'बेंगलुरु, पुणे और हैदराबाद में रहना होगा मुश्किल', नारायणमूर्ति ने क्यों दी बड़े पैमाने पर पलायन की चेतावनी
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'बेंगलुरु, पुणे और हैदराबाद में रहना होगा मुश्किल', नारायणमूर्ति ने क्यों दी बड़े पैमाने पर पलायन की चेतावनी

Climate Change: नारायण मूर्ति ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन से समय पर निपटने में विफलता के कारण बेंगलुरु, पुणे और हैदराबाद में बड़े पैमाने पर लोग आएंगे. 

'बेंगलुरु, पुणे और हैदराबाद में रहना होगा मुश्किल', नारायणमूर्ति ने क्यों दी बड़े पैमाने पर पलायन की चेतावनी

Narayana Murthy: अपने बयानों की वजह से अक्सर चर्चा में रहने वाले बिजनेसमैन नारायणमूर्ति ने एक फिर बड़ा बयान दिया है. पुणें में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से आने वाले समय में बेंगलुरु, पुणे और हैदराबाद में बड़े पैमाने पर पलायन हो सकता है. जबकि पहले ही इन शहरों में ट्रैफिक और प्रदूषण की वजह से रहना मुश्किल है.

उन्होंने इस चुनौती से निपटने और इस तरह के पलायन को रोकने के लिए कॉर्पोरेट जगत, राजनेताओं और नौकरशाहों के बीच सहयोग की जरूरतों पर जोर दिया है और 2030 तक इसमें महत्वपूर्ण प्रगति हासिल करने का विश्वास व्यक्त किया है.

कुछ स्थान रहने लायक नहीं रह जाएंगे: नारायणमूर्ति

प्रौद्योगिकी क्षेत्र के दिग्गज नारायण मूर्ति ने शुक्रवार को कहा कि जलवायु परिवर्तन से समय पर निपटने में विफलता के कारण बेंगलुरु, पुणे और हैदराबाद में बड़े पैमाने पर लोग आएंगे. ये लोग उन जगहों से आएंगे जो क्षेत्र तापमान और मौसम के पैटर्न में बदलाव के कारण भविष्य में रहने लायक नहीं रह जाएंगे.

उन्होंने आगे कहा, "भारत और कुछ अफ्रीकी देश तापमान वृद्धि को लेकर संवेदनशील हैं. एक भविष्यवाणी यह ​​है कि 20-25 वर्षों में भारत में कुछ स्थान रहने लायक नहीं रह जाएंगे."

2030 बहुत कुछ अचीव करना जरूरीः नारायणमूर्ति

हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि बेंगलुरु, पुणे और हैदराबाद में ट्रैफिक और प्रदूषण जैसी समस्याओं के कारण रहना बहुत मुश्किल है. भारत में हमें, खासकर कॉरपोरेट सेक्टर को राजनेताओं और नौकरशाहों के साथ सहयोग करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि बड़े पैमाने पर यहां लोग पलायन न हो. 

मूर्ति ने भरोसा जताया कि कॉरपोरेट जगत, राजनेताओं और नौकरशाहों के साथ मिलकर समस्या का समाधान निकालने में सक्षम होगा. उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि भारतीय हर काम अंतिम समय में करने के आदी हैं. ऐसे में भले ही अभी तक इस बारे में ज्यादा चर्चा नहीं हुई है, लेकिन साल 2030 तक इस क्षेत्र में काफी कुछ हासिल कर चुके होंगे.

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