Rishi Sunak British PM triggers war in India: ब्रिटेन में भारतीय मूल के ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने के बाद कुछ विपक्षी पार्टिंयां और नेता इस बात की मांग कर रहे हैं कि भारत में भी ब्रिटेन से सबक लेकर ऐसी व्यवस्था बनाई जाए और अल्पसंख्यकों को उच्च पदों पर बैठाया जाए.
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नई दिल्लीः ब्रिटेन में भारतीय मूल के ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत में अल्पसंख्यक समुदाय और बहुसंख्यकवाद को लेकर बहस काफी तेज हो गई है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम, शशि थरूर से लेकर जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती तक कई नेताओं और सियासी दलों ने ऋषि सुनक को बधाई देने के साथ ही अल्पसंख्यक के हितों और बहुसंख्यकवाद का मुद्दा उठाकर भाजपा सरकार पर तंज कसा है. इसी के साथ राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है.
मनमोहन सिंह और राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम की दिलाई याद
कांग्रेस नेताओं पर पलटवार करते हुए भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने महबूबा मुफ्ती से सवाल किया है कि क्या वो जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में किसी अल्पसंख्यक चेहरे को स्वीकार करेंगी? प्रसाद ने शशि थरूर और पी चिदंबरम सहित बहुसंख्यकवाद की आलोचना करने वाले सभी नेताओं को पूर्व प्रधानमंत्री सिख धर्म से आने वाले अल्पसंख्यक मनमोहन सिंह, पूर्व मुस्लिम राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से लेकर वर्तमान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तक की याद दिलाई है.
फिरहाद हाकिम को पश्चिम बंगाल का मुख्यमंत्री बनाया जाए
वहीं, दूसरी तरफ भाजपा आईटी सेल के हेड और पश्चिम बंगाल भाजपा के सह प्रभारी अमित मालवीय ने तृणमूल कांग्रेस को चुनौती देते हुए कहा है कि मुस्लिम प्रधानमंत्री की बात करने वाली टीएमसी को ममता बनर्जी से इस्तीफा दिलवाकर उनके करीबी मुस्लिम नेता को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बना कर इसकी शुरूआत करनी चाहिए. मालवीय ने ट्वीट कर ममता बनर्जी को चुनौती देते हुए कहा है, जैसा कि उम्मीद थी, टीएमसी भारत में एक मुस्लिम प्रधानमंत्री देखना चाहती है. एक अच्छी शुरूआत यह होगी कि घोटाले की दागी ममता बनर्जी को अपना ओहदा छोड़ने के लिए कहा जाए और उनके भरोसेमंद मुस्लिम सहयोगी फिरहाद हाकिम को पश्चिम बंगाल का मुख्यमंत्री बनाया जाए.
गौरतलब है कि अल्पसंख्यकवाद को लेकर जिस तरह से विपक्ष सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है, उतनी ही तेजी और प्रभावी तरीके से भाजपा पलटवार भी कर रही है. दोनों पक्षों के रूख को देखते हुए यह भी तय माना जा रहा है कि भाजपा आगामी चुनावों की रैलियों में भी विपक्ष पर इसे लेकर हमला बोल सकती है.
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