शोपियां मैनेजमेंट ने कहा: नहीं हुई हिजरत, पंडितों ने लिया कभी न लौटने का अज़्म
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शोपियां मैनेजमेंट ने कहा: नहीं हुई हिजरत, पंडितों ने लिया कभी न लौटने का अज़्म

Kashmiri Pandits Left Valley: जम्मू कश्मीर में पिछले कई महीनों से टारगेट किलिंग जारी है. पिछले दिनों यहां कई कश्मीरी पंडितों और ग़ैर कश्मीरी लोगों को दहशतगर्दों ने अपना निशाना बनाया है. इसके बाद बीते दिनों कश्मीरी पंडितों के वादी छोड़ने की ख़बरें आईं. हालांकि शोपियां इंतेज़ामिया ने इस तरह की ख़बरों से इनकार किया है.

शोपियां मैनेजमेंट ने कहा: नहीं हुई हिजरत, पंडितों ने लिया कभी न लौटने का अज़्म

Kashmiri Pandits Left Valley: बीते दिन ख़बरें आई थीं कि जम्मू कश्मीर के ज़िला शोपियां से कई कश्मीरी पंडितों ने हिजरत की है. लेकिन अब साउथ कश्मीर के शोपियां में अफसरान ने कश्मीर पंडितों की हिजरत (पलायन) की बात को सिरे से ख़ारिज किया है. 

जम्मू में डेरा डाले इस अक़्लियती तबक़े के अराकीन ने घाटी में लौटने से इनकार किया है. शोपियां के इनफार्मेशन और पब्लिक इनफॉर्मेशन डिपार्टमेंट के एक आफिशियल ट्विटर एकाउंट में दावा किया गया कि ‘‘कश्मीरी अप्रवासी हिंदू आबादी’’ के हिजरत करने की खबरें ‘‘बेबुनियाद’’ हैं. 

वहीं अश्वनी कुमार भट ने जम्मू में नुमाइन्दगों से कहा कि वह हिजरत कर चुके हैं और घाटी में कभी नहीं लौटेंगे. अश्वनी कुमार भट के भाई पूरन कृष्ण भट का 16 अक्टूबर को दहशतगर्दो ने क़त्ल कर दिया था. अफसरान ने ट्विटर पर दावा किया कि ‘‘इंतेज़ामिया के ज़रिए गांव में मुनासिब और सख़्त हिफ़ाज़ती इंतेज़ाम किए गए हैं. यहां तक कि कश्मीरी नॉन लोकल (अप्रवासी) हिंदू बस्तियों और गांवों के दूसरे इलाक़ों में भी इसी तरह के सिक्योरिटी इंतेज़ाम किए गए है.’’ 

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अश्वनी कुमार भट ने कहा, ‘‘हम वहां (श्रीनगर) से चले गए हैं. मैं कभी नहीं लौटूंगा. मैं अपने बच्चों की क़सम खाता हूं, मैं अपनी ज़िंदगी की आख़िरी सांस तक नहीं लौटूंगा.’’ अपने बच्चों की तरफ़ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि न तो वह कश्मीर लौटेंगे और न ही अपने बच्चों को वहां जाने देंगे. 

जम्मू-कश्मीर में दहशतगर्दों के ज़रिए हाल ही में कई मर्डर को अंजाम देने के बाद, 10 कश्मीरी पंडित परिवार समेत डर की वजह से शोपियां ज़िले में वाक़े अपना गांव छोड़कर मंगल को जम्मू पहुंच गए हैं. हाल ही में मौत की धमकी का सामना करने वाले चौधरीगुंड गांव के एक शख़्स ने कहा, ‘‘35 से 40 कश्मीरी पंडितों वाले दस परिवार डर की वजह से हमारे गांव से बाहर चले गए हैं.’’

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