20 साल पुराने धोखाधड़ी के मामले में NRI बुजुर्ग को क्यों मिली जमानत, जानिए क्या है पूरा मामला

साल 1998 में धोखाधड़ी के एक मामले में 79 साल के बुजुर्ग NRI सुरेश शर्मा को दिल्ली की सीबीआई स्पेशल कोर्ट से जमानत मिल गई है. राउज एवेन्यू कोर्ट के सीबीआई स्पेशल जज राकेश कुमार शर्मा ने आरोपी बुजुर्ग को एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी.

Written by - Sumit Kumar | Last Updated : Apr 15, 2022, 03:54 PM IST
  • पिछले माह CBI ने सर्कुलर जारी कर गिरफ्तार कर लिया था
  • कोर्ट ने आरोपी को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था
20 साल पुराने धोखाधड़ी के मामले में NRI बुजुर्ग को क्यों मिली जमानत, जानिए क्या है पूरा मामला

नई दिल्ली: साल 1998 में धोखाधड़ी के एक मामले में 79 साल के बुजुर्ग NRI सुरेश शर्मा को दिल्ली की सीबीआई स्पेशल कोर्ट से जमानत मिल गई है. राउज एवेन्यू कोर्ट के सीबीआई स्पेशल जज राकेश कुमार शर्मा ने आरोपी बुजुर्ग को एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी. दरअसल, अमेरिका में रहने वाले सुरेश शर्मा की बहन और बहनोई दिल्ली में रहते थे. इनके खिलाफ वीएसएनएल ने 1998 में टेलीग्राफ एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया था. इन तीनों पर इंटरनेशनल प्राइवेट लीज सर्किट सर्विस लेकर उसे धोखाधड़ी से पब्लिक स्विच टेलीफोन नेटवर्क से जोड़कर करीब 7 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप था.

आपको बता दें कि पिछले माह CBI ने सुरेश शर्मा को लुक आउट सर्कुलर जारी कर गिरफ्तार कर लिया था और कोर्ट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया था. आरोपी सुरेश कुमार की ओर से स्पेशल सीबीआई कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की गई. जमानत पर सुनवाई के दौरान आरोपी सुरेश कुमार के वकील विनीत जिंदल ने कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि मामले में जांच के दौरान सीबीआई ने किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया था और कोर्ट ने सुरेश शर्मा की बहन को साजिश रचने का दोषी पाया था, लेकिन टेलीग्राफ एक्ट का उल्लंघन करने के आरोपों से बरी कर दिया गया था.

क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि वीएसएनएल कंपनी ने 1998 में टेलीग्राफ एक्ट के तहत सुरेश शर्मा और उनके बहन-बहनोई पर मुकदमा दर्ज कराया था. बुजुर्ग के खिलाफ सीबीआई की ओर से साल 1998 में ही टेलीग्राफ एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था. इन तीनों आरोपियों पर इंटरनेशनल प्राइवेट लीज सर्किट सर्विस लेकर उसे धोखाधड़ी से पब्लिक स्विच टेलीफोन नेटवर्क से जोड़कर करीब सात करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप था. इस मामले में बुजुर्ग की बहन को सजा हुई थी, जबकि बहनोई का ट्रायल के दौरान ही निधन हो चुका था.

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