ज्ञानवापी मामला : पूरी नहीं हो पाई मुस्लिम पक्ष की जिरह; इस तारीख को होगी अगली सुनवाई
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ज्ञानवापी मामला : पूरी नहीं हो पाई मुस्लिम पक्ष की जिरह; इस तारीख को होगी अगली सुनवाई

Gyanvapi case: मामले की सुनवाई करने के औचित्य संबंधी याचिका पर मुस्लिम पक्ष की जिरह आज भी जारी रही और उसके मुकम्मल होने से पहले ही अदालत का वक्त खत्म हो गया.

अलामती तस्वीर

वाराणसीः उत्तर प्रदेश के वाराणसी के ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले की सुनवाई करने के औचित्य के मुद्दे पर सोमवार को भी मुस्लिम पक्ष की जिरह पूरी नहीं हो पाई. अदालत ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख चार जुलाई तय की है. हिंदू फरीक के वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि जिला न्यायाधीश एके विश्वेश की अदालत में मामले की सुनवाई करने के औचित्य संबंधी याचिका पर मुस्लिम पक्ष की जिरह आज भी जारी रही और उसके मुकम्मल होने से पहले ही अदालत का वक्त खत्म हो गया, जिसके बाद अदालत ने कहा कि वह अब इस मामले को एक जून से शुरू होने वाली गर्मियों की छुट्टी के बाद चार जुलाई को सुनेगी.
इससे पहले शुक्रवार को मुस्लिम फरीक ने अपनी दलीलें अदालत में रखनी शुरू की थीं, जो आज भी जारी रहीं. जैन ने बताया कि अदालत ने साफ कर दिया है कि परिसर की वीडियोग्राफी सर्वे की रिपोर्ट मामले के सभी पक्षों को उपलब्ध कराई जाएगी. मगर इसके लिए क्या शर्ते होंगी वह अदालत ही बताएगी.

कोर्ट ने मस्जिद परिसर का वीडियोग्राफी सर्वे कराने के हुक्म दिया था 
गौरतलब है कि दिल्ली निवासी राखी सिंह और पांच दीगर महिलाओं ने ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर में शृंगार गौरी की नियमित पूजा अर्चना करने और विभिन्न विग्रहों की सुरक्षा से संबंधित एक याचिका दायर की थी. इस मामले में सिविल जज (सीनियर डिविजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने पिछले 26 अप्रैल को परिसर की वीडियोग्राफी सर्वे कराने के हुक्म दिए थे. इस सर्वे की रिपोर्ट पिछली 19 मई को अदालत में पेश की गई थी.

हिंदू पक्ष ने शिवलिंग मिलने का किया था दावा 
सर्वे के दौरान हिंदू फरीक ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजू खाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया था जिसे मुस्लिम पक्ष ने खारिज करते हुए कहा था कि वह शिवलिंग नहीं बल्कि फव्वारा है. इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की एक याचिका पर मामले को जिला जज की अदालत में स्थानांतरित करने का हुक्म दिया था. मुस्लिम पक्ष ने जिला अदालत में अर्जी देकर कहा था कि यह मामला उपासना स्थल कानून के प्रावधानों के खिलाफ है लिहाजा यह सुनवाई किए जाने लायक ही नहीं है. अदालत ने सोमवार को इसी मामले पर सुनवाई की.

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