कुछ ऐसी शख्सियतें ऐसी होती हैं जिनकी चर्चा आप चाहें या ना चाहे करनी ही पड़ती है. उन्हीं शख्सियतों में से एक है हेनरी किसिंजर, अमेरिकी विदेश नीति के चाणक्य माने जाने वाले किसिंजर अब इस दुनिया में नहीं हैं. लेकिन जब जब वियतनाम, कंबोडिया, चीन, बांग्लादेश, अर्जेंटीना, इजरायल, ईस्ट तिमोर, दक्षिण अफ्रीका का जिक्र होगा तो उनकी चर्चा खुद ब खुद होगी.
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Henry Kissinger News: कुछ लोगों के लिए वो विदेश नीति के चाणक्य थे. कुछ लोगों के लिए वो शख्स जो हिटलर की क्रूरता से बच निकल अपने लिए एक नया मुकाम बनाया. अमेरिकी प्रशासन में उसकी धाक कुछ ऐसी थी कि अमेरिकी राष्ट्रपति भी उनकी सलाह को नजरंदाज नहीं कर पाते थे. राष्ट्रपकि निक्सन और गेराल्ड फोर्ड के शासनकाल में अमेरिकी विदेश नीति पर उसकी गहरी छाप पड़ी. लेकिन कुछ लोग उन्हें वार क्रिमिनल मानते हैं जो दुनिया के अलग अलग हिस्सों में खून बहाने के लिए जिम्मेदार था. जी हां यहां बात हो रही है हेनरी किसिंजर की जो अब इस दुनिया में नहीं हैं.
हेनरी किसिंजर के बारे में कहा जाता है कि अमेरिकी विदेश नीति को उन्होंने इस तरह प्रभावित किया कि उसके असर का सामना दुनिया के सभी हिस्सों को करना पड़ा. किसिंजर के लिए विदेश नीति का मतलब यह था कि किसी भी सूरत में अमेरिका की धमक कमजोर ना पड़े. भले ही उस मकसद को हासिल करने में किसी भी हद तक क्यों ना जाना पड़े. उनके बारे में ब्रिटिश लेखक और पत्रकार ने कहा था कि हेनरी किसिंजर के लिए हर सभ्य शख्स को अपने घर का दरवाजा बंद कर देना चाहिए. उनका बहिष्कार करना चाहिए था. यहां पर हम खास 10 घटनाओं का जिक्र करेंगे जिसमें उनकी सलाह के बाद अमेरिका ने हस्तक्षेप किया था.
वियतनाम
किसिंजर ने 1973 में वियतनाम में युद्धविराम पर बातचीत के लिए नोबेल शांति पुरस्कार जीता था. ऐसा कहा जाता है कि वह युद्ध वास्तव में चार साल पहले ही समाप्त हो गया होता. लेकिन मंकी रिच योजना की वजह से युद्ध लंबा खींच गया. 1969 में, निक्सन को राष्ट्रपति चुना गया और किसिंजर को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की भूमिका में प्रमोट किया गया. लंबे समय तक चले युद्ध में लाखों वियतनामी, कम्बोडियन और लाओटियन लोगों की जान चली गई।
कंबोडिया
किसिंजर के युद्ध के विस्तार ने कंबोडिया में खमेर रूज के नरसंहार शासन के मंच तैयार किया. अमेरिका समर्थित सैन्य शासन से सत्ता छीन ली और आबादी के पांचवें हिस्से यानी करीब 20 लाख लोगों को मार डाला था. किसिंजर और निक्सन के कॉरपेट बांबिंग अभियान द्वारा कंबोडियाई लोगों को कम्युनिस्ट आंदोलन के हाथों में धकेल दिया गया और सैकड़ों हजारों लोग मारे गए थे. उसका असर यह हुआ कि आज भी लोग अमेरिकी नीति के दुष्प्रभाव का सामना कर रहे हैं.
बांग्लादेश
1970 में पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाने जाने वाले क्षेत्र में बंगाली राष्ट्रवादियों ने चुनाव जीता लिया था. नियंत्रण खोने के डर से पश्चिमी पाकिस्तान में सैन्य सरकार ने जानलेवा कार्रवाई शुरू कर दी. किसिंजर और निक्सन दृढ़ता से पश्चिमी पाकिस्तान के साथ खड़े रहे. उन्होंने जनरलों को पीछे हटने की चेतावनी नहीं दी. भारत के रुख को देख किसिंजर और आक्रामक हो चले थे. एक तरह से उनका दिल लाखों लोगों की हत्या से नहीं पिघला. एक गुप्त रिकॉर्डिंग जो बाद में सार्वजवनिक हुई थी उससे पता चलता है कि वो बांग्लादेश की आजादी के लिए लड़ रहे लोगों के प्रति संवेदनशील नहीं थे.
चिली
निक्सन और किसिंजर ने स्वघोषित मार्क्सवादी साल्वाडोर अलेंदे को अस्वीकार कर दिया था. 1970 में लोकतांत्रिक रूप से चिली के राष्ट्रपति के रूप में अलेंदे को चुना गया था. 1970 से 1973 तक तख्तापलट को बढ़ावा देने में लाखों डॉलर का निवेश किया. तत्कालीन सीआईए प्रमुख विलियम कोल्बी ने 1974 की एक गुप्त सुनवाई में बताया था कि अमेरिकी सरकार ने अलेंदे की सरकार को अस्थिर" करने के लिए 11 मिलियन डॉलर खर्च किए थे. इसमें 1.5 मिलियन डॉलर की वो राशि थी जिसे सीआईए ने सैंटियागो अखबार एल मर्कुरियो को दिए थे, जो अलेंदे का विरोधी था. सीआईए एजेंट्स ने चिली की सेना के साथ भी संबंध बनाए. 1973 में, जनरल ऑगस्टो पिनोशे एक सैन्य तख्तापलट में सत्ता में आये. उनके 17 साल लंबे शासन के दौरान तीन हजार से अधिक लोग या तो मार दिए गए या गायब हो गए थे. किसिंजर ने निक्सन से कहा कि हमने ऐसा नहीं किया.
साइप्रस
साइप्रस ने 1960 के दशक में जातीय हिंसा का गवाह बना. 1974 में ग्रीस की सत्तारूढ़ सैन्य सरकार द्वारा तख्तापलट के बाद तुर्की सेना वहां आ गई. किसिंजर ने प्रभावी ढंग से दो नाटो सहयोगियों के बीच संकट को बढ़ावा दिया. राष्ट्रपति फोर्ड को तुर्की को खुश करने की सलाह दी. उन्होंने कथित तौर पर कहा कि तुर्की की रणनीति सही है. वे जो चाहते हैं उसे पकड़ लें और फिर कब्जे के आधार पर बातचीत करें. यूनानी तख्तापलट और तुर्की आक्रमण का नतीजा यह रहा कि हजारों लोग बेवजह प्रभावित हो गए.
ईस्ट तिमोर
1975 में किसिंजर ने पूर्व पुर्तगाली उपनिवेश पूर्वी तिमोर पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुहार्तो के आक्रमण को हरी झंडी दी. जकार्ता की यात्रा के दौरान किसिंजर और फोर्ड ने सुहार्तो से कहा कि वे उनकी वजहों को समझते हैं. तिमोरी लोगों की स्वतंत्रता की मांग जायज नहीं है. सुहार्तो से कहा कि वो आंदोलन को किसी भी कीमत पर खत्म करें. सुहार्तो अमेरिकी-सुसज्जित सेना के साथ आगे बढ़े और दो लाख से अधिक पूर्वी तिमोरिस को मार डाला।
इजरायल
जब मिस्र और सीरिया के नेतृत्व में अरब देशों के गठबंधन ने इजरायल पर हमला किया तो युद्ध छिड़ गया. किसिंजर ने निक्सन प्रशासन से कहा कि इजरायल की मदद का समय आ गया है. इजरायल को हथियारों से मदद की. शुरुआती नुकसान से उबरने के बाद इजरायली फोर्स काहिरा के करीब पहुंचने में कामयाब हुई. इसके बाद युद्धविराम हुआ. मिस्र, अन्य अरब देशों और इज़राइल के बीच उनकी शटल कूटनीति को अक्सर 1978 में कैंप डेविड समझौते पर हस्ताक्षर करने का रास्ता खुल गया. हालांकि किसिंजर तब तक अमेरिकी सरकार के हिस्सा नहीं रह गए थे. मध्य पूर्व में उनकी कूटनीति का मकसद सिर्फ इतना था कि फिलिस्तीनियों को उनके अरब पड़ोसियों में कभी दोस्ती ना पनप सके.
अर्जेंटीना
1976 में फोर्ड के राष्ट्रपति बनने के बाद किसिंजर ने अर्जेंटीना में हत्या का समर्थन करना जारी रखा. फासीवादी अर्जेंटीना सेना को कार्रवाई के लिए उकसाया. जिसने उसी वर्ष राष्ट्रपति इसाबेल पेरोन की सरकार को उखाड़ फेंका था. सैन्य सरकार ने असंतुष्टों को आतंकवादी करार देते हुए वामपंथियों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया. 1978 में अर्जेंटीना की यात्रा के दौरान किसिंजर ने तानाशाह जॉर्ज राफेल विडेला की तारीफ करते हुए उनके एक्शन की सराहना की. 1983 तक चले सैन्य शासन के दौरान लगभग 10,000 लोग मारे गये।
चीन
किसिंजर की अक्सर अमेरिका-चीन के बीच तनाव को कम करने के लिए तारीफ होती है. 1972 में बीजिंग की यात्रा के बाद 1979 में राजनयिक संबंधों को फिर से स्थापित करने में मदद की थी.चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी उन्हें पुराना मित्र बताते हैं. लेकिन 1989 में तियानमेन चौक पर डेरा डालने वाले प्रदर्शनकारियों के दिल में उनके लिए इज्जत कम है. नरसंहार के तुरंत बाद उन्होंने कहा था कि चीनी सरकार की कार्रवाई को रोका नहीं जा सकता था. दुनिया की कोई भी सरकार अपनी राजधानी के मुख्य चौराहे पर हजारों प्रदर्शनकारियों द्वारा आठ सप्ताह तक कब्जा करना कहां तक बर्दाश्त नहीं करेगा. सच तो यह है कि चीन को अमेरिका और अमेरिका को चीन की जरूरत है.
दक्षिण अफ्रीका
निक्सन और फोर्ड प्रशासन में काम करते हुए किसिंजर ने अफ्रीका के बारे में बहुत अधिक नहीं सोचते थे. लेकिन 1976 में अपने कार्यकाल के आखिरी दौर में उन्होंने दक्षिण अफ्रीका का दौरा किया. सोवतो विद्रोह के तुरंत बाद रंगभेदी सरकार को राजनीतिक वैधता प्रदान की. खास बात यह थी कि सोवते विद्रोह में अश्वेत स्कूली बच्चों और दूसरे लोगों को पुलिस ने बेरहमी से मार डाला था. लेकिन रोडेशियन प्रधान मंत्री इयान स्मिथ को बहुसंख्यक काले शासन को स्वीकार करने के लिए मजबूर किया. अंगोला की मुक्ति के लिए मार्क्सवादी-लेनिनवादी पीपुल्स मूवमेंट से लड़ने वाले यूनिटा विद्रोहियों के समर्थन में दक्षिण अफ्रीका की रंगभेदी सरकार के करीब आ गए. वह युद्ध करीब 27 वर्षों तक चलाजो पिछली शताब्दी का सबसे लंबा और भयावह युद्ध था.