Mukhtar Ansari: 3 अगस्त 1991 की रात, लहुराबीर में गुजरी गाड़ी, अजय राय के सामने ही भाई अवधेश को भून दिया गया
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Mukhtar Ansari: 3 अगस्त 1991 की रात, लहुराबीर में गुजरी गाड़ी, अजय राय के सामने ही भाई अवधेश को भून दिया गया

Awadhesh Rai Murder Case: 33 साल पहले की उस रात के बारे में सोचकर अवधेश राय का परिवार आज भी सहम जाता है. मुख्तार अंसारी को कोर्ट ने इस मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी.

Mukhtar Ansari: 3 अगस्त 1991 की रात, लहुराबीर में गुजरी गाड़ी, अजय राय के सामने ही भाई अवधेश को भून दिया गया

Awadhesh Rai Killing: माफिया मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) मौत की नींद सो चुका है लेकिन जब भी उसके जुर्मों की बात होती है तो अवधेश राय हत्याकांड (Awadhesh Rai Murder Case) को जरूर याद किया जाता है. मुख्तार अंसारी पर 65 से ज्यादा केस दर्ज हुए, लेकिन अधिकतर में वह बरी हो गया. उसके खिलाफ सबूत नहीं मिले. गवाह पलट गए. लेकिन अवधेश राय हत्याकांड मामले में कानूनी लड़ाई 32 साल लंबी चली और आखिरकार मुख्तार अंसारी को उम्रकैद की सजा हुई है. आइए जानते हैं कि अवधेश राय हत्याकांड को क्यों अंजाम दिया गया था. माफिया मुख्तार अंसारी और अवधेश राय के बीच किस बात को लेकर दुश्मनी हो गई थी.

अवधेश राय हत्याकांड कैसे दिया गया अंजाम?

पहले तो ये जान लीजिए अवधेश राय कौन थे? आज जो यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष हैं, वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस उम्मीदवार हैं, उन्हीं अजय राय के बड़े भाई अवधेश राय थे. जब अवधेश राय को मारा गया तब उनके साथ अजय राय भी थे. लेकिन वैन में सवार होकर आए गुर्गों ने अवधेश राय को गोलियों से भून दिया. अजय राय ने अवधेश राय के हत्यारों को पकड़ने की कोशिश भी की लेकिन वह कामयाब ना हो सके.

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अजय राय के सामने गोलियों से भून दिया

3 अगस्त 1991 की रात थी. अवधेश राय और उनके भाई अजय राय लहुराबीर में अपने घर के बाहर खड़े थे. आपस में बातचीत कर रहे थे. तभी एक तेज रफ्तार वैन उन दोनों के करीब आई और अजय राय के सामने ही बदमाशों ने गोलियां चलाकर अवधेश राय को छलनी कर दिया. इसके बाद अजय राय दौड़कर वैन की तरफ लपके, बदमाशों को पकड़ने की कोशिश की लेकिन वैन में सवार बदमाश भाग गए.

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32 साल चली कानूनी लड़ाई

इसके बाद, शक की सुई सीधे मुख्तार अंसारी पर गई और हत्या के बाद अवधेश राय के छोटे भाई अजय राय ने चेतगंज थाने पहुंचे. अजय राय ने इस मामले में मुख्तार अंसारी और उसके साथियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया. आखिरकार 32 साल की कानूनी लड़ाई के बाद कोर्ट ने अवधेश राय हत्याकांड के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई.

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मुख्तार अंसारी और अवधेश राय में क्यों थी दुश्मनी?

दरअसल, माफिया मुख्तार अंसारी और उसके गुर्गे चंदासी कोयला मंडी में वसूली करते थे. इससे अच्छा खासा पैसा कमाते थे. अवधेश राय भी इलाके के नेता थे. उन्हें मुख्तार अंसारी के दुश्मन का करीबी कहा जाता था. अब अवधेश राय, मुख्तार अंसारी और कोयला मंडी की वसूली के बीच रोड़ा बन गए थे. ऐसा कहा जाता है कि एक बार जब मुख्तार अंसारी के गुर्गे कोयला मंडी वसूली के लिए पहुंचे तो अवधेश राय ने उन्हें फटकारा था. वसूली करने से रोका था. इससे मुख्तार अंसारी आगबबूला हो गया था और बाद में हत्याकांड को अंजाम दिया गया था.

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