Shark Tank India 3: केला, तिलहनों के तने और अनानास के पत्तों को अक्सर आप इस्तेमाल करने के बाद फेंक देते हैं. किसानों के लिए भी पराली बड़ी समस्या बन जाती है. एग्रीवेस्ट के चलते प्रदूषण बढ़ जाता है. हर साल दिल्ली-एनसीआर में पराली के जलने से सांस लेना दूभर हो जाता है.
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Shark Tank India: केला, तिलहनों के तने और अनानास के पत्तों को अक्सर आप इस्तेमाल करने के बाद फेंक देते हैं. किसानों के लिए भी पराली बड़ी समस्या बन जाती है. एग्रीवेस्ट के चलते प्रदूषण बढ़ जाता है. हर साल दिल्ली-एनसीआर में पराली के जलने से सांस लेना दूभर हो जाता है. शार्क टैंक इंडिया की सीजन 3 के स्पेशल एपिसोड में पहुंचे एंटरप्रेन्योर ने इस समस्या को न केवल सुलझाया बल्कि उन्हीं एग्रीवेस्ट से करोड़ों की कंपनी खड़ी कर दी.
शार्क टैंक इंडिया के तीसरे सीजन (Shark Tank India-3) में एक ऐसा स्टार्टअप (Startup) आया, जिसने सारे शार्क्स को अपने बिजनेस और सेल्स से दंग कर दिया. एग्रीकल्चर वेस्ट से बने कपड़े का स्टार्टअप Canvaloop Fibre, ने बिजनेस के साथ-साथ नेचर का भी ख्याल रख रहा है. सूरत के रहने वाले श्रेयांस कोकरा और पटना, बिहार की रहने वाली नंदिनी कोकरा कैन्वालूप फाइबर के फाउंडर्स हैं. शादी से पहले दोनों कॉलेज में मिले थे. फिर साथ बिजनेस करने का प्लान बना लिया. श्रेयस की फैमिली पहले से टेक्सटाइल बिजनेस से जुड़ी हुई है. शादी के बाद नंदिनी ने भी कंपनी ज्वाइंन कर ली. शार्क टैंक इंडिया के स्पेशल एपिसोड में आए पति-पत्नी की जोड़ी ने शार्क्स को बताया कि कैसे कारोबार के साथ-साथ वो प्रकृति को बचाने में मदद कर रहे हैं. कैन्वालूप की मदद से वो हेम्प, केला, तिलहन-दलहन के तने और अनानास के पत्तों का इस्तेमाल कर उससे यार्न बनाते हैं. इन यार्न की मदद से कपड़े तैयार किए जाते हैं.
स्टार्टअप फाउंडर्स ने दावा किया कि उनके बनाए यार्न नेचुरली एंटी-यूवी, एंटी-माइक्रोबियल, ब्रीदेबल और मौसम के साथ बदलने वाले हैं. उनके बनाए प्रोडक्टर्स कई ग्लोबल ब्रांड करते हैं. उन यार्न की मदद से डेनिम, शर्ट, साड़ी आदि बनाई जाती है. कंपनी ने 8 करोड़ रुपये की सेल हासिल कर ली है वहीं अगले साल तक के लिए उसके पास 18 करोड़ रुपये का बड़ा ऑर्डर बुक हैं. फाउंडर श्रेयस ने दावा किया कि वो अगले पांच सालों में वो कंपनी को 2000 करोड़ रुपये के टर्नओवर तक पहुंच देंगे.
पति-पत्नी की जोड़ी कंपनी की मार्केटिंग से लेकर सेल्स और प्रोडक्शन की जिम्मेदारी संभालने हैं. उन्होंने अपनी कंपनी के लिए 75 करोड़ रुपये की वैल्युएशन पर 1 करोड़ रुपये के बदले 1.33 फीसदी इक्विटी की मांग शार्क्स से की थी. उन्हें पांचों शार्क्स से डील मिली, लेकिन आखिरी में 4 फीसदी इक्विटी लेकर पांचों शार्क्स ने 2 करोड़ रुपये मिलकर उनकी कंपनी में निवेश किया. कंपनी की वैल्यूएशन उन्होंने 50 करोड़ की लगाई.