मायावती का रामचरित मानस विवाद पर बड़ा बयान, बताया-अखिलेश यादव के दिमाग में क्या चल रहा

मायावती ने कहा है कि आगामी चुनावों को हिंदू-मुस्लिम उन्माद पर 'पोलराइज' करने के लिए सपा-भाजपा की मिलीभगत हो रही है. मायावती ने बसपा प्रमुख ने ट्वीट किया, “संकीर्ण राजनीति और चुनावी स्वार्थ के लिए नए  विवाद खड़े करने, जातीय-धार्मिक द्वेष, उन्माद पैदा करने तथा धर्मांतरण का सहारा लेने की भाजपा की राजनीतिक पहचान सर्वविदित है, लेकिन रामचरितमानस की आड़ में समाजवादी पार्टी का ऐसा ही राजनीतिक रंग-रूप दुखद एवं दुर्भाग्यपूर्ण है.” 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jan 30, 2023, 11:49 AM IST
  • मायवती ने सोमवार को कई ट्वीट किए
  • मौर्य ने 22 जनवरी को दिया था बयान
मायावती का रामचरित मानस विवाद पर बड़ा बयान, बताया-अखिलेश यादव के दिमाग में क्या चल रहा

लखनऊ: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्‍वामी प्रसाद मौर्य के श्रीरामचरितमानस पर विवादित बयान को लेकर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के आक्रामक रुख के बीच बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व  सीएम मायावती का बयान आया है. मायावती ने सोमवार को भाजपा और सपा पर निशाना साधा. 

क्या कहा मायावती ने
मायावती ने कहा कि भाजपा की प्रतिक्रिया के बावजूद सपा नेतृत्व की चुप्पी से स्पष्ट है कि इसमें दोनों पार्टियों की मिलीभगत है, ताकि आगामी चुनावों में हिंदू-मुस्लिम उन्माद पर ध्रुवीकरण किया जा सके. मायावती ने सोमवार को ट्वीट किया, “संकीर्ण राजनीति और चुनावी स्वार्थ के लिए विवाद खड़े करने, जातीय-धार्मिक द्वेष, उन्माद पैदा करने और धर्मांतरण का सहारा लेने की भाजपा की राजनीतिक पहचान सर्वविदित है, लेकिन रामचरितमानस की आड़ में सपा का ऐसा ही राजनीतिक रंग-रूप दुखद एवं दुर्भाग्यपूर्ण है.” 

मायावती ने आगे कहा, “रामचरितमानस के खिलाफ सपा नेता की टिप्पणी पर उठे विवाद और भाजपा की प्रतिक्रियाओं के बावजूद सपा नेतृत्व की चुप्पी से स्पष्ट है कि इसमें दोनों पार्टियों की मिलीभगत है, ताकि आगामी चुनावों को जनता के मुद्दों के बजाय हिंदू-मुस्लिम उन्माद पर ‘पोलराइज’ किया जा सके.” 

एक अन्य ट्वीट में मायावती ने कहा, “यूपी में हुए पिछले विधानसभा चुनावों को भी सपा-भाजपा ने षड्यंत्र के तहत मिलीभगत करके धार्मिक उन्माद के जरिये घोर सांप्रदायिक बनाकर एक-दूसरे के पूरक के रूप में काम किया. इसी की वजह से भाजपा दोबारा यहां सत्ता में आ गई. ऐसी घृणित राजनीति का शिकार होने से बचना जरूरी है.” 

क्या है पूरा विवाद
बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने 22 जनवरी को एक बयान में श्रीरामचरितमानस की एक चौपाई का जिक्र करते हुए इसे महिलाओं तथा पिछड़ों के प्रति अपमानजनक करार दिया था और इस पर पाबंदी लगाने की मांग की थी. इस बयान पर खासा विवाद उत्पन्न हो गया था. संतों और हिन्दूवादी संगठनों ने भी इसका कड़ा विरोध किया था. मौर्य के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हुआ है. 

सपा ने रविवार को अपनी 62 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा की थी, जिसमें स्‍वामी प्रसाद मौर्य को राष्‍ट्रीय महासचिव का दायित्व सौंपा गया. इसके बाद भाजपा का रुख और आक्रामक हो गया है. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी समेत कई प्रमुख नेताओं ने अखिलेश यादव पर हिंदुओं की आस्था का अपमान करने का आरोप लगाया है

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