Superstitious: भारतीय समाज में कई तरह की बातें सदियों से चली आ रही हैं. ये बातें अब परंपरा का रूप ले चुकी हैं और लोग इनको फॉलो करने लगे हैं. हालांकि, कुछ लोग इन्हें महज अंधविश्वास मानते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या है, इसके पीछे का सच.
Trending Photos
Myth Scientific Reason Examples: आपने बचपन से माता-पिता या घर के बड़े बुजूर्गों से कई तरह की कहावतें सुनी होंगी. जैसे की रात को नाखून नहीं काटने चाहिए. नींबू-मिर्ची लटकाने से नजर नहीं लगती है. घर से दही खाकर निकलने से काम में सफलता मिलती है आदि. ये कहावतें सदियों से चली आ रही है. इन बातों का लोग पूरी तरह से पालन भी करते हैं. वहीं, कुछ लोग इन बातों को महज अंधविश्वास बताते हैं. हालांकि, ऐसा नहीं है. भारत में जो कहावतें सदियों से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चलती आ रही हैं. इनके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है.
नींबू-मिर्ची
भारत में लोग ऐसा मानते हैं कि घर, दुकान या किसी कार्यस्थल में नींबू-मिर्च लटाने से बुरी नजर नहीं लगती है. कई लोग इसे वाहनों में भी लगाते हैं. उनका मानना है कि यह नजरदोष से बचने का कारगर उपाय है. हालांकि, इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है. नींबू और मिर्ची में साइट्रिक एसिड मौजूद होता है. इससे दूषित हवा और कीड़े मकोड़े आसपास नहीं फटकते हैं.
नाखून
आपने बचपन से सुना होगा कि रात के समय नाखून नहीं काटने चाहिए. ऐसा करना अच्छा नहीं समझा जाता है. वहीं, इसके पीछे वैज्ञानिक सोच की बात करें तो पुराने जमाने में नेल कटर का आविष्कार नहीं हुआ था. इसके लिए वह किसी धारदार हथियार का इस्तेमाल करते थे. वहीं, रात के समय रोशनी की भी पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी. ऐसे में अंगुली कटने का डर रहता था.
चूड़ियां
हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के चूड़ियां उतारने पर मनाही होती है. ऐसा करना अपशगुन माना जाता है. इसके साथ ही ये मान्यता है कि ऐसा करने से पति पर मुसीबतों का पहाड़ टूट सकता है. वैज्ञानिक आधार की बात करें तो चूडि़यां पहनने से हाथों का ब्लड फ्लो सही रहता है.
दही
कई लोग जब घर से किसी काम के लिए निकलते हैं या कोई परीक्षा देने जा रहे होते हैं तो दही-चीनी खाकर निकलते हैं. उनका मानना होता है कि ऐसा करने से जिस काम के लिए निकल रहे हैं, वह सफल होगा. वहीं, इसके पीछे वैज्ञानिक कारण की बात करें तो दही खाने से पेट ठंडा रहता है और चीनी से शुगर लेवल को मेंटेन रखने में मदद मिलती है.
ग्रहण
कई बार बचपन मे जब ग्रहण देखने के लिए बाहर निकलते थे तो परिजन इसके लिए मना करत थे. खासकर गर्भवती महिलाओं को भीतर ही रखा जाता था. इसके पीछे के वैज्ञानिक आधार की बात करें तो जब भी सूर्य या चंद्र ग्रहण होता है, उस समय अल्ट्रा वायलट किरणें उत्पन्न होती हैं, जिनको अगर नंगी आंखों से देखा तो उनको नुकसान पहुंच सकता है. वहीं, इन किरणों के प्रकोप से गर्भवती महिला के होने वाले बच्चे को स्किन संबंधित रोग हो सकते हैं.
अपनी फ्री कुंडली पाने के लिए यहां क्लिक करें
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)