Food items price hike: घरेलू बजट बिगड़ने से बाजार में ग्राहकों की आमद कम हुई है. बाजार आए ग्राहक महंगाई का रोना रो रहे हैं. सब्जियां हों या फिर दाल-चीनी सब कुछ महंगे हो गए हैं.
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Inflation in July: महंगाई एक बार फिर लोगों को रुला रही है. हालात ऐसे हो रहे हैं कि लोगों को 'महंगाई डायन खाय जात है' वाला गाना याद आ रहा है. क्योंकि एक तरफ जहां पर सब्जियों के दाम ने आग लगा रखी है, वहीं दूसरी तरफ दालों के दाम भी लगातार बढ़ रहे हैं. महंगाई के चलते आम जनता परेशान हो रही है और उसका बजट बिगड़ रहा है. अरहर दाल हो उड़द दाल हो या मूंग दाल सभी के दाम आसमान छू रहे हैं. बढ़े दामों का खामियाजा जनता को ही भुगतना पड़ता है. किसान तो अपना माल बेचकर अपने पैसे लेकर घर चला जाता है, लेकिन कुछ लोग बड़े व्यापारी अगर किसी भी माल को 1 दिन भी अपने गोदाम में दबाए रखते हैं और उसकी शॉर्टेज बताते हैं तो अगले दिन ही उसके भाव चढ़ने लगते हैं. बड़े व्यापारी होलसेल और रिटेल सभी एक चेन के तहत एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं.
खाद्ध पदार्थों की कीमत में लगी आग
अगर दालों के दाम की बात की जाए तो बीते हफ्ते से 10 दिनों में दामों में ठीक-ठाक वृद्धि हुई है, भले ही वृद्धि 5 से 10 की हो, लेकिन आम जनता को इस महंगाई की मार से रूबरू होना पड़ रहा है. एक खुदरा व्यापारी ने बातचीत में बताया कि इस समय अरहर के दाल 130 से 140 के बीच है. ऐसे ही उड़द दाल 140 से 150 के बीच में मिल रही है. मूंग छिलका दाल और मूंग धुली दाल 100 से लेकर 120 के रेट में खुदरा मार्केट में बिक रही है. चना दाल 70 से 80, छोले 130 से 140 के दाम में मार्केट में मिल रहे हैं. ठीक इसी तरह राजमा दाल 130 से 140 के दाम में मार्केट में उपलब्ध है. लाल मसूर और काली मसूर दाल 80 से लेकर 100 तक मार्केट में मिल रही है. इन सभी दालों के दाम में बीते 1 हफ्ते में 5 से 10 के बीच का इजाफा हुआ है.
गरीबों की कौन सुनेगा?
यह इजाफा सुनने में बहुत ज्यादा ना लगे लेकिन यह अपने आप में बहुत बड़ा मुनाफा उन लोगों के लिए होता है जो 1 दिन भी ऐसी दालों को स्टॉक कर इनके भाव को बढ़ा देते हैं. बढ़े हुए दामों से सबसे ज्यादा त्रस्त जनता ही होती है, क्योंकि जब दुकान पर पहुंचती है तो उसे पता चलता है कि एक ही दिन में दाम 5 से 10 बढ़ गए. इसका मुनाफा सबसे ज्यादा थोक व्यापारी कमाते हैं, क्योंकि किसान अपनी दालों की एकमुश्त कीमत देकर उन्हें बेचकर मंडी से चला जाता है और मंडी के बाद जब ये दालें बड़े-बड़े स्टॉकिस्ट के पास पहुंचती हैं, तब वे तय करते हैं कि किस दाल का दाम किस हिसाब से रखा जाएगा. स्टॉकिस्ट अगर चाहे तो किसी भी दाल के दाम में इजाफा कर 1 दिन में करोड़ों रुपये का मुनाफा कमा लेते हैं और सबसे ज्यादा नुकसान जनता को होता है.
(इनपुट: IANS)