मनोज बाजपेयी की 'जोरम' की बड़ी उपलब्धि, ऑस्कर की लाइब्रेरी में शामिल होगी फिल्म
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मनोज बाजपेयी की 'जोरम' की बड़ी उपलब्धि, ऑस्कर की लाइब्रेरी में शामिल होगी फिल्म

Manoj Bajpayee Joram: मनोज बाजपेयी की फिल्म 'जोरम' एक मनोरंजक सर्वाइवल थ्रिलर है, जो दर्शकों को एक अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाती है. भले ही बॉक्स ऑफिस पर फिल्म को सफलता ज्यादा ना मिल पाई हो, लेकिन इसकी जमकर तारीफ हुई है.

मनोज बाजपेयी की 'जोरम' ने किया बड़ा कमाल

Manoj Bajpayee Joram: मनोज बाजपेयी स्टारर फिल्म 'जोरम' के स्क्रीनप्ले को 'एकेडमी ऑफ मोशन पिक्चर आर्ट्स एंड साइंसेज' की लाइब्रेरी (Oscar Library Film Added To Permanent Core Collection) ने इसके परमानेंट कोर कलेक्शन के लिए हासिल कर लिया है. एकेडमी अपने कोर कलेक्शन में स्क्रीनप्ले जोड़ता है, जो रिसर्च के उद्देश्य से छात्रों, फिल्म निर्माताओं, लेखकों, अभिनेताओं और सिनेमा के क्षेत्र के अन्य लोगों के लिए सुलभ हैं. इन सालों में, इस कलेक्शन में साल 1910 से लेकर वर्तमान तक 11,000 से ज्यादा निर्मित फिल्मों की स्क्रिप्ट शामिल हो गई है.

इस उपलब्धि पर बात करते हुए फिल्म के लेखक-निर्देशक देवाशीष मखीजा ने कहा, ''जोरम (Joram) को बनाने के लिए प्रतिभाशाली लोगों की आवश्यकता पड़ी. हम यह देखकर रोमांचित हैं कि फिल्म के स्क्रीनप्लेस एकेडमी लाइब्रेरी के परमानेंट कोर कलेक्शन का हिस्सा बन गई है. ऐसे प्रतिष्ठित संस्थान से यह सम्मान दुर्लभ, बहुमूल्य और विनम्र है. एकेडमी को हमारा हार्दिक धन्यवाद.''

कलाकारों और क्रू को दुनिया भर के दर्शकों से मिला प्यार
'जोरम' देवाशीष मखीजा द्वारा लिखित और निर्देशित है. यह फिल्म अनुपमा बोस और मखीजा फिल्म के सहयोग से जी स्टूडियो द्वारा निर्मित है. 'जोरम' में मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee), मोहम्मद जीशान अय्यूब (Mohammed Zeeshan Ayyub), स्मिता तांबे और तनिष्ठा चटर्जी ने शानदार अभिनय किया है. कलाकारों और क्रू को दुनिया भर के दर्शकों से अपार प्यार और सराहना मिली है. इस फिल्म को सबसे अधिक आलोचनात्मक प्रशंसा मिल रही है.

 
 
 
 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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प्रवासी मजदूर और एक पिता की कहानी है 'जोरम'
'जोरम' एक ऐसे पिता की कहानी है, जो अपने अतीत और उन ताकतों से बचने के लिए अपनी छोटी बच्ची के साथ भाग रहा है, जो उसे मरवाना चाहती हैं. 
यह फिल्म मानव लालच को बढ़ावा देने के खतरों पर एक परेशान करने वाली, लेकिन मनोरंजक कहानी है. नायक एक प्रवासी मजदूर है, जो अपनी नवजात बेटी के साथ किसी सुरक्षित स्थान पर भाग रहा है, लेकिन उसकी सच्चाई थिएटर के अंधेरे में दर्शकों को परेशान करती है.

मनोज बाजपेयी ने अभिनय से फिर जीता दिल
दशकों तक पर्दे पर रहने के बावजूद मनोज बाजपेयी की किरदार बनने की क्षमता कम नहीं हुई है. वह अपनी शारीरिक भाषा के माध्यम से धाराप्रवाह बोलते हैं. फिल्म में मनोज ने बेहतरीन काम किया है, जिसकी हर किसी ने तारीफ की.

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