AGR मामले में सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को दी राहत

टेलीकॉम कंपनियों को AGR (adjusted gross revenue ) मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. इस फैसले से भारती एयरटेल (Bharti Airtel), वोडाफोन (Vodafone) जैसी कंपनियों ने राहत की सांस ली है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कंपनियां AGR का भुगतान किश्तों में कर सकती हैं. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 1, 2020, 02:55 PM IST
    • सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों से कहा कि वो AGR की रकम का भुगतान किश्तों में कर सकती हैं
    • टेलीकॉम कंपनियों को कुल AGR का 10 परसेंट अपफ्रंट पेमेंट 31 मार्च तक देना होगा
AGR मामले में सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को दी राहत

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को बड़ी राहत दी है. उन्हें AGR (adjusted gross revenue ) का बकाया चुकाने के लिए लंबा वक्त मिला है. इसके बाद टेलीकॉम कंपनियां अपना कारोबार भारत में बनाए रख सकती हैं. दरअसल वोडाफोन ने कहा था कि अगर उन्हें राहत नहीं दी जाती है तो भारत में वोडाफोन को अपना कारोबार समेटना पड़ सकता है. 

किश्तों में कर सकते हैं भुगतान
जानकारी के मुताबिक, टेलीकॉम कंपनियों को AGR (adjusted gross revenue ) मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. इस फैसले से भारती एयरटेल (Bharti Airtel), वोडाफोन (Vodafone) जैसी कंपनियों ने राहत की सांस ली है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कंपनियां AGR का भुगतान किश्तों में कर सकती हैं. 

किश्तों में कर सकते हैं AGR पेमेंट
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच में शामिल जस्टिस अरुण मिश्रा ने फैसला सुनाया. उन्होंने कहा कि टेलीकॉम कंपनियों को कुल AGR का 10 परसेंट अपफ्रंट पेमेंट 31 मार्च तक देना होगा, इसके बाद 1 अप्रैल 2021 से बाकी पेमेंट की शुरुआत होगी.

7 फरवरी से हर साल टेलीकॉम कंपनियों को बिना चूके AGR का भुगतान DoT को करना होगा. सालाना पेमेंट में कोई लापरवाही हुई तो इसे अवमानना समझा जाएगा और इस पर कार्रवाई की जाएगी. 

20 साल की मांगी थी मोहलत
सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों से कहा कि वो AGR की रकम का भुगतान किश्तों में कर सकती हैं. इसके लिए कंपनियों के सभी मैनेजिंग डायरेक्टर्स, चेयरमैन को हलफनामा देना होगा. टेलीकॉम डिपार्टमेंट (DoT) ने मार्च में सुप्रीम कोर्ट में AGR चुकाने के लिए टेलीकॉम कंपनियों को 20 साल की मोहलत देने की अपील की थी.

जिसमें स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज, लाइसेंस फीस, ब्याज, पेनाल्टी सभी कुछ शामिल है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे नहीं माना. 

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