Success Story: चाय बेची, फिर शिक्षक बने और अब हैं IA&AS, सफलता का सफर युवाओं के लिए है नजीर
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Success Story: चाय बेची, फिर शिक्षक बने और अब हैं IA&AS, सफलता का सफर युवाओं के लिए है नजीर

Motivational Story IAS: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की कहानी तो आपने सुनी ही होगी. शिक्षक दिवस (Teachers Day 2022) के मौके पर आज हम आपको एक ऐसे भारतीय लेखापरीक्षक और लेखा विभाग (IA&AS) के अधिकारी की कहानी (IAAS Motivational Story) बता रहे हैं, जिन्‍होंने अपने जीवन में चाय भी बेची, फिर कई सालों तक बच्‍चों को पढ़ाया और अब हैं आई.ए.ए.एस.(IA&AS). इनके संघर्ष की कहानी आपको जरूर पढ़नी चाहिए. 

आईएएस कहानी

Teachers Day 2022: इस खबर में हम आपको हरियाणा के भिवानी जिले के शीशराम वर्मा (Shashiram Verma) के बारे में बताएंगे. जो फिलहाल चंडीगढ़ में डिप्टी अकाउंटेंट जनरल के पद पर कार्यरत हैं. उनका बचपन बहुत गरीब परिस्थितियों में गुजरा. लेकिन उन्‍होंने अपने मेहनत के बल पर आई.ए.ए.एस.(IA&AS) बनने तक का सफर तय किया. उन्‍होंने आई.ए.ए.एस.(IA&AS) की तैयारी शिक्षक र‍हते हुए की. उनकी कहानी उन युवाओं के लिए प्रेरणादायक है जिन्‍हें लगता है कि सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं तो उस समय जॉब नहीं कर सकते. इस कहानी में उनके बचपन से लेकर आई.ए.ए.एस.(IA&AS) बनने तक के संघर्ष के बारे में चर्चा की गई है. 

बचपन में बेची चाय

शीशराम वर्मा का बचपन बेहद गरीब परिस्थितियों में गुजरा, लेकिन फिर भी परिवार की गरीबी उनकी सफलता में अड़चन नहीं बनी. शीशराम के पिता नारायण राम की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी. उन्‍होंने राजस्थान से आकर बहल में चाय की दुकान खोलकर परिवार का भरण-पोषण किया. लेकिन, उनके परिवार में किसी ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनका बेटा इतना प्रतिभाशाली होगा कि आज लाखों लोग उनके बारे में जानेंगे. उन्‍होंने अपने परिवार का नाम तो रोशन किया ही. इसके साथ अपने क्षेत्र का नाम भी रोशन किया. शीशराम बचपन में बहल कस्बे के बस स्टैंड पर अपने पिता की चाय की दुकान पर स्कूल से आने के बाद उनकी मदद करते थे और अपने परिवार का गुजारा चलाते थे. 

दो दशक तक बच्‍चों को पढ़ाया  

शीशराम वर्मा ने सरकारी स्कूल में पढ़ाई की थी. उन्‍होंने साल 1993 में 12वीं कक्षा पास करने के बाद साल 1995 में ओढ़ा से जेबीटी कोर्स किया और साल 1997 में वे बतौर जेबीटी अध्यापक नियुक्त हो गए. साल 2010 में उनका अध्यापक के तौर पर प्रमोशन हुआ. इस बीच उन्‍होंने कई कोर्स भी किए. लेकिन उनका लक्ष्‍य सरकारी ऑफिसर बनना था, उसकी भी तैयारी साथ-साथ चल रही थी. फिर वो समय भी आ गया जब उन्‍होंने जो सपना देखा था, उसे पूरा किया. साल था 2016 का जब उन्‍होंने आई.ए.ए.एस.(IA&AS) की परीक्षा पास की.

दो साल परिवार से बनाई दूरी

शीशराम वर्मा शिक्षक के तौर पर विद्यार्थियों को शिक्षा देने में लगे हुए थे. उन्‍होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए कड़ा संघर्ष किया. उनकी पत्नी निर्मला देवी ने उनका पूरा साथ दिया और दो साल तक उनकी पढ़ाई के दौरान पुत्र गौरव व पुत्री जया की अकेले ही देखभाल की. वर्तमान में शीशराम वर्मा चंडीगढ़ में डीएजी (डिप्टी अकाउंटेंट जनरल) के पद पर कार्यरत है और जब भी बहल आते हैं तो किसी न किसी स्कूल में जाकर विद्यार्थियों को सिविल सर्विसेज में जाने के लिए प्रेरित करते हैं.  

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