Commonwealth Games 2022, Achinta Sheuli: बर्मिंघम में जारी कॉमनवेल्थ गेम्स में रविवार को भारत के लिये अचिंता शेउली ने वेटलिफ्टिंग का तीसरा गोल्ड जीता. वेटलिफ्टिंग इवेंट में दूसरे दिन से शुरू हुआ पदकों का स्वर्णिम अभियान रविवार को भी जारी रहा और अचिंता शेउली ने पुरूषों के 73 किलो वर्ग में नये रिकॉर्ड के साथ बाजी मारकर तीसरे दिन का समापन किया. कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय टीम के खाते में अब तक 6 पदक आ चुके हैं और यह सभी मेडल उसे वेटलिफ्टिंग के इवेंट में ही मिले हैं.
भारत के लिये इससे पहले अपना पहला सीनियर अंतर्राष्ट्रीय गेम खेल रहे जेरेमी लालरिननुंगा ने गोल्ड मेडल जीतने का कारनामा किया था. पश्चिम बंगाल के शेउली ने स्नैच में 143 किलो वजन उठाया जो कि राष्ट्रमंडल खेलों का नया रिकॉर्ड हैं. उन्होंने क्लीन एवं जर्क में 170 किलो समेत कुल 313 किलो वजन उठाकर राष्ट्रमंडल खेलों का रिकॉर्ड अपने नाम किया.
सिर्फ 11 की उम्र में हो गया था पिता का निधन
हालांकि कॉमनवेल्थ गेम्स में पोडियम पर तिरंगा लहराने वाले इस खिलाड़ी का यहां तक का सफर आसान नहीं रहा है. अचिंता की बात करें तो उन्होंने वेटलिफ्टिंग को बतौर करियर अपनाने के लिये महज 10 साल की उम्र से ही तैयारी शुरू कर दी थी. अचिंता ने अपने भाई के साथ जिम में वक्त बिताने के साथ इसकी शुरुआत की जहां पर वो सिर्फ बैठक (दंड-बैठक) और डॉन (खास तरह का पुशअप) लगाया करते थे.
अचिंता की तरह उनके भाई आलोक भी वेटलिफ्टर बनना चाहते थे लेकिन जब साल 2013 में उनके पिता का निधन हो गया तो आलोक को परिवार की मदद करने के लिये अपने सपने का बलिदान करना पड़ा. जहां पर आलोक ने अपने सपने का त्याग किया तो वहीं पर परिवार के रोज के खर्चों को निकालने के लिये उनकी मां ने कपड़ों की सिलाई शुरू कर दी.
इन सबके बीच अचिंता ने अपने सपने को जीना जारी रखा और न सिर्फ अपने हिस्से का बल्कि भाई के हिस्से के सपने को भी पूरा करने की ठानी. पिछले साल जूनियर विश्व वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप में रजत पदक जीतने वाले शेउली ने दोनों सर्वश्रेष्ठ लिफ्ट तीसरे प्रयास में किये. मलेशिया के ई हिदायत मोहम्मद को रजत और कनाडा के शाद डारसिग्नी को कांस्य पदक मिला. उन्होंने क्रमश: 303 और 298 किलो वजन उठाया.
मां, भाई और कोच को समर्पित किया अपना गोल्ड
शेउली ने जीत के बाद कहा, ‘मैं इस जीत से बहुत खुश हूं. मैंने इस पदक के लिए कड़ी मेहनत की थी. मेरे भाई, मां, मेरे कोच और सेना के बलिदान से मुझे यह पदक मिला यह मेरी जिंदगी में पहली बड़ी प्रतियोगिता थी और मैं इस मुकाम पर पहुंचने के लिये इन सभी का आभार व्यक्त करता हूं. यह पदक मुझे जिंदगी के हर पहलू में मदद करेगा. अब यहां से पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए. मैं इसे अपने स्वर्गीय पिता, अपनी मां और मेरे कोच विजय शर्मा को समर्पित करना चाहूंगा. मेरे कोच ने मुझे हमेशा अपने बच्चे की तरह समझाया और जब भी मैं कोई गलती करता था तो वह मुझे थप्पड़ मारते थे.’
शेउली ने स्नैच वर्ग में 137 किग्रा, 140 किग्रा और 143 किग्रा वजन उठाया. उन्होंने 143 किग्रा के प्रयास से खेलों का नया रिकॉर्ड बनाया और अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन में भी सुधार किया. शेउली का यह पदक भारत का वेटलिफ्टिंग में छठा पदक है. कोलकाता के इस वेटलिफ्टर ने क्लीन एवं जर्क में 166 किग्रा भार आसानी से उठाया.
कोच शर्मा ने की शांत रहने में मदद
वह दूसरे प्रयास में 170 किग्रा भार नहीं उठा पाये लेकिन अगले प्रयास में इतना भार उठाकर कुल 313 किग्रा के साथ खेलों का नया रिकार्ड बनाने में सफल रहे. इस भारतीय खिलाड़ी को आखिर तक इंतजार करना पड़ा क्योंकि मलेशियाई भारोत्तोलक ने आखिरी दो प्रयास में 176 किग्रा भार उठाने का प्रयास किया लेकिन वह इसमें नाकाम रहे.
शेउली से पूछा गया कि क्लीन एवं जर्क में आखिरी प्रयास से पहले कोच शर्मा ने उनसे क्या कहा, उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने कहा मेरा स्वर्ण पदक पक्का है बस मुझे शांत चित्त बने रहना है. मैं थोड़ा नर्वस था लेकिन उसका प्रदर्शन मुझ से कमतर था और मैं यह भार उठाने में सफल रहा.’
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