इजरायल इस तरह घुसकर किसी ऐसे महत्वपूर्ण टारगेट को मार सके. वो भी तब जब इस्माइल हानिया ईरान के नव नियुक्त राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए ईरान पहुंचा था.
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West Asia Conflict: 7 अक्टूबर को जब हमास ने इजरायल पर हमला कर 1200 लोगों को मौत के घाट उतार दिया तो एक वीडियो बहुत वायरल हुआ. वो वीडियो हमास के राजनीतिक विंग के मुखिया इस्माइल हनियेह का था. 2019 से कतर की राजधानी दोहा में रहता था. हमास के कत्लेआम के बाद वो उस वीडियो में बहुत खुश नजर आ रहा था. वो अपने साथियों के साथ टीवी पर उस पूरे घटनाक्रम को देख रहा था और उसके बाद उसने हमास की सफलता के लिए अपने साथियों के साथ दुआ भी पढ़ी. हालांकि वो हमास का अंतरराष्ट्रीय चेहरा था. फलस्तीन का प्रधानमंत्री रह चुका था. उसकी पार्टी हमास और फलस्तीन अथॉरिटी के राष्ट्रपति अहमद अब्बास की पार्टी फतेह के बीच बातचीत की मुख्य कड़ी था. यदि हमास का कंट्रोल गाजा पर है तो उसी तरह फतेह का कब्जा वेस्ट बैंक पर है. अमेरिका, अहमद अब्बास को मान्यता देता है लेकिन हमास को आतंकवादी संगठन कहता था.
हमास के हमले से प्रतिशोध की आग में सुलग रहे इजरायल ने कसम खाई था कि वो इसके हर एक नेता को धरती से खुरच के मिटा देगा. नतीजतन इसी साल 10 अप्रैल को हानिया के 3 बेटे 5 पोते-पोतियों समेत आठ लोगों को मार दिया गया. उसके बाद अब ईरान में 150 कमांडो का पहरा भेद हमास चीफ को 10 सेकंड में मार दिया गया. ईरान की सरजमीं पर किसी बड़े फलस्तीन नेता की हत्या की ये पहली घटना है. बात भी यहीं से शुरू होती है क्योंकि ईरान इतना साधारण मुल्क भी नहीं कि इजरायल इस तरह घुसकर किसी ऐसे महत्वपूर्ण टारगेट को मार सके. वो भी तब जब हानिया ईरान के नव नियुक्त राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए ईरान पहुंचा था. ये रहस्य तब और भी गहरा जाता है जब इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हानिया की मौत पर चुप्पी साधते हुए कोई सीधी टिप्पणी नहीं की. बस इतना कहा कि यदि इजरायल पर बदले की कार्रवाई यदि कोई करता है तो उसको जवाब दिया जाएगा. उन्होंने अपने नागरिकों से इतना जरूर कहा कि आने वाले दिन कठिनाई भरे हो सकते हैं.
बीजिंग में बैठक
ये सही है कि इजरायल की हिट लिस्ट में हानिया शामिल था. लेकिन उसकी मौत की टाइमिंग से सबसे बड़ा सवाल उठता है कि इससे सीधा फायदा किसका होगा? ये सवाल इसलिए अहम है क्योंकि अभी पिछले हफ्ते ही बीजिंग में फलस्तीन के 14 ग्रुपों की एक मीटिंग हुई थी. उसमें हमास, फतेह, फलस्तीन इस्लामिक जिहाद समेत 14 ग्रुपों ने शिरकत करते हुए गाजा पर एक राष्ट्रीय सरकार के गठन पर सहमति जताई थी. अतीत के तमाम मतभेदों को भुलाते हुए हमास और फतेह का एक साथ इस तरह एक मंच पर आना फलस्तीन के लिए तो शुभ संकेत माना जा रहा था लेकिन कई स्टेकहोल्डरों को ये बात सही नहीं लगी. गाजा को कंट्रोल करने वाली हमास की मिलिट्री विंग आज के दौर में हानिया की जगह ईरान के ज्यादा करीब थी. ईरान के प्रॉक्सी हिजबुल्ला उसको हर तरह की मदद और सप्लाई दे रहा था. रणनीतिक रूप से अस्थिर गाजा, ईरान के लिए ज्यादा मुफीद है क्योंकि इससे वो इजरायल पर दबाव बनाने की रणनीति बनाने में सक्षम है और इस बहाने हिजबुल्ला के माध्यम से पश्चिम एशिया में अपना दबदबा बनाए रखना चाहता है. इसलिए ही सवाल उठता है कि क्या हानिया की हत्या इसी उठापटक का नतीजा है.ये इसलिए भी अहम है क्योंकि बीजिंग में मौजूद फलस्तीन इस्लामिक जिहाद का नेता जिहाद-अल-नखाला उसी हाई-सिक्योरिटी बिल्डिंग में मौजूद था जहां हानिया की हत्या हुई लेकिन उसको टच तक नहीं किया गया.
ये सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि हानिया की हत्या ऐसे वक्त पर हुई है जब लेबनान के ईरान समर्थित हिजबुल्ला ने उत्तरी इजरायल में हमला कर दिया और 12 बच्चे मारे गए. उसके जवाब में हिजबुल्ला के टॉप कमांडर को दक्षिणी बेरूत में मार दिया. हिजबुल्ला कमांडर की मौत और हानिया की हत्या अलग अलग मुल्कों में कुछ ही घंटे के अंतर पर हुई. अब इन हत्याओं के बाद ईरान ने इजरायल से बदला लेने की धमकी दी है. लिहाजा ऐसे कठिन वक्त में यदि इजरायल और हिजबुल्ला के बीच सीधी जंग हो गई तो उसके स्केल के मुकाबले गाजा में महीनों से चल रहा टकराव छोटा दिखने लगेगा. मौजूदा परिस्थितयों और हर सियासी एक्टर के अलग अलग चेहरों को देखकर लगता है कि इस वक्त पश्चिम एशिया बारूद के ढेर पर बैठा है.