Sambhal: संभल भड़की हिंसा की तस्वीरें सारे देश ने देखी हैं. किस तरह पुलिस पर पथराव हुआ और फायरिंग की गई है. जिसके बाद पुलिस ने भी सख्ती से निपटने का फैसला और जवाबी कार्रवाई को अंजाम दिया लेकिन अब सवाल उठ रहा है कि ये हिंसा क्यों हुई? कैसे हुई? कौन इस सबके पीछे था.
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Sambhal: आज संभल में जो कुछ हुआ पूरे देश ने देखा. उपचुनाव खत्म होते ही कैसे एक मस्जिद के सर्वे पर यूपी का शहर संभल सुलग उठा. शाही जामा मस्जिद में जैसे ही सर्वे टीम पहुंची और दंगाइयों ने प्लानिंग के तहत पथराव-आगजनी और फायरिंग शुरू कर दी. हिंसा उस वक्त शुरू हुई जब संभल की गलियों से गुजर रही पुलिस टीम पर अचानक पथराव शुरू हो गया. सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरों और वीडियोज में देख सकते हैं कैसे गली में फंसे पुलिसवालों को टारगेट कर दंगाइयों ने पत्थर बरसाए. इस हिंसा में अब तक 3 लोगों की जान चली गई है.
शुरुआत में हालात ये बने कि पुलिस को मौके से जान बचाकर भागन पड़ा लेकिन जल्द ही पथराव में शामिल आरोपियों की पुलिस ने धरपकड़ शुरू कर दी. बस फिर क्या था मामला और हिंसक हो गया. अब संभल की हर गली ईंट के टुकड़ों और पत्थरों से भर गई थी. चारों तरफ पत्थर और गलियों में दहशत नजर आ रही थी लेकिन जल्द ही पुलिस ने दंगाइयों पर पलटवार किया और अब कहानी का रुख बदल गया. हालांकि इसी दौरान दंगाइयों ने गाड़ियों में आगजनी शुरू कर दी. कई कारें जला दी गईं. संभल की आबोहवा में दंगों का धुआं दूर-दूर तक साफ दिखाई देने लगा.
ताजा अपडेट की बात करें तो संभल पुलिस ने जिले में इंटरनेट सेवा सस्पेंड करने की सिफारिश की है. दंगों के दौरान जिन लोगों की मौत हुई उनमें नईम, बिलाल और नोमान नाम के युवक शामिल हैं. जबकि दूसरी तरफ पुलिस का एक्शन ताबड़तोड़ जारी है और 21 दंगाई अबतक हिरासत में लिए जा चुके हैं. वहीं हिंसा से जुड़ी सबसे बड़ी खबर ये है कि SP के PRO और एक CO को भी गोली लगी है. जो बुरी तरह जख्मी हैं. लेकिन सवाल ये है कि कल तक शांत शहर कैसे अचानक जल उठा. आज सुबह जब सर्वे टीम पहुंची तो ऐसा क्या हो गया कि जैसे बारूद को किसी ने चिंगारी दिखा दी हो.
दरअसल तनाव की शुरुआत मस्जिद के सर्वे के आदेश के साथ ही हो गई थी. आज सुबह जब सर्वे टीम पहुंची तो मस्जिद के आसपास जमा भीड़ ने अचानक से पुलिसवालों पर हमला कर दिया. पहले तो पुलिस ने बवालियों से अपील कर शांति कायम करने की कोशिश की. हालांकि इस अपील का दंगाइयों पर कोई असर नहीं हुआ तो फिर पुलिस एक्शन में आ गई. पत्थरबाजों पर पुलिस का पलटवार शुरू हुआ तो तस्वीर बदलते देर नहीं लगी. उन्हीं की भाषा में जवाब मिला तो दंगाई बिलों घुस गए. इस दौरान पुलिस पर फायरिंग हुई तो जवाब में यूपी पुलिस की बंदूकें भी गरजने लगीं.
संभल SSP केके बिश्नोई के मुताबिक दंगाई आसपास के 10 किमी के इलाकों से आए थे. दंगाइयों ने पुलिस पर भी गोली चलाई. पुलिस की कई गाड़ियों को जला दिया गया. पुलिस ने कई दंगाइयों को हिरासत में लिया है और उनपर NSA के तहत कार्रवाई की जा रही है. कहा जा रहा है कि दंगाइयों के सामने डट कर खड़ी रहने वाली संभल पुलिस ने जिस तरह से मामले को हैंडल किया, उससे साफ जाहिर हो रहा है कि एक बड़ा दंगा होने से बच गया. दंगे की साजिश ने किसे नफा पहुंचाया, किसने आग भड़काई ये तो जांच में पता चलेगा. लेकिन हर दंगे के बाद की तस्वीर यही कहती है कि इस सबमें कुछ नहीं रखा.
अब आगे क्या होगा ये बाद की बात है. सवाल ये है कि जो हुआ क्या वो अचानक था? क्योंकि हिंसा से जुड़े कई ऐसे सवाल हैं जो इस घटना को सुनियोजित साजिश करार दे रहे हैं. जैसे सबने सुना कि सर्वे के विरोध में दंगा हुआ लेकिन उस छोटी सी बस्ती में अचानक हजारों की संख्या में भीड़ कैसे जमा हो गई? सवाल उठता है क्या वहां भीड़ का जमा होना सुनियोजित था? अब सवाल ये कि गलियों में इतने ईंट-पत्थर कहां से आए? क्या पथराव के लिए पहले से ही ईंट-पत्थर इकट्ठा किए गए थे और ये सभी सवाल साजिश की ओर इशारा कर रहे हैं.
भारी बवाल के बीच संभल में सर्वे का राउंड-2 पूरा तो हुआ और जामा मस्जिद से कोर्ट कमीशन टीम को भी सुरक्षित निकाला गया लेकिन पथराव-आगजनी और हिंसा से ये सवाल खड़े हो गए कि साजिश की कहानी किसने लिखी? जब इस जवाब की तलाश में आप प्रभावशाली मुस्लिम नेताओं की ओर देखेंगे तो दो चेहरे सबसे ऊपर नजर आते हैं. एक तो- जियाउर्रहमान बर्क - जिन्होंने कहा था कि ये मस्जिद थी, मस्जिद है, मस्जिद रहेगी और दूसरे तौकीर रजा, जिन्होंने कहा है कि मुसलमान इसी तरह रिएक्ट करेगा.
मौलाना तौकीर रजा को हाउस अरेस्ट कर लिया गया. हैरत की बात ये है कि मौलाना हिंसा को हक की लड़ाई बता रहे हैं. यानी कोर्ट के आदेश के खिलाफ जाकर संभल को जलाकर दंगाई अब मौलानाओं की शबाशी हासिल कर रहे हैं और तौकीर रजा इसे हक की लड़ाई बता रहे हैं. जरा सोचिए इस तरह से कौम को बढ़ावा मिला तो अमन-चैन की उम्मीद भला कैसे की जा सकती है? संभल में बवाल थमा तो सियासी पारा हाई हो गया. हर दल अपने-अपने दावे और आरोप-प्रत्यारोप में जुट गया. अखिलेश यादव ने तो सर्वे पर ही सवाल खड़े कर दिए.