नई दिल्लीः हिमाचल प्रदेश में 15 मई से 30 मई तक मां मातंगी के दिव्य दरबार का 15 दिवसीय त्रिकालदर्शी चमत्कारी दरबार का आयोजन होने जा रहा है. इस अद्भुत आयोजन को सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक आयोजित किया जाएगा. इस दरबार में सदगुरु प्रेमा साईं जी महाराजजी के द्वारा प्रश्नों के उत्तर दिए जाएंगे, और अस्थमा रोग का निशुल्क इलाज भी किया जाएगा.
गुरुदेव द्वारा पहले से ही समस्याओं का समाधान करने के लिए तैयार पर्चे पर लिखे जाएंगे, और तीसरे दिन सभी समस्याओं का अंत भी किया जाएगा. इस दिव्य दरबार में देश-विदेश से श्रद्धालु गण आने वाले हैं, जो मां मातंगी को देवी मानते हैं. गुरुदेव प्रेमा साईं जी महाराज को मां बगलामुखी, मां छिंदमस्तिका, और मां मातंगी की कृपा प्राप्त है.
यह दरबार रायपुर से 41 किलोमीटर दूर न्यू धमतरी रोड कुरूद तहसील के जीजम गांव में स्थित है. इस पवित्र आयोजन पर विश्वासी व्यक्तियों को निरंतर नेतृत्व कर रहे हैं गुरुजी श्री प्रेमा साईं जी महाराज, आध्यात्मिक ज्ञान और करुणा की मूर्त. माँ मातंगी के सबसे उत्साही शिष्यों में से एक के रूप में माने जाते हैं, गुरुजी का विचारधारा आध्यात्मिक ज्ञान को फैलाने और धार्मिकता को प्रदान करने के लिए समर्पित है, जो मंदिर के पवित्र परिसर में शरण तलाशने वालों को प्रदान करते है.
इस कार्यक्रम के साक्षी बन सकते हैं. पूरे भारत में मां मातंगी दिव्य दरबार लग चुका है, जहां अनेक लोगों ने अपने कष्टों से मुक्ति पाई है. इस दरबार में आध्यात्मिक ज्ञान और भक्ति की महत्वपूर्ण प्रक्रिया होगी, जहां भक्तगण अपने अनुभवों को साझा करेंगे. गुरुदेव द्वारा संदेश और संवाद के माध्यम से उनकी आत्मा को प्रेरित किया जाएगा. इस आयोजन में आने वाले लोग देश और विदेश से होंगे, जो अपनी आत्मिक खोज में लगे हुए हैं. उनका सहयोग इस आयोजन को और भी महत्वपूर्ण बनाएगा.
गुरुदेव के द्वारा प्रदान की जाने वाली निशुल्क चिकित्सा सेवा समस्याओं का समाधान करेगी. उनका आध्यात्मिक और औषधिक सहयोग रोगियों को नई आशा देगा. इस दिव्य आयोजन की व्यावस्था और संचालन में समुदाय का गहरा सहयोग होगा. स्थानीय समुदाय का विशेष स्वागत उन्हें आत्मा के संवाद में शामिल करेगा. यह समाज के लिए एक अद्भुत पहल है जो आध्यात्मिकता को और भी नजदीक लाने में सहायक होगी.
इस अनूठे आयोजन में शामिल होने से लोग न केवल आत्मिक सुख और शांति का अनुभव करेंगे, बल्कि उन्हें नई उम्मीदें और शक्ति की प्राप्ति होगी. इसके अलावा, इस आयोजन से सामाजिक एवं आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण लाभ होगा, क्योंकि इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि होगी और समुदाय को और भी सशक्त बनाने में मदद मिलेगी. इसका प्रभाव दरबार के बाहर भी महसूस होगा, जब भक्तगण अपने नए उत्साह और संजीवनी अनुभवों को साझा करेंगे.