Indian Border Tourism: भारतीय सेना और पर्यटन मंत्रालय ने मिलकर भारत रणभूमि दर्शन नामक एक पहल शुरू की है. इनमें वे इलाके हैं जहां देश की सुरक्षा और गौरव की गाथाएं लिखी गई हैं. आइए इसके बारे में विस्तार से समझते हैं.
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Bharat Ranbhoomi Darshan: वैसे तो बॉर्डर पर हर समय सुरक्षा एजेंसियां मुस्तैद रहती हैं, लेकिन इन सबके बीच अब बॉर्डर टूरिज्म की दिशा में एक नया अध्याय जुड़ने वाला है. भारत कुछ के सीमांत इलाकों को पर्यटकों के लिए खोला जा रहा है. ये वे इलाके हैं जहां देश की सुरक्षा और गौरव की गाथाएं लिखी गई हैं. भारतीय सेना और पर्यटन मंत्रालय ने मिलकर 'भारत रणभूमि दर्शन' नामक एक पहल शुरू की है. इसमें 77 प्रमुख युद्धक्षेत्रों और सीमावर्ती स्थलों को पर्यटन मानचित्र पर लाने का लक्ष्य रखा गया है. यह पहल 15 जनवरी को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा 77वें सेना दिवस के अवसर पर शुरू की जाएगी.
दरअसल, इस पहल के तहत 2020 में भारत-चीन संघर्ष का गवाह बनी गलवान घाटी और 2017 में भारत-चीन के बीच तनावपूर्ण गतिरोध वाली जगह डोकलाम अब पर्यटकों के लिए ऐतिहासिक और शैक्षणिक अनुभव का केंद्र बनेंगे. इसके साथ ही, द्रास, कारगिल, सियाचिन बेस कैंप लद्दाख, लोंगेवाला राजस्थान और अरुणाचल प्रदेश के बुम ला और किबिथू जैसे स्थान भी इस सूची में शामिल हैं. ये स्थल भारतीय सेना के पराक्रम और देशभक्ति की कहानियों को जीवंत करेंगे.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक 'भारत रणभूमि दर्शन' के लिए एक समर्पित वेबसाइट बनाई गई है. इस पर पर्यटकों को इन स्थलों की ऐतिहासिक जानकारी, यात्रा योजना, और आवश्यक परमिट प्राप्त करने में मदद मिलेगी. यह वेबसाइट वर्चुअल टूर, ऐतिहासिक घटनाओं के विवरण, और इंटरएक्टिव सामग्री से भरपूर होगी. इसके अलावा, इन स्थलों को 'अतुल्य भारत' अभियान के तहत भी प्रचारित किया जाएगा.
भारत-चीन और भारत-पाकिस्तान की सीमाओं पर स्थित ये स्थल भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण अध्यायों के गवाह रहे हैं. उदाहरण के लिए, 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान लोंगेवाला की लड़ाई या 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान अरुणाचल प्रदेश की घटनाएं. इन स्थलों पर पहले से मौजूद युद्ध स्मारक और संग्रहालय इस अनुभव को और भी रोचक और ज्ञानवर्धक बनाएंगे.
इस पहल का उद्देश्य सिर्फ पर्यटन को बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि सीमावर्ती क्षेत्रों में कनेक्टिविटी, पर्यटन और सामाजिक-आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहित करना है. सेना स्थानीय नागरिक प्रशासन के साथ मिलकर इन प्रयासों को साकार कर रही है. इन दुर्गम और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थानों को पर्यटकों के लिए सुलभ बनाना सेना की एक बड़ी उपलब्धि है.
पर्यटकों को मिलेगा सैनिकों का अनुभव
इतना ही नहीं इन इलाकों में जाने वाले पर्यटकों को उन कठिन परिस्थितियों का अनुभव करने का मौका मिलेगा, जिनमें हमारे सैनिक अपनी ड्यूटी निभाते हैं. यहां की चुनौतीपूर्ण भौगोलिक स्थितियों और कठोर मौसम से रूबरू होना अपने आप में एक अद्वितीय अनुभव होगा.
रणभूमि पर्यटन का आर्थिक पहलू
रिपोर्ट के मुतबिक रक्षा मंत्री ने हाल ही में बताया कि पिछले चार वर्षों में लद्दाख, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश जैसे सीमावर्ती इलाकों में पर्यटन में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. यह विकास बेहतर बुनियादी ढांचे और सीमा पर्यटन में बढ़ती रुचि का परिणाम है.
सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने इस पहल को सेना के चार स्तंभों बुनियादी ढांचा, संचार, पर्यटन और शिक्षा का हिस्सा बताया. यह पहल न केवल सीमावर्ती इलाकों को पर्यटन के लिए विकसित करेगी, बल्कि देशवासियों को सेना के गौरवपूर्ण इतिहास से जोड़ने का भी काम करेगी. 'भारत रणभूमि दर्शन' भारत के इतिहास और सैनिक पराक्रम को एक नई ऊंचाई पर ले जाने की दिशा में एक बड़ा कदम है.