Wayanad Landslide: जान की फिक्र किए बिना मुस्लिम नर्स ने बचाई 35 लोगों की जान, जिप लाइन से पार की नदी
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Wayanad Landslide: जान की फिक्र किए बिना मुस्लिम नर्स ने बचाई 35 लोगों की जान, जिप लाइन से पार की नदी

Wayanad: वायनाड में लैंडस्लाइड के दौरान एक मुस्लिम नर्स ने अपनी जान की फिक्र किए बिना 35 लोगों की जान बचाई. इस हिम्मती नर्स को सरकार ने अब अवॉर्ड दिया है. पढ़ें पूरी खबर

Wayanad Landslide: जान की फिक्र किए बिना मुस्लिम नर्स ने बचाई 35 लोगों की जान, जिप लाइन से पार की नदी

Wayanad: तमिलनाडु सरकार ने गुरुवार को नर्स ए सबीना को बेहद हिम्मती काम के लिए लिए कल्पना चावला अवार्ड से नवाजा है. सबीना ने पिछले महीने केरल के वायनाड में लैंडस्लाइड में फंसे लोगों के इलाज के लिए नदी पार कर 35 से ज्यादा लोगों की जान बचाई थी.

मुस्लिम नर्स ए सबीना ने किया कमाल

चीफ मिनिस्टर एमके स्टालिन ने यौम-ए-आजादी यानी स्वतंत्रता दिवस प्रोग्राम के दौरान नीलगिरी जिले की रहने वाली ए सबीना को यह अवॉर्ड दिया है. वायनाड के मेपड्डी और चूरामला इलाकों 30 जुलाई को भारी बारिश की वजह से हुई लैंडस्लाइड से बुरी तरह से प्रभावित हुए थे. इस लैंडस्लाइड में कम से कम 229 लोगों की मौत हुई थी और 130 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं.

लोगों को बचाने के लिए एक फोन कॉल पर पहुंची सबीना

सबीना ने लोगों को बचाने के लिए अपनी ज़िंदगी की फिक्र नहीं की और बिना डरे ज़िप लाइन के जरिए नदी पार करतती रहीं. सबीना ने बताया कि 30 जुलाई को सुबह 11 बजे के आसपास उन्हें एक एनजीओ के सहकर्मियों से वायनाड में नर्सों की जरूरत के बारे में फोन आया, जिसके बाद वह तुरंत लैंडस्लाइड प्रभावित इलाके के लिए रवाना हो गईं.

क्या बोलीं सबीना?

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, सबीना कहती हैं,"मैंने तबाही के मंजर को देखा है, हर जगह लाशें बिखरी हुई थीं और घर बह रहे थे, लेकिन इससे मैं नहीं रुकी. मैं मदद के लिए जो कर सकती थी, करना चाहती थी, मैंने किया."

एनडीआरएफ ने बनाई थी ज़िपलाइन
सबीना ने बताया कि जब वे वहां पहुंचीं तो उन्हें पता चला कि लोग नदी के दूसरी तरफ फंसे हुए हैं और उन तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है. एनडीआरएफ ने नदी के उस पार ज़िपलाइन बनाई थी, लेकिन कोई भी मौजूद नहीं था.

मैंने अपनी ज़िंदगी के बारे में नहीं सोचा
सबीना ने अख़बार को बताया, लगभग 100 महिला नर्सें अलग-अलग काम कर रही थीं, लेकिन एनडीआरएफ बल ज़िप-लाइन के लिए केवल पुरुष नर्सों को ही चाहते थे, लेकिन कोई भी उपलब्ध नहीं था. साथ ही, महिलाएं तेज़ बहाव के कारण बहुत डरी हुई थीं. मैंने उनसे कहा कि मैं नदी पार कर जाऊँगी. जिस पल मैं वहां पहुंची, मेरा एकमात्र विचार जीवन बचाना था. मैंने अब अपने बारे में नहीं सोचा.” सबीना ने बताया कि जब वह ज़िपलाइन से दूसरी तरफ़ जा रही थी, तो उसने देखा कि कुछ लाशें पानी में बहकर जा रही थीं.

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो

उन्होंने बताया कि उन्होंने 35 लोगों की जान बताई, और उन्हें मेडिकल ट्रीटमेंट दिया. उसकी बहादुरी का यह कारनामा तब सामने आया जब उसके गांव के रहने वालों के जरिए उनके ज़िप-लाइनिंग के वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किए गए.

उन्होंने कहा, "यह पोस्ट वायरल हो गई और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन तक पहुंच गई, जिन्होंने मुझे सम्मानित करने के लिए सचिवालय में आमंत्रित किया. यह सब कुछ ही दिन पहले हुआ और मैं मुख्यमंत्री से यह पुरस्कार पाकर बहुत खुश हूं, मेरा मानना ​​है कि भाषा, जाति, वर्ग और धर्म के मतभेदों के बावजूद सभी को आपदाओं के दौरान हाथ मिलाना चाहिए."

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