Manisha Ropeta: रोपेटा कहती हैं कि उन्हें उम्मीद है कि वह पुलिस की बेहतर छवि पेश करने में बड़ी भूमिका निभाएगी, जिस पर बहुत से लोग अभी भी भरोसा नहीं करते हैं और इसलिए अपराधों की रिपोर्ट भी नहीं करते हैं.
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Manisha Ropeta First Female Hindu DSP of Pakistan: भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में बहुत सी हिंदू आबादी रहती है. यहां हिंदू अल्पसंख्यक के तौर पर रहते हैं. ऐसे में इनका पाकिस्तान के किसी सरकारी विभाग में कोई ऊंचा पद हासिल करना कोई आम बात नहीं है. आज हम आपको एक ऐसी हिंदू महिला के बारे में बताएंगे, जो महज 26 साल की उम्र में पाकिस्तान की पहली हिंदू महिला डीएसपी (DSP) बनीं.
दरअसल, हम बात कर रहे हैं मनीषा रोपेटा की. जहां पाकिस्तान के पुरुष-प्रधान समाज और संस्कृति में, महिलाओं के लिए पुलिस बल जैसे "मर्दाना" माने जाने वाले व्यवसायों में शामिल होना बेहद मुश्किल है, वहां मनीषा पिछले साल पाकिस्तान के सिंध प्रोविंस की डीएसपी बनीं थीं.
सिंध के जकोबाबाद इलाके की मनीषा रोपेटा कहती हैं, "बचपन से, मैंने और मेरी बहनों ने पितृसत्ता की वही पुरानी व्यवस्था देखी है, जहां लड़कियों से कहा जाता है कि अगर वे शिक्षित होना चाहती हैं और काम करना चाहती हैं तो वह केवल टीचर या डॉक्टर के रूप में ही काम कर सकती हैं."
आंतरिक सिंध प्रांत के जैकोबाबाद के एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाली मनीषा का कहना है कि वह इस भावना को खत्म करना चाहती हैं कि अच्छे परिवारों की लड़कियों को पुलिस या जिला अदालतों से कोई लेना-देना नहीं होना चाहिए.
वह कहती हैं, "हमारे समाज में महिलाएं सबसे अधिक उत्पीड़ित हैं और कई अपराधों का निशाना बनती हैं. इसलिए मैं पुलिस में शामिल हुई क्योंकि मुझे लगता है कि हमें अपने समाज में 'संरक्षक' महिलाओं की जरूरत है."
उनका मानना है कि एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के रूप में काम करना वास्तव में महिलाओं को सशक्त बनाता है और उन्हें कई अधिकार भी देता है.
मनीषा कहती हैं "मैं नारीकरण अभियान का नेतृत्व करना चाहती हूं और पुलिस बल में लैंगिक समानता को प्रोत्साहित करना चाहती हूं. इसके अलावा ''मैं खुद हमेशा पुलिस के काम से बहुत प्रेरित और आकर्षित रही हूं.''
बता दें कि उनकी तीन अन्य बहनें डॉक्टर हैं और उनका सबसे छोटा भाई भी मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है.
यह पूछे जाने पर कि किस बात ने उन्हें एक अलग पेशा चुनने के लिए प्रेरित किया, तो रोपेटा कहती हैं कि मैं एमबीबीएस की प्रवेश परीक्षा पास करने में केवल एक अंक से असफल हो गई थीं. "फिर मैंने अपने परिवार को बताया कि मैं फिजिकल थेरेपी में डिग्री ले रही हूं, लेकिन साथ ही मैंने सिंध लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं के लिए तैयारी की और 468 उम्मीदवारों के बीच 16वां स्थान प्राप्त कर उत्तीर्ण हई." रोपेटा के पिता जैकोबाबाद में एक व्यापारी थे. जब मनीषा 13 वर्ष की थीं, तब उनका निधन हो गया था, जिसके बाद उनकी मां अपने बच्चों को कराची ले आईं और यहां उनका पालन-पोषण किया.
रोपेटा बताती हैं कि उनके होम टाउन में लड़कियों के लिए उच्च शिक्षा प्राप्त करना कोई सामान्य बात नहीं थी और यहां तक कि जब उनके रिश्तेदारों को पता चला कि वह पुलिस बल में शामिल हो रही है, तो उन्होंने कहा कि वह लंबे समय तक नहीं टिकेंगी क्योंकि यह एक कठिन पेशा है.
वह कहती हैं, ''अब तक मैंने उन्हें गलत साबित किया है.'' वहीं, रोपेटा को उम्मीद है कि वह पुलिस की बेहतर छवि पेश करने में बड़ी भूमिका निभाएगी, जिस पर बहुत से लोग अभी भी भरोसा नहीं करते हैं और इसलिए अपराधों की रिपोर्ट नहीं करते हैं.