चुनाव आयोग ने किस अधिकार के तहत छह राज्यों के मुख्य सचिवों को बदल दिया
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चुनाव आयोग ने किस अधिकार के तहत छह राज्यों के मुख्य सचिवों को बदल दिया

Election Commission Powers: अफसरों की तैनाती और पोस्टिंग से जुड़ा अधिकार चुनाव आयोग को अनुच्छेद 324 से मिलता है. इसमें अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग के अधिकार के बारे में सीधे-सीधे तो नहीं लिखा है लेकिन व्याख्या में पारदर्शिता और स्वतंत्र चुनाव कराने के लिए सभी जरूरी शक्तियों को इस्तेमाल करने के बारे में लिखा है.

चुनाव आयोग ने किस अधिकार के तहत छह राज्यों के मुख्य सचिवों को बदल दिया

Lok Sabha Election Dates: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले सोमवार को चुनाव आयोग ने गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के गृह सचिवों को हटाने का आदेश दिया. साथ ही बंगाल के डीजीपी और ममता बनर्जी के करीबी माने जाने वाले राजीव कुमार को हटा दिया गया है. साथ ही मिजोरम और हिमाचल प्रदेश के सामान्य प्रशासन विभाग के सचिवों को हटा दिया गया है. अकसर चुनाव की घोषणा के बाद चुनाव आयोग अफसरों को हटाने और पोस्टिंग का आदेश देता है. लेकिन चुनाव आयोग के पास यह अधिकार कब आता है और कैसे वह तय करता है कि किस अफसर पर एक्शन लेना है. आइए जानते हैं.

चुनाव आयोग के पास पोस्टिंग-ट्रांसफर की शक्ति

भारत के संविधान के तहत चुनाव आयोग का गठन किया गया है और यह एक संवैधानिक संस्था है. चुनाव आयोग के कार्यों के बारे में अनुच्छेद 324 में लिखा है. इसके तहत निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से चुनावों के संचालन और निर्वाचक नामावली का जिक्र है. इसके अलावा अनुच्छेद 321 (1)  के मुताबिक, संसद और हर राज्य के विधानसभा चुनावों के संचालन, इलेक्टोरल रोल्स के सुपरविजन, भारत के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के पदों के लिए चुनाव कराने का अधिकार एक आयोग (चुनाव आयोग) के पास होगा. 

संविधान के पन्ने पलटकर देखें तो जो शक्तियां चुनाव आयोग को मिली हैं, उसमें उसे कानून के मुताबिक पारदर्शिता से लोकसभा, विधानसभा और अन्य चुनाव कराने का अधिकार हासिल है. इस कारण वह लॉ एन्फोर्समेंट एजेंसियों के साथ तालमेल बनाकर काम करता है. इन एजेंसियों और चुनाव आयोग के तालमेल से कई तरह के काम पूरे होते हैं. कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग सुरक्षा बलों की तैनाती करता है. ताकि हिंसा, बूथ कैप्चरिंग और चुनावी कदाचारों को रोका जा सके. इसके लिए पैरामिलिट्री, स्थानीय पुलिस, सशस्त्र पुलिस की तैनाती की जाती है.

इसके अलावा वोटिंग सेंटर्स पर सीसीटीवी, वीडियोग्राफी, वेबकास्टिंग और चुनाव में गड़बड़ियों, वोटर्स और पोलिंग अफसरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का काम भी चुनाव आयोग करता है. इतना ही नहीं, जो चुनावी क्षेत्रों की सीमाओं के पास स्थित हैं, वहां चुनाव आयोग लॉ एन्फोर्समेंट एजेंसियों के साथ कॉर्डिनेट करता है, ताकि बॉर्डर पार से किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति को रोका जा सके.

सुप्रीम कोर्ट से भी हरी झंडी

इसके अलावा अफसरों की तैनाती और पोस्टिंग से जुड़ा अधिकार चुनाव आयोग को अनुच्छेद 324 से मिलता है. इसमें अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग के अधिकार के बारे में सीधे-सीधे तो नहीं लिखा है लेकिन व्याख्या में पारदर्शिता और स्वतंत्र चुनाव कराने के लिए सभी जरूरी शक्तियों को इस्तेमाल करने के बारे में लिखा है. इस व्याख्या पर सुप्रीम कोर्ट ने अलग-अलग फैसलों से मुहर लगाई है. इसी में किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति की संभावना को रोकने के लिए अफसरों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार दिया गया है. 

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