नई दिल्ली: दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर नेशनल हाई-वे नम्बर 9 जिसे रोहतक हाई-वे भी कहा जाता है, वो 9 महीने से एक ऐसे आंदोलन के नाम पर बंद है जिस आंदोलन में असली किसानों की मौजूदगी कम और किसान के भेष में अराजक तत्वों के लिए अय्याशी का अड्डा बन चुका है.
गंदे नाले के बगल में क्या होता था?
इस ऑपरेशन को ज़ी हिन्दुस्तान के अंडर कवर रिपोर्टर ने शुरू किया, उस जंगल नुमा जगह से जो टिकरी बॉर्डर पर रोहतक हाईवे के पास बहादुरगढ़ इलाके में आता है और गंदे नाले के बगल में है. यहीं की झाड़ियों और झुरमुटों में अय्याजीवियों का डर्टी खेल होता है.
हमारे अंडर कवर रिपोर्टर साधारण वेशभूषा में एक फर्जी किसान के जरिए ही पहुंचे, जो उन्हें सेक्स, शराब और पैसों का लालच देकर आंदोलन में शामिल करना चाह रहा था. ये खबर थी कि यहां पर किसान की भेष में आए आंदोलनजीवी दरअसल अय्याशी करने आते हैं. आपको इस स्टिंग में रिपोर्टर ने सेक्सवर्कर से क्या बात की आप नीचे पढ़िए...
रिपोर्टर- रोड पर जो बैठे हैं वो भी आते हैं क्या?
सेक्सवर्कर- रोड पर कौन बैठा है?
रिपोर्टर- उधर जो बैठे हैं?
सेक्सवर्कर- इधर कौन बैठे हैं, ये जो सरदार हैं वो?
रिपोर्टर- सरदार आते हैं क्या?
सेक्सवर्कर- आते हैं, आते हैं, कभी-कभी आते हैं
रिपोर्टर- तो पैसा देते हैं?
सेक्सवर्कर- हां, और क्या फ्री में *&%^ हैं?
रिपोर्टर- कितना?
सेक्सवर्कर- 100-200, 300, 400, 500 दे जाते हैं
रिपोर्टर- ये जो किसान हैं?
सेक्सवर्कर- हां
ये अकेली सेक्सवर्कर नहीं थे. इनके अलावा इस जंगल में बहुत सारी ऐसी सेक्सवर्कर्स हैं जिनके अड्डे बने हुए हैं.
रिपोर्टर- ये कहां से है?
सेक्सवर्कर- ये तो रोटी लाने गया था, यहीं से है. तेरे को डर लग रहा है क्या?
रिपोर्टर- नहीं डर नहीं है
सेक्सवर्कर- हां तो चल अंदर चल
ये आंदोलन के पीछे की सच्चाई है, ये 9 महीने तक एक हाई-वे पर कब्जा कर के दिल्ली को बंधक बनाने की सच्चाई है और ये आंदोलनजीवी भी नहीं हैं.
राकेश टिकैत, गुरुनाम सिंह चढ़ूनी को इस सच्चाई को देखने की आवश्यकता है. संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं को इसे देख लेना चाहिए. ये किसानों के नाम पर किए जाने वाले आंदोलन की है.
रिपोर्टर- उधर जा रहे हैं क्या?
रिपोर्टर- देख लेना उधर पुलिस है
फर्जी किसान- खड़ा है?
रिपोर्टर- हां, तभी तो बोल रहा हूं
फर्जी किसान- पाजी, पुलिस खड़ी है
रिपोर्टर- पुलिस है उधर, वहीं जा रहे हो ना
फर्जी किसान- हां वहीं
रिपोर्टर- भाई हम लोग भी गए थे, *$%^ पुलिस है वहां भाग आया
फर्जी किसान- हां, पुलिस है वहां?
रिपोर्टर- हां, *&%^ पुलिस है वहां, वहीं जा रहे हो ना
फर्जी किसान- हां, ये *%^& %^$ जाएंगे
रिपोर्टर- हां, वही करने जा रहे हो ना
फर्जी किसान- हां, मैं गया था लेकिन पुलिस थी तो भाग आया
ये तो नए शिकार थे, जिन्हें आंदोलनजीवियों का दलाल अय्याशी का सैम्पल दिखाने ले जा रहा था लेकिन जो अनुभवी हैं उनके लिए पुलिस का डर कुछ नहीं
रिपोर्टर- सत श्री अकाल पाजी
फर्जी किसान- सत श्री अकाल
रिपोर्टर- उधर पुलिस है
फर्जी किसान- क्या?
रिपोर्टर- पुलिस है उधर, वहां वो होता है ना तो मैं भाग आया
फर्जी किसान- नहीं नहीं कोई बात नहीं, सीधे जाना है
जाहिर है अब तक के हमारे ऑपरेशन में ये खुलासा हो चुका है कि किस तरह से टिकरी बॉर्डर के पास हाई वे को जाम करने के लिए आस-पास के राज्यों से लोगों को अय्याशी का लालच देकर यहां लाया जाता है. अब आपको बताते हैं कि फर्जी, भाड़े पर आने वाले किसानों और उनके इस सेक्स के अड्डे का रेट कार्ड क्या है.
किसान आंदोलन की आड़ में कैसे शराब और शबाब का कॉकटेल परोसा जा रहा है. कैसे इसके लालच में नकली किसानों को बॉर्डर पर बिठाया जा रहा है.
किसान आंदोलन की शक्ल में किस तरह का घिनौना काम किया जा रहा है, किस तरह से एक साजिश के तहत लोगों को पैसों का, सेक्स का और शराब का लालच देकर दिल्ली के बॉर्डर तक लाया जाता है. उसी का खुलासा करने के लिए ज़ी मीडिया के अंडर कवर रिपोर्टर उस हाई-वे पर एक किसान बन कर उतरे थे जिसे आंदोलनजीवियों ने एक अलग ही ज़िला बना दिया है.
ज़ी मीडिया की पड़ताल में हमें ऐसे कई किरदार मिले जो किसान आंदोलन की सच्चाई बता रहे थे, आपको उस बातचीत का हिस्सा जरूर पढ़ना चाहिए..
रिपोर्टर- आपको मिलते हैं पैसे, कितने?
फर्जी किसान- 300
रिपोर्टर- 300 रुपए डेली, कौन देता है?
फर्जी किसान- टेंट के मालिक
रिपोर्टर- अच्छा जो आपका टेंट लगा है, वो देते हैं
फर्जी किसान- 5 बंदे हैं तो 300 रुपए एक आदमी के
रिपोर्टर- तो 5 बंदों के 1500 रुपए रोज
फर्जी किसान- नहीं! 5 बंदे हैं उसमें तो 500 रुपया दो आदमी के
रिपोर्टर- अच्छा दो बंदे का 500 रुपए, एक बंदे का 300
फर्जी किसान- हां
पैसों के साथ सेक्स का स्वाद लेने आने वाले ये फर्जी किसान किस रेट पर दिल्ली का रुख करते हैं. इसकी तस्दीक करने के लिए हमारे अंडर कवर रिपोर्टर एक बार फिर बहुत ही साफ तरीके से सवाल किया कि वो पैसों के लालच में यहां आते हैं या फिर किसान आंदोलन के समर्थन में, जवाब आप नीचे पढ़िए..
रिपोर्टर- मुझे ये बताओ, अगर मैं यहां आता हूं तो क्या क्या फायदा है.
फर्जी किसान- पहले तो शराब मिल जाएगी.
रिपोर्टर- और
फर्जी किसान- पराया मिलेगा पराया (पराई औरत)
पराया मिलेगा यानी पराई औरत भी यहां मिलेगी और इसका इंतजाम कहीं और नहीं बल्कि इसी आंदोलन की जगह के पास सेक्स का अड्डा बनाया गया है.
ऐसे ही तथाकथित किसान आंदोलनकारियों के लिए यहां सेक्स की मंडी सजी है. टिकैतों और चढ़ूनियों की बातों में आने वालों का इस सच्चाई से रू-ब-रू होना बहुत जरूरी था और इसीलिए ज़ी मीडिया की स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम ने अपने जांबाज अंडर कवर रिपोर्टर्स को एक बार फिर भेजा था, उन्हीं जंगलों में जहां एक बार फर्जी किसान की शक्ल में पड़ताल की गई थी और जाना गया था कि आंदोलनजीवी कैसे अय्याशजीवी बनकर यहां रहते हैं.
ऑपरेशन अय्याशजीवी में ज़ी हिन्दुस्तान का मकसद यही था कि हम सच्चाई को सबके सामने लेकर आएं लेकिन अभी ऑपरेशन अय्याशजीवी का ये दूसरा चैप्टर था, तीसरे चैप्टर में हम आपको उन चश्मदीदों से मिलाएंगे जो हर रोज इनकी अय्याशी के गवाह बनते हैं.
इनवेस्टिगेशन आगे बढ़ी तो क्या हुआ?
जैसे-जैसे हमारी इनवेस्टिगेशन आगे बढ़ रही थी, वैसे-वैसे ये मामला और ज्यादा बढ़ता जा रहा था. दिल्ली के टिकरी बॉर्डर के पास गंदे नाले के बगल में बनी फैक्ट्रियों की ओर बढ़ने लगे. हमारी स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम को यकीन था कि यहां उन्हें ऐसे चश्मदीद मिल सकते हैं जो किसान आंदोलन के नाम पर चल रही अय्याशी के बारे में बखूबी जानते होंगे.
यहां फैक्ट्रीवालों को भरोसे में लेने के लिए ज़ी मीडिया के अंडरकवर रिपोर्टर को अपनी पहचान जाहिर करनी पड़ी. जिसके बाद यहां काम करने वाले और फैक्ट्री की देख-रेख करनेवाले कर्मचारियों ने बताया कि आंखों देखी LIVE अय्याशी देखनी है तो जंगल से लगी दीवार के पास की छत पर चढ़ जाएं.
औरतों के साथ बदतमीजी करने वाले और सेक्स की कोशिश करने वाले विजुअल का इस्तेमाल करेंगे, पूरी स्क्रीन को ब्लर करते हुए. ये ऐसी तस्वीरें थीं जिसे धुंधला करना हमारी मजबूरी है. ये तस्वीरें सीधे तौर पर हम दिखा नहीं सकते लेकिन यहां जो कुछ हो रहा था वो एक बार फिर पुख्ता कर गया कि टिकरी बॉर्डर पर जहां फर्जी किसानों ने कब्जा कर रखा है.
रिपोर्टर- ये कब से चल रहा है
चश्मदीद- 8-10 साल से चल रहा है
रिपोर्टर- किसान आंदोलन के बाद से?
चश्मदीद- उसके बाद तो, रेट बढ़ गए
इन चश्मदीदों के मुताबिक यहां आने वाले फर्जी किसान अपने दोस्तों और जानने वालों को वीडियो कॉलिंग कर के बताते हैं कि देखो यहां कितना मौज है और उन्हें भी दिल्ली के बॉर्डर पर इस आंदोलन में शामिल हो ने के लिए बुलाते हैं.
रिपोर्टर- इन लोगों को शर्म भी नहीं आती किसान के भेष में ये सब करते हैं
चश्मदीद- सब कुछ खत्म हो गया साहब, शासन देख रहा है, प्रशासन देख रहा है. 7 बजे के बाद इतने नशे में होते हैं कि बाथरूम भी सामने नहीं कर पाते हैं &^*$
चश्मदीद- गाड़ी के सामने आ जाते हैं
चश्मदीद- नहाकर तौलिया खोलकर, ऐसे ही टेंट में. रोड से आते जाते मतलब आदमी देखकर शर्म से मुंह फेर ले और वो तौलिया धो रहे हैं. बिल्कुल नंगा शरीर पर कपड़े का एक पीस नहीं.
जो बाते ये चश्मदीद बता रहे हैं उसकी तस्दीक करने के लिए हमारे अंडरकवर रिपोर्टर ने जब जायजा लिया तो हमें टिकरी बॉर्डर के आस-पास खुलेआम शराब पीते हुए लोग नजर आए, इनमें अधिकतर वो कथित किसान थे जिन्हें भाड़े पर यहां लाया गया. महज कुछ मिनटों में ही हमारे सामने तमाम घटनाएं गुजरीं, जैसे नशे में धुत एक शख्स हमारी गाड़ी के सामने आ गया.
रिपोर्टर- ये एक किसान अभी नशे में पड़ा हुआ था, किस चीज़ का नशा होता है यहां?
चश्मदीद- ये जो किसान भाई है ये दारू नहीं पीया था, दारू वाला आवाज निकालता है, चिल्लाता है. ये अफीम, डोडापोस्त. भुख्खी जिसे बोलते हैं ना, ये भुख्खी खाया हुआ था. भुख्खी के नशे में आदमी ऐसे हो जाता है.
चश्मदीद- हम तो ये पूछना चाहते हैं कि सरकार ये बताए जो किसान नेता बताते हैं कि ये असली किसान हैं या नकली किसान हैं. एक असली किसान ऐसे बेसुध पड़ा रहेगा क्या? ऐसे पड़ा रहेगा क्या? ये झककर नशे में पड़ा है. ये सब किराये के आदमी बैठे हैं, सिर्फ किराये के.
टिकैतों और चढ़ूनियों के कथित किसान आंदोलन की हकीकत आपके सामने है. ज़ी मीडिया के खुफिया कैमरे में कैद सबूतों में ये बात सामने आ चुकी है कि सेक्स के लिए भूखे लोग किसान बनकर यहां आते हैं और बकौल चश्मदीद यहां सैकड़ों की संख्या में किसान जंगल झाड़ियों में सेक्सवर्कर के धंधे का हिस्सा बनते जा रहे हैं.
चश्मदीद- अभी 15-20 दिन की बात है, ये चेम्बर में (INAUDIBLE) वो %^&$ भागने लगीं. ये कम्पनी में शायद आपको भी वीडियो गया होगा, वो कम्पनी में घुस गई. सारे सरदार वहां इकट्ठा हो गए. करीब 50-100 इकट्ठा हो गए थे मारने के लिए. ये बहादुरगढ़ में सबके पास वीडियो है, मेरे बॉस ने फोन किया कि कम्पनी में इन्होंने लड़ाई कर ली.
मतलब साफ है कि ज़ी हिंदुस्तान पर ऐसे बोलते हुए सबूत हैं जो परत दर परत उस साजिश को खोलता है, जिसकी वजह से देश का नाम खराब हुआ. जिसकी वजह से देश की राजधानी बंधक बनी रही. ये वो खुलासा है जिसकी वजह से देश की सियासत में भूचाल आ जाएगा क्योंकि जिस आंदोलन को सियासत का जरिया बनाया गया वहां अय्याशी होती थी.
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