भूल गए आंखों की चोट, रातों को नहीं ली नींद, जानें रामलला की मूर्ति बनाने वाले अरुण योगीराज की कहानी

अरुण योगीराज का कहना है- बच्चे जैसे चेहरे के साथ-साथ दिव्य पहलू को ध्यान में रखते हुए मैंने लगभग छह से सात महीने पहले अपना काम शुरू किया था. सच्ची खुशी मुझे तब होगी जब लोग इसकी सराहना करेंगे.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 16, 2024, 08:01 PM IST
  • अरुण योगीराज का संघर्ष.
  • मूर्ति बनाने में दिन-रात एक किया.
भूल गए आंखों की चोट, रातों को नहीं ली नींद, जानें रामलला की मूर्ति बनाने वाले अरुण योगीराज की कहानी

मैसुरु. अयोध्या के राममंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को होगी. मंदिर के लिए तीन कलाकारों ने रामलला की अलग-अलग मूर्तियां बनाई थीं. इसमें से कर्नाटक के मूर्तिकार अरुण योगीराज की मूर्ति को मंदिर के लिए चुनाव गया है. अरुण योगीराज की तराशी हुई 'रामलला' की मूर्ति को गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा.  योगीराज ने इस मूर्ति को दिव्य और आलौकिक स्वरूप प्रदान करने के लिए दिन रात एक कर दिया था.

आंख पर लगी चोट की परवाह नहीं की
योगीराज ने न आंख पर लगी चोट की परवाह की और न ही नींद की. योगीराज ने-मूर्ति एक बच्चे की बनानी थी, जो दिव्य हो, क्योंकि यह भगवान के अवतार की मूर्ति है. जो भी कोई मूर्ति को देखें उसे दिव्यता का एहसास होना चाहिए. बच्चे जैसे चेहरे के साथ-साथ दिव्य पहलू को ध्यान में रखते हुए मैंने लगभग छह से सात महीने पहले अपना काम शुरू किया था. सच्ची खुशी मुझे तब होगी जब लोग इसकी सराहना करेंगे.

काम में इतने तल्लीन रहे कि पत्नी से भी होती थी कम बात
योगीराज की पत्नी का कहना है-जब यह कार्य (योगीराज को) दिया गया तो हमें पता चला कि इसके लिए उचित पत्थर मैसूरु के पास उपलब्ध है. हालांकि, वह पत्थर बहुत सख्त था. इसकी नुकीली परत उनकी आंख में चुभ गई और उसे ऑपरेशन के जरिए निकाला गया. दर्द के दौरान भी वह नहीं रुके और काम करते रहे. योगीराज कई रात सोए नहीं और रामलला की मूर्ति बनाने में तल्लीन रहे. ऐसे भी दिन थे जब हम मुश्किल से बात करते थे और वह परिवार को भी मुश्किल से समय देते थे. अब सारी मेहनत की भरपाई हो गई है.

पिता से सीखी हैं बारीकियां
अरुण योगीराज के भाई सूर्यप्रकाश ने कहा-योगीराज ने इतिहास रचा है और वह इसके हकदार थे. यह उनकी कड़ी मेहनत और समर्पण है जो उन्हें इतनी ऊंचाइयों तक ले गया. योगीराज ने मूर्तिकला की बारीकियां अपने पिता से सीखीं. वह बचपन से इसे लेकर उत्सुक थे.

बता दें कि राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने सोमवार को अयोध्या में घोषणा की थी कि नई मूर्ति में भगवान राम को पांच साल के बच्चे के रूप में खड़ी मुद्रा में दर्शाया गया है और कहा कि इसे 18 जनवरी को 'गर्भगृह' में 'आसन' पर विराजमान किया जाएगा. योगीराज ने ही केदारनाथ में स्थापित आदि शंकराचार्य की मूर्ति और दिल्ली में इंडिया गेट के पास स्थापित की गई सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा बनाई है.

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