डायबिटीज़ के मरीज़ नियमित तौर पर आहार में शामिल करें दाल; शुगर कंट्रोल करने में मिलेगी मदद
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डायबिटीज़ के मरीज़ नियमित तौर पर आहार में शामिल करें दाल; शुगर कंट्रोल करने में मिलेगी मदद

Sugar Patients Diet: दालों में विटामिन बी और खनिज जैसे कैल्शियम, पौटेशियम और मैग्नीशियम काफी तादाद में मौजूद रहते हैं. यह शुगर के बड़े हुए लेवल को कम करने में मददगार साबित होते है. वहीं, दालों के इस्तेमाल से शरीर में होने वाली कमजोरी से भी निजात हासिल की जा सकती है. 

डायबिटीज़ के मरीज़ नियमित तौर पर आहार में शामिल करें दाल; शुगर कंट्रोल करने में मिलेगी मदद

Lentils For Diabetes: आज के दौर में हर दूसरा शख्स  शुगर की बीमारी से जूझ रहा है. अगर आप अपनी शुगर को कंट्रोल में रखना चाहते हैं तो रेग्युलर तौर में अपने खाने में दाल को शामिल करें। इसमें पोषक तत्वों के साथ मिलने वाला प्रोटीन आपको सेहतमंद रखने में मदद करेगा. हेल्थ एक्सपर्ड के मुताबिक दाल में सॉल्यूबल और नॉन-सॉल्यूबल डाइटरी फाइबर काफी मात्रा में पाए जाते हैं जो ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा को कंट्रोल में रखता है. साथ ही, अघुलनशील फाइबर मरीजों को कब्ज की परेशानी से दूर रखता है.

शारीरिक-मानसिक विकास में प्रोटीन का अहम रोल: एक्सपर्ड
मुंबई के अपोलो अस्पताल की सीनियर कॉसल्टेंट डॉ. तृप्ती दूबे के अनुसार, हर उम्र में शारीरिक एवं मानसिक विकास में प्रोटीन का अहम रोल होता है. महिलाओं में पीरियड से होने वाले नुकसान, गर्भावस्था में बच्चों के उचित विकास, पैदा होने पर बच्चों के उचित विकास एवं आगे मांसपेशयों के विकास में प्रोटीन का अहम रोल होता है. बुजुर्ग लोगों में भी नए सेल को बनाने में प्रोटीन रिच डाइट की भूमिका होती है. इसके अलावा दालों में घुलनशील और अघुलनशील डायट्री फाइबर होते हैं. घुलनशील फाइबर ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल रखने में मदद करते हैं. साथ ही, इसमें काफी मात्रा में फाइबर पाया जाता है जो खाने में मौजूद ग्लूकोज को जल्दी टूटने नहीं देते हैं.

"दालों का इस्तेमाल सेहत के लिए ज़रूरी"
हर उम्र में जिस्मानी और मानसिक विकास के लिए प्रोटीन को हर रोज तय मात्रा में लेना जरूरी होता है. लिहाजा दालों का इस्तेमाल सेहत के लिए बेहद अहम है. यही वजह है कि सरकार चाहती है कि हर आम और खास की थाली में जरूरी मात्रा में कोई न कोई दाल जरूर हो. इत्तेफाक से उत्तर प्रदेश दलहन की सबसे अधिक पैदावार वाला राज्य भी है. ऐसे में इसकी भूमिका भी दलहनी फसलों के उत्पादन में अहम हो जाती है. यूपी सरकार लगातार इस बारे में कोशिश भी कर रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक दशक में दालों का ग्रॉस वैल्यू आउटपुट (जीवीओ) तकरीबन 250 फीसद बढ़ा है, जबकि एक दशक पहले दालों का जीवीओ 18 हजार करोड़ रुपये था जो बढकर 45 हजार करोड़ रुपये हो गया.

खरीफ की फसलों के लिए MSP घोषित
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 7 जून को खरीफ की फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) घोषित किया है. इसमें सबसे अधिक 10.4 फीसद का इजाफा मूंग की दाल का है. साल 2022-2023 में यह फी क्विंटल  7755 था. इस साल इसे बढ़ाकर 8558 रुपये कर दिया गया. इसी तरह अरहर की एमएसपी 6600 से 7000, उड़द की 6600 से 6950 रुपये कर दी गई. 2016-17 से 2020-21 के दौरान दलहन की पैदावार 23.94 मीट्रिक टन से बढ़कर 25.34 लाख मीट्रिक टन हो गई. इस दौरान फी हेक्टेयर उत्पादकता 9.5 कुंतल से बढ़कर 10.65 कुंतल हो गई.

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