Explainer: सुप्रीम कोर्ट में कैसे होती है सुनवाई? मामलों की लिस्टिंग का तरीका भी जान लीजिए
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Explainer: सुप्रीम कोर्ट में कैसे होती है सुनवाई? मामलों की लिस्टिंग का तरीका भी जान लीजिए

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट हर साल हजारों नए केसों का सामना करता है. जबकि दूसरी तरफ पहले से ही बड़ी संख्या में केस लंबित हैं. यह भी एक कारण है कि कई बड़े मामले बहुत लंबे समय तक सुप्रीम कोर्ट में फंसे रह जाते हैं और बहुत बाद में जाकर उन पर सुनवाई हो पाती है. 

Explainer: सुप्रीम कोर्ट में कैसे होती है सुनवाई? मामलों की लिस्टिंग का तरीका भी जान लीजिए

How SC Hears Prioritises: दुनियाभर के तमाम विकसित और विकासशील देशों पर गौर करें तो भारत को लेकर एक चीज यह जरूर दिखेगा कि यहां की न्याय व्यवस्था बाकियों के मामले में बहुत जोरदार है. तमाम सीमाओं के बावजूद भी देश की न्याय प्रणाली दुनिया की बेहतरीन न्याय व्यवस्थाओं में शुमार है. इसका बहुत श्रेय संविधान निर्माताओं और फिर सुप्रीम कोर्ट को जाता है. लेकिन इन सबके बावजूद पेंडिग मामलों की सुनवाई और खासकर देरी से सुनवाई आज भी चिंता का विषय बने हुए हैं. इसको इस नजरिए से भी देखा जाना चाहिए कि भारत के न्यायालयों में मामले भी बहुत आते हैं. आज समझेंगे कि आखिर भारत के सुप्रीम कोर्ट में मामलों की सुनवाई कैसे होती है.. इसका प्रॉसेस क्या है. 

SC में हर साल हजारों नए केस
असल में भारत का सर्वोच्च न्यायालय हर साल हजारों नए केसों का सामना करता है. जबकि दूसरी तरफ पहले से ही बड़ी संख्या में केस लंबित हैं. यह भी एक कारण है कि कई बड़े मामले बहुत लंबे समय तक सुप्रीम कोर्ट में फंसे रह जाते हैं और बहुत बाद में जाकर उन पर सुनवाई हो पाती है. ऐसे में सवाल उठता है कि सुप्रीम कोर्ट किन मामलों को प्राथमिकता देता है और कैसे उनकी सुनवाई होती है.

कैसे तय होती है प्राथमिकता?
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक हाल के दिनों में सुप्रीम कोर्ट विशेष अनुमति याचिकाओं SLPs को प्राथमिकता दे रहा है. ये वे मामले हैं, जिनमें अदालत ने पूर्व में नोटिस जारी किया था लेकिन अभी उन्हें स्वीकार या खारिज करना बाकी है. मुख्य न्यायाधीश CJI संजीव खन्ना ने इन याचिकाओं की सुनवाई के लिए मंगलवार, बुधवार और गुरुवार का समय निर्धारित किया है, जबकि सोमवार और शुक्रवार को नए मामलों की सुनवाई की जाती है.

लंबित मामलों को सुलझाने की योजना
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने यह कदम सुप्रीम कोर्ट में बढ़ते लंबित मामलों को कम करने के लिए उठाया है. कोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में 82,000 से अधिक मामले लंबित हैं. विशेष अनुमति याचिकाएं उन मामलों का बड़ा हिस्सा हैं, जिन्हें कोर्ट या तो जल्दी स्वीकार कर लेता है या खारिज कर देता है.

मामले दाखिल करने की प्रक्रिया
सुप्रीम कोर्ट में किसी भी मामले को दाखिल करने की प्रक्रिया काफी सख्त है. अधिवक्ता-ऑन-रिकॉर्ड AoR पहले सभी जरूरी दस्तावेज दाखिल करते हैं. इसके बाद, अदालत का रजिस्ट्रार मामले की जांच करता है. यदि दस्तावेजों में कोई कमी होती है, तो उसे 90 दिनों के भीतर सुधारने का समय दिया जाता है.

मामलों की सुनवाई का शेड्यूल
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार और शुक्रवार को नए मामलों की सुनवाई होती है, जिन्हें 'मिसलेनियस डे' कहा जाता है. मंगलवार से गुरुवार तक उन मामलों की सुनवाई होती है, जिनमें पहले से नोटिस जारी किया जा चुका है. इस तरह, अदालत उन मामलों को प्राथमिकता दे रही है, जिन्हें कम समय में सुलझाया जा सकता है.

पूर्व मुख्य न्यायाधीशों का तरीका
मुख्य न्यायाधीश खन्ना से पहले, CJI डीवाई चंद्रचूड़ और सीजेआई यूयू ललित ने नियमित सुनवाई और संवैधानिक पीठों के मामलों को प्राथमिकता दी थी. इनके कार्यकाल में लंबित मामलों की संख्या में कमी आई, लेकिन तत्काल सुनवाई की मांग करने वाले मामलों की संख्या बढ़ गई थी.

फिलहाल पेंडेंसी कम करने की कोशिश
सुप्रीम कोर्ट लगातार नई रणनीतियों के साथ पेंडेंसी को कम करने की कोशिश कर रहा है. त्वरित फैसले वाली याचिकाओं को प्राथमिकता देने से कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है. हालांकि, यह देखना होगा कि भविष्य में इस नई व्यवस्था का कितना असर पड़ता है. (Photo: AI)

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