Pakistan: अहमदिया मुसलमानों का इल्जाम; पुलिस और चरमपंथियों ने तोड़ा 80 साल पुराना इबादतखाना
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Pakistan: अहमदिया मुसलमानों का इल्जाम; पुलिस और चरमपंथियों ने तोड़ा 80 साल पुराना इबादतखाना

Pakistan News: पाकिस्तान से अक्सर खबरें आती रहती हैं कि यहां पर अहमदिया मुसलमानों को निशान बनाया जाता है. ताजा मामला पाकिस्तान के पंजाब का है. इल्जाम है कि यहां पर मकामी लोगों के साथ मिलकर पुलिस ने उनके 80 साल पुराने धार्मिक स्थल को बर्बाद कर दिया.

Pakistan: अहमदिया मुसलमानों का इल्जाम; पुलिस और चरमपंथियों ने तोड़ा 80 साल पुराना इबादतखाना

Pakistan News: पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में पुलिस और एक इस्लामी पार्टी के सदस्यों ने अल्पसंख्यक अहमदिया समुदाय के 80 साल पुराने पूजा स्थल को कथित तौर पर ध्वस्त कर दिया. एक अफसर ने शनिवार को यह जानकारी दी. अधिकारी ने बताया कि यह मामला शुक्रवार को लाहौर से लगभग 100 किलोमीटर दूर सियालकोट के दसका कलां में घटी. जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान (JAP) के मुताबिक मकामी इंतजेमिया ने धार्मिक कट्टरपंथियों के दबाव में अहमदिया पूजा स्थल को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया.

प्लान बना कर हमला किया
JAP ने बताया कि इस धार्मिक स्थल का निर्माण भारत के बंटवारे से पहले पाकिस्तान आंदोलन के सदस्य और आजाद राष्ट्र के पहले विदेश मंत्री सर जफरुल्लाह खान ने कराया गया था. JAP ने बताया, "शुक्रवार की रात को अधिकारियों ने इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया और अहमदिया लोगों को उनके मजहब का पालन करने के मौलिक अधिकार से वंचित किया. ऐसा लगता है कि अहमदिया धार्मिक स्थल पर प्लान बना कर हमला किया गया." अहमदिया समुदाय के संगठन ने बताया कि तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के सदस्यों ने अहमदिया धार्मिक स्थल को ध्वस्त किए जाने के दौरान धार्मिक नारे लगाए. उसने बताया कि पिछले साल अहमदिया समुदाय के 22 धार्मिक स्थलों को अपवित्र किया गया था.

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कब्रिस्तान में तोड़फोड़
पिछले साल सितंबर में पंजाब के दीगर हिस्सों में अहमदिया समुदाय के कब्रिस्तानों में भी तोड़-फोड़ की गई थी. पुलिस और टीएलपी के सदस्यों ने कब्रों पर लिखे पवित्र शिलालेखों पर काला रंग पोत दिया था. पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय को अक्सर उसकी मजहबी मान्यताओं की वजह से निशाना बनाया जाता है. अहमदिया समुदाय के लोग खुद को मुसलमान मानते हैं, लेकिन 1974 में पाकिस्तान की संसद ने इस समुदाय को गैर-मुस्लिम घोषित कर दिया था. गैर मुस्लिम घोषित किये जाने के एक दशक बाद उन्हें न केवल खुद को मुसलमान कहने पर पाबंदी लगा दिया गया, बल्कि इस्लाम की दीगर परपंराओं का पालन करने पर भी रोक लगा दी गई.

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