कहानी कल्पना की... कैसे एक घरेलू आदिवासी महिला ने झारखंड में सत्ता वापसी में निभाई अहम भूमिका
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कहानी कल्पना की... कैसे एक घरेलू आदिवासी महिला ने झारखंड में सत्ता वापसी में निभाई अहम भूमिका

Kalpana Soren: झारखंड में एक बार फिर शानदार जीत के साथ झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने वापसी की है. इस जीत का क्रेडिट जहां हेमंत सोरेन को दिया जा रहा वहीं उनकी पत्नी कल्पना सोरेन को भी सराहा जा रहा है. चलिए जानते हैं कैसे कल्पना ने JMM के अंदर एक नई जान फूंक दी. 

कहानी कल्पना की... कैसे एक घरेलू आदिवासी महिला ने झारखंड में सत्ता वापसी में निभाई अहम भूमिका

Kalpana Soren: झारखंड विधानसभा के नतीजों में एक बार फिर जेएमएम ने सत्ता में वापसी की है. भारतीय जनता पार्टी को राज्य में एक बार फिर करारी हार का सामना करना पड़ा है. मुश्किल समय से गुजर रही झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की जीत में जितना अहम किरदार हेमंत सोरने का है उतना ही उनकी पत्नी कल्पना सोरने का भी रहा है. कल्पना सोरेन पार्टी में एक शक्तिशाली नेता के रूप में उभरी हैं, जिन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) में नई जान फूंक दी है. गृहिणी कल्पना के लिए राजनीति कभी उनकी पहली पसंद नहीं थी लेकिन जब उनके पति और राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरने की गिरफ्तारी हुई तो अचानक उनके कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी आन पड़ी. 

पति गिरफ्तारी के बाद संभाला मोर्चा

31 जनवरी को ईडी ने उनके पति को गिरफ्तार कर लिया था. जिसके बाद कल्पना की राजनीतिक यात्रा शुरू हुई. ईडी ने कथित भूमि धोखाधड़ी से जुड़े धन शोधन मामले में हेमंत को गिरफ्तार किया था. अपने पति की कानूनी लड़ाइयों से पैदा होने वाली व्यक्तिगत और राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद, 48 वर्षीय कल्पना ने एक लचीली और तेजतर्रार नेता होने का प्रमाण दिया है. कल्पना भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विरोध में एक मुखर व्यक्तित्व के रूप में उभरीं और उन्होंने भाजपा पर विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ को निशाना बनाने वाली 'अत्याचारी ताकत' होने का आरोप लगाया. 

यह भी पढ़ें: आदिवासी योद्धा बनकर उभरे हेमंत सोरेन: भाई की मौत के बाद अचानक कंधों पर आई थी बड़ी जिम्मेदारी

मजबूती के साथ किया खुद को पेश

कल्पना का नेतृत्व विशेष रूप से लोकसभा चुनावों के दौरान अहम हो गया, जहां उन्होंने जोरदार प्रचार किया और झारखंड में झामुमो का नेतृत्व किया, जिससे उन्हें आदिवासी समुदायों और अन्य लोगों का समर्थन हासिल हुआ. जुलाई में अपने पति की जेल से रिहाई और उसके बाद हेमंत सोरेन के दोबारा मुख्यमंत्री के रूप में जिम्मेदारी संभालने के बाद कल्पना के राजनीतिक सफर को तेज रफ्तार मिली. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आदिवासी स्वभाव से ही उत्पीड़न के आगे नहीं झुकते और यह भावना राज्य में कई लोगों में भरपूर है. कल्पना का पैगाम साफ था कि वह अपने पति के सिद्धांतों से समझौता करने से इनकार करने से प्रेरणा लेते हुए 'अन्याय और तानाशाही ताकतों' के खिलाफ मजबूती से खड़ी हैं.

लोकसभा चुनाव में भी निभाया अहम किरदार

कल्पना की राजनीतिक यात्रा चार मार्च को गिरिडीह जिले में झामुमो के 51वें स्थापना दिवस समारोह से शुरू हुई. जहां उन्होंने दावा किया कि 2019 में हेमंत सोरेन सरकार के सत्ता में आने के बाद से विरोधियों की तरफ से उनके खिलाफ एक साजिश रची गई थी. हेमंत सोरेन को 31 जनवरी को ईडी ने कथित भूमि धोखाधड़ी से जुड़े धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी से पहले उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. जून में लोकसभा चुनाव के साथ-साथ हुए गांडेय उपचुनाव में कल्पना ने अपने निकटतम भाजपा प्रतिद्वंद्वी दिलीप कुमार वर्मा को 27,149 वोटों से हराया और तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. 

हर दिन की 4-7 रैलियां

इस बार विधानसभा चुनाव में अपनी करीब 200 रैलियों के ज़रिए कल्पना ने पार्टी में नया जोश भर दिया है और एक ताकतवर चेहरा बनकर उभरी हैं. एक जानकारी के मुताबिक कल्पना सोरेन ने हर दिन 4 से 7 जनसभाओं को संबोधित किया.  अपनी रैलियों में वो जनता को खुद से जोड़ने में बहुत कामयाब हुईं और जिस जोशीले अंदाज में भाषण देती थीं उससे लोगों के अंदर भी जोश आ जाता था. ना सिर्फ रैलियों में बल्कि उन्होंने मीडिया के सामने भी खुद एक काबिल नेता के तौर पर पेश किया.

हेमंत सोरेन से हुई अरेंज मैरिज

कल्पना ने अपनी स्कूली शिक्षा ओडिशा के मयूरभंज जिले के बारीपदा में पूरी की और भुवनेश्वर से इंजीनियरिंग और एमबीए की डिग्री हासिल की. कल्पना सोरेन की पैदाइश साल 1976 में रांची में ही हुई थी और रांची से ही उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की है. हालांकि वह मूल रूप से ओडिशा के मयूरभंज की रहने वाली हैं. 7 फरवरी 2006 को उनका हेमंत सोरेन के साथ अरेंज मैरेज हुआ था. 

इनपुट-आइएनएस

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