नई दिल्ली: समाज में भले ही बदलाव को लेकर लाख दावे किए जाते हो, लेकिन ऐसी आज भी घटनाएं सामने आती है जिससे पूरा समाज शर्मसार हो जाता है. ऐसा ही एक मामला महाराष्ट्र के नासिक से सामने आया, जहां एक सरकारी बोर्डिंग स्कूल की एक आदिवासी छात्रा ने एक पुरुष शिक्षक पर गंभीर आरोप लगाया है.
पीरियड्स में पेड़ लगाने से रोका तो हुआ एक्शन
दरअसल, एक आदिवासी छात्रा ने आरोप लगाया है कि एक पुरुष शिक्षक ने उसे और अन्य लड़कियों को पीरियड्स के दौरान वृक्षारोपण अभियान में हिस्सा लेने से रोक दिया. इस पर महाराष्ट्र के महिला आयोग ने भी मामले पर संज्ञान लिया है और कार्रवाई के निर्देश दिया है.
इस मामले ने तूल पकड़ लिया है और अपर आयुक्त ने दोषी शिक्षक पर कार्रवाई करने के आदेश दिए. मामला इतना बढ़ गया कि महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग तक पहुंच गया. महिला आयोग ने भी संबंधित शिक्षक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है.
'पीरियड्स में पेड़ लगाओगी तो सड़ जाएंगे'
शिक्षक ने इसका कारण ये बताया कि उनके मासिक धर्म के दौरान पेड़ लगाने से पेड़ सड़ जाएंगे और उगेंगे नहीं. इसके बाद आदिवासी विकास विभाग ने मामले में जांच के आदेश दिए हैं. अपने शिकायत आवेदन में, विज्ञान संकाय की बारहवीं कक्षा की छात्रा ने दावा किया कि शिक्षक ने उसे और अन्य से कहा था कि अगर माहवारी के दौरान लड़कियां पेड़ लगाएंगी तो वे जल जाएंगे और उगेंगे नहीं.
शिकायतकर्ता लड़की त्र्यंबकेश्वर तालुका के देवगांव में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक आश्रम स्कूल में पढ़ती है. आदिवासी विकास विभाग (टीडीडी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने उक्त मामले के संबंध में शिकायत मिलने की पुष्टि की है.
छोटी सोच रखने वाले शिक्षक पर हुआ एक्शन
अतिरिक्त आयुक्त संदीप गोलैत ने कहा, 'बालिका के सहपाठियों, शिक्षकों, अधीक्षक और प्राचार्य सहित सभी के बयान दर्ज किए जाएंगे और मामले की जांच की जाएगी.' बुधवार को नासिक जिले की अतिरिक्त जिला अधिकारी और टीडीडी परियोजना अधिकारी वर्षा मीणा ने स्कूल में छात्रा से मुलाकात की और उसकी समस्याओं के बारे में पूछा
छात्रा ने अपनी शिकायत में कहा है कि शिक्षक ने पिछले सप्ताह स्कूल परिसर में आयोजित वृक्षारोपण अभियान के दौरान मासिक धर्म वाली लड़कियों को पेड़ लगाने से मना किया था. स्कूल में कुल 500 छात्राएं पढ़ती हैं. शिक्षक ने छात्राओं से कहा कि वह पेड़ों के पास न जाएं, क्योंकि पिछले साल मासिक धर्म के दौरान जिन लड़कियों ने पौधे लगाए थे, वह बड़े नहीं हुए.
पुरुष शिक्षक को लेकर अधिकारी ने दी ये जानकारी
छात्रा ने कहा कि वह पेड़ नहीं लगा सकी. इसके बाद लड़की ने श्रमजीवी संगठन के नासिक जिला सचिव भगवान मधे से संपर्क किया. मधे ने बताया कि लड़की पुरुष शिक्षक का विरोध नहीं कर सकी, क्योंकि वह उसके शिक्षक हैं और उसे धमकी दी गई कि मूल्यांकन के 80 प्रतिशत अंक स्कूल अधिकारियों के हाथ में हैं.
मधे ने कहा कि उन्होंने गोलैत से फोन पर बात की और 26 जुलाई को लड़की के साथ नासिक में आदिवासी विकास भवन जाकर संबंधित शिक्षक के खिलाफ एक ज्ञापन सौंपा. उन्होंने कहा, ''शिक्षक शिकायतकर्ता और अन्य लड़कियों को ताना मारता था.
स्कूल में छात्रों की अन्य शिकायतें भी हैं जैसे नहाने के लिए गर्म पानी और सोने के लिए गद्दे की अनुपलब्धता. स्कूल ने प्रवेश के लिए मूत्र गर्भावस्था परीक्षण (यूजीपी) को भी अनिवार्य किया हुआ है. हालांकि, ऐसा कोई नियम नहीं है और छात्राओं को इसका खर्च वहन करना पड़ता है.''
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