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Maha Shivratri Remedies: भगवान शिव के लाखों भक्त हैं और महादेव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं. फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि महादेव को समर्पित है. इस दिन देशभर में महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है. महाशिवरात्रि पर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा का विधान है. महाशिवरात्रि की पूजा में बेलपत्र का इस्तेमाल विशेष रूप से किया जाता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार महाशिवरात्रि पर भगावन शिव को प्रिय चीजें उन्हें अर्पित करने से साधक का संपर्क सीधा भगवान से होता है. कई बार आपने देखा होगा कि भगवान शिव को बेलपत्र की पत्तियां अर्पित करने के बाद कुछ लोग उन पत्तियों को पूजा की थाली पर रखकर वापस घर ले आते हैं. मान्यता है कि शिवलिंग पर बेलपत्र को रखने के बाद उसे उठाकर घर लाने से कुछ दिनों तक शुभ परिणामों की प्राप्ति होती है. इतना ही नहीं, इस पत्तियों को अपनी जेब में भी रख सकते हैं.
जेब में रखें बेलपत्र
हिंदू शास्त्र में बेलपत्र को लेकर कई मान्यताएं हैं. बेलपत्र की तीन पत्तियां एक साथ जुड़ी होती हैं. कहते हैं कि तीनों पत्ते में त्रिदेव (ब्रह्म, विष्णु, शिव) का वास होता है. वहीं, ऐसा भी कहा जाता है कि तीन पत्तियों में महादेव की तीन आंखें या शस्त्र-त्रिशूल का प्रतीक माना गया है. कहते हैं कि भगवान शिव की पूजा बेलपत्र के बिना अधूरी है. ऐसे में महाशिवरात्रि के दिन जेब में शिवलिंग पर अर्पित किया हुआ बेलपत्र रखने से व्यक्ति को जीवन में कभी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता.
इसलिए अर्पित करते हैं बेलपत्र
पौराणिक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान निकले विष से धरती को बचाने के लिए विष पान कर लिया था. इस विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला हो गया था और पूरा शरीर अत्यधिक गरम हो गया था. इस वजह से आसपास का वातावरण भी जलने लगा था. कहते हैं कि बेलपत्र विष के प्रभाव को कम करता है इसलिए सभी देवी-देवताओं ने बेलपत्र शिवजी को खिलाना शुरू कर दिया. बेलपत्र के साथ-साथ भगवान शिव को शीतल करने के लिए जल भी अर्पित किया जाता है. कहते हैं बेलपत्र और जल के प्रभाव से भगवान शिव के शरीर में उत्पन्न गर्मी शांत हो जाती है. तभी से बेलपत्र और जल अर्पित करने की परंपरा है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)