Indian Economy: CII ने वित्त वर्ष 2025 के लिए जीडीपी के 4.9 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य और वित्त वर्ष 2026 के लिए 4.5 प्रतिशत के लक्ष्य पर टिके रहने का सुझाव दिया है.
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CII On Indian Economy: कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) के निदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने रविवार को कहा कि सरकार द्वारा व्यापक आर्थिक स्थिरता के लिए विवेकपूर्ण राजकोषीय प्रबंधन से वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी के बीच भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है.
आगामी केंद्रीय बजट के लिए CII के सुझावों के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि राजकोषीय प्रबंधन ने राजकोषीय घाटे और विकास के लिए राजकोषीय समर्थन के बीच सही संतुलन बनाए रखा है. इसने अर्थव्यवस्था को व्यापक आर्थिक स्थिरता प्रदान की है और वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के माहौल में अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में मदद की है.
CII ने दिये ये सुझाव
अगले साल के बजट को देखते हुए, सीआईआई ने वित्त वर्ष 2025 के लिए जीडीपी के 4.9 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य और वित्त वर्ष 2026 के लिए 4.5 प्रतिशत के लक्ष्य पर टिके रहने का सुझाव दिया है. हालांकि, सीआईआई ने यह भी बताया है कि उल्लिखित लक्ष्यों से अलग अत्यधिक आक्रामक लक्ष्य विकास को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर सकते हैं.
सीआईआई ने केंद्रीय बजट 2024-25 में राजकोषीय घाटे को ऐसे स्तर पर रखने की घोषणा का भी स्वागत किया है, जो कर्ज-जीडीपी अनुपात को कम करने में मदद करता है. सीआईआई ने सुझाव दिया कि आगामी बजट केंद्र सरकार का कर्ज वित्त वर्ष 2030-31 तक जीडीपी का 50 प्रतिशत और लंबी अवधि में 40 प्रतिशत करने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है.
राजकोषीय मैनेजमेंट को लेकर CII ने क्या कहा?
सीआईआई ने राज्यों को विवेकपूर्ण राजकोषीय प्रबंधन की ओर प्रेरित करने के लिए तीन सुझाव दिए हैं. सबसे पहले, राज्यों को राज्य-स्तरीय राजकोषीय स्थिरता रिपोर्टिंग स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है. दूसरा, 12वें वित्त आयोग की सिफारिशों के बाद राज्यों को सीधे बाजार से उधार लेने की अनुमति दी गई है. राज्य सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों द्वारा उधार लेने के मामले में राज्य गारंटी भी प्रदान करते हैं, जिसका प्रभाव राज्य के राजकोषीय स्वास्थ्य पर होता है.
तीसरा, केंद्र सरकार राज्यों के लिए एक स्वतंत्र और पारदर्शी क्रेडिट रेटिंग प्रणाली बना सकती है, जिससे उन्हें विवेकपूर्ण राजकोषीय प्रबंधन बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके. राज्यों की रेटिंग का उपयोग उन्हें उधार लेने और खर्च करने के तरीके तय करने में अधिक स्वायत्तता प्रदान करने के लिए किया जा सकता है.