National Defence Academy: नेशनल डिफेंस एकेदमी ने अपने साढ़े सात दशकों में, भारतीय सशस्त्र बलों के लिए 42,000 से अधिक ऑफिसर्स और अपने मित्र विदेशी देशों के लिए लगभग 1,000 ऑफिसर्स तैयार किए हैं.
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National Defence Academy: भारत के पुणे में स्थित नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) ने हाल ही 16 जनवरी 2024 को अपनी 75वीं वर्षगांठ मनाई है. एनडीए ने भारतीय सशस्त्र बलों के लिए 42,000 से अधिक ऑफिसर्स और अपने मित्रवत विदेशी देशों के लिए ट्रेनिंग ऑफिसर्स भी तैयार किए हैं. इसने एक ही बैच के तीनों सेनाओं के चीफ ऑफ स्टाफ को तीन बार ट्रेन्ड भी किया है. एनडीए को देश की सबसे प्रतिष्ठित सैन्य अकादमियों में से एक माना जाता है और इसने आजादी के बाद से भारत की लड़ाइयों और युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
पुणे, मई 1945, जब सेकेंड वर्ल्ड वॉर की धूल छंटने लगी थी और संघर्ष का रंगमंच छह साल के रक्तपात के बाद एक बड़े बदलाव की ओर देख रहा था. लेकिन तत्कालीन औपनिवेशिक भारत, आजादी के शिखर पर पहुंच एक अलग चुनौती पर बातचीत कर रहा था. भारत अपने नए रक्षा बलों को मजबूत करने और तीनों सेनाओं के युवा कैडेटों को ट्रेन्ड करने में लगा हुआ था.
एनडीए ने इन दिन मनाया अपना 75वां वर्षगांठ
उस महीने एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति को भारत की डिफेंस सेवाओं को एकीकृत करने के लिए एक ब्रिटिश प्रस्ताव की रूपरेखा तैयार करने पर काम करना था. उन्हीं चर्चाओं ने नेशनल डिफेंस एकेडमी को जन्म दिया, जो 16 जनवरी 2024 को 75 वर्ष की हो गई और दशकों से देश की सैन्य ताकतों का गढ़ और रक्षा बलों का गढ़ रही है.
समिति ने 1946 में देहरादून में इंडियन डिफेंस एकेडमी को बदल दिया, इसे आर्म्ड फोर्सेस एकेडमी का नाम दिया गया और इसे दो विंगों में विभाजित किया - "इंटर-सर्विसेज विंग" (जिसे बाद में जॉइंट सर्विस विंग के रूप में जाना गया) और "मिलिट्री विंग".
तीनों सेवाओं के लिए शुरू हुई जॉइंट ट्रेनिंग
आखिरकार, जनवरी 1949 में इंटर-सर्विसेज विंग में तीनों सेवाओं के लिए जॉइंट ट्रेनिंग शुरू हुई. यह ट्रेनिंग ठीक छह साल तक देहरादून से बाहर काम करते हुए, 1955 में उसी दिन पुणे के पास खडकवासला में वर्तमान एनडीए में जाने से पहले शुरू हुई थी.
देहरादून से पुणे शिफ्ट हुई एकेडमी
एनडीए छह वर्षों तक देहरादून से संचालित हुआ और बाकी 69 वर्षों से पुणे के खड़कवासला परिसर में ही है. इसलिए सेना 16 जनवरी, 1949 से संस्था का स्थापना दिवस मानती आ रही है.
अब तक तैयार कर चुका 42,000 ऑफिसर्स
अपने साढ़े सात दशकों में, एनडीए ने भारतीय सशस्त्र बलों के लिए 42,000 से अधिक अधिकारी और मित्रवत विदेशी देशों के लिए लगभग 1,000 अधिकारी तैयार किए हैं.
इसके पूर्व छात्रों को शांति और युद्धकाल दोनों के दौरान देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है. एनडीए को तीन सेवाओं के प्रमुखों को क्रमशः एक ही बैच से तीन बार - 1991, 2020 और 2023 में ट्रेन्ड करने का गौरव भी प्राप्त है.
यहीं से निकले भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ
दरअसल, भारत के सभी तीन मौजूदा सेवा प्रमुख - जनरल मनोज पांडे, एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी और एडमिरल हरि कुमार - एनडीए के प्रतिष्ठित गलियारों से ही निकले हैं. देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, जनरल बिपिन रावत, जिनकी 8 दिसंबर 2021 को हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी, वह भी एनडीए के पूर्व छात्र रह चुके हैं. कुल मिलाकर, एनडीए ने भारत को 40 सेवा प्रमुख दिए हैं - 14 भारतीय सेना को, और 13 प्रत्येक भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना को.
करीब 6,780 एकड़ में फैले विशाल खडकवासला परिसर को 1947 में मित्र देशों की सेनाओं के लिए एक कम्बाइंड वॉरफेयर स्कूल के रूप में काम करने के लिए इसके स्थान और क्षमता के लिए चुना गया था.
जवाहरलाल नेहरू ने रखी आधारशिला
तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 6 अक्टूबर, 1949 को अकादमी की आधारशिला रखी, जबकि संचालन देहरादून से बाहर जारी रहा. पुणे के निकट इस संस्थान का उद्घाटन 16 जनवरी, 1955 को मोरारजी देसाई द्वारा किया गया, जो उस समय बॉम्बे राज्य के मुख्यमंत्री थे.
अकादमी के पवित्र हॉल से बाहर निकलने वाले कैडेटों ने आजादी के बाद से भारत द्वारा लड़ी गई लड़ाइयों और युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
अकादमी ने वर्षों से पैदा किए दिग्गज योद्धा
अकादमी ने वर्षों से, ऐसे दिग्गज पैदा किए हैं, जिन्होंने निस्वार्थ भाव से हमारे राष्ट्र की सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है. अकादमी युवा लड़कों और अब लड़कियों को भी न केवल युद्ध के अभियोजन के पहलुओं में, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में भी ट्रेन्ड कर रही है, जो उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्टता प्रदान करते हैं.
एनडीए कमीशनिंग एकेडमी मानी जाती थी और बाद में यह एक सर्वोच्च सैन्य बुनियादी प्रशिक्षण अकादमी में बदल गई. पहले, छात्र मैट्रिक के बाद आते थे, लेकिन अब वे 12वीं कक्षा के बाद शामिल होते हैं. शैक्षणिक प्रशिक्षण देश के शीर्ष तकनीकी प्रशिक्षण संस्थानों के बराबर है. यह सबसे अधिक डिमांड वाली अकादमी रही है जो मजबूत नैतिकता और टीम नेतृत्व के आधार पर कैडेटों में मूल्य प्रणाली को आकार देती है.
पार एक्सीलेंस
एनडीए ने देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के अलावा सेना, नौसेना और वायु सेना के मौजूदा चीफ ऑफ स्टाफ सहित 40 सर्विस चीफ ऑफ स्टाफ तैयार किए हैं.
एनडीए न केवल संयुक्त सैन्य प्रशिक्षण प्रदान करता है, बल्कि समसामयिक शिक्षा भी प्रदान करता है.
इसे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली द्वारा सेना कैडेटों के लिए बीए/बीएससी/बीएससी (कंप्यूटर विज्ञान) और नौसेना और वायु सेना कैडेटों के लिए बीटेक डिग्री के पुरस्कार के लिए मान्यता प्राप्त है.
अवॉर्ड
इसके तीन पूर्व छात्रों को परमवीर चक्र से, 12 को अशोक चक्र से सम्मानित किया गया है, जो क्रमशः युद्ध और शांति में वीरता के लिए देश का सर्वोच्च पुरस्कार है. पूर्व छात्रों के अन्य वीरता पुरस्कारों में 32 महावीर चक्र, 45 कीर्ति चक्र, 163 वीर चक्र और 152 शौर्य चक्र शामिल हैं.