भारत में 25% बच्चे ही अपनी भाषा में पढ़ पाते हैं दूसरी कक्षा की किताबें, 43% युवा ही हल कर सकते हैं मैथ्स के सवाल

Annual Status of Education Report: ASER की रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में 14-18 साल के युवाओं को गणित विषय में मूल्यांकन करने में भी काफी परेशनी होती है. 

Written by - Shruti Kaul | Last Updated : Jan 18, 2024, 02:18 PM IST
  • ASER ने किए चौंकाने वाले खुलासे
  • 26 राज्यों के 28 जिलों में किया गया सर्वे
भारत में  25% बच्चे ही अपनी भाषा में पढ़ पाते हैं दूसरी कक्षा की किताबें, 43% युवा ही हल कर सकते हैं मैथ्स के सवाल

नई दिल्ली: Annual Status of Education Report: एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट ( ASER) ने बीते दिन यानी 17 जनवरी 2024 को भारत में शिक्षा से जुड़े एक सर्वे का चौंकाने वाला खुलासा किया है. इस रिपोर्ट के अनुसार देश में 14-18 साल के 86.8 प्रतिशत स्कूल पढ़ने वाले बच्चों में से 25 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं, जो अपनी क्षेत्रीय भाषा में दूसरी कक्षा की किताबें पढ़ने में सक्षम नहीं है. बता दें कि इस रिपोर्ट में 26 राज्यों के 28 जिलों में 34,745 छात्रों का सर्वे किया गया, जिसमें सरकारी और प्राइवेट दोनों संस्थानों के छात्र शामिल थे. 

साधारण गणित का नहीं कर पाते हल 
ASER की रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में 14-18 साल के युवाओं को गणित विषय में मूल्यांकन करने में भी काफी परेशनी होती है. इनमें कई स्टूडेंट्स ऐसे भी हैं जिन्हें डिविजन यानी भाग करना भी नहीं आता है, जबकि इन सवालों का जवाब चौथी कक्षा के बच्चों को सिखाया जाता है. 14-18 साल के बच्चों में सिर्फ 43.3 बच्चे ही ऐसे सवालों को सही से सॉल्व करने में सक्षम हैं. 

फ्यूएंट इंग्लिश पढ़ने में होती है कठिनाई 
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि स्कूल में नामांकित 57.3 प्रतिशत बच्चे ही ऐसे हैं, जो धाराप्रवाह अंग्रेज पढ़ सकते हैं, हालांकि उनमें से सिर्फ 73.5 प्रतिशत छात्र ही उनका अर्थ भी बता सकते हैं. सर्वे के मुताबिक लड़कियां अपनी क्षेत्रिय भाषा की किताब पढ़ने में लड़कों से काफी आगे हैं. वहीं लड़कें अंग्रेजी और गणित विषय में लड़कियों से आगे हैं. 

ह्यूमेनिटीज स्ट्रीम में ज्यादा होते हैं एडमिशन 
सर्वे के मुताबिक सिर्फ 28.1 प्रतिशत लड़कियां ही साइंस, टेक्नॉलजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स में एडमिशन लेती हैं, जबकि इसमें लड़कों का योगदान 36.3 प्रतिशत है. वहीं 11वीं और 12वीं के 55 प्रतिशत छात्र ह्यूमेनिटीज में नामांकन करवाते हैं. साथ ही STEM (साइंस, टेक्नॉलजी, इंजीनियरिंग और मैथ्स) में 31.7 प्रतिशत और कॉमर्स में 9.4 प्रतिशत छात्र नामांकन करवाते हैं.   

32.6 प्रतिशत छात्र नहीं जा रहे स्कूल 
रिपोर्ट में स्कूल में नामांकित छात्रों को लेकर भी आंकड़े जारे किए गए हैं. इसके मुताबिक 14-18 साल के 86.8 प्रतिशत बच्चों का स्कूल या कॉलेज में नामांकन दर्ज है. वहीं 14 साल के 3.9 प्रतिशत छात्रों का नाम किसी भी स्कूल में दर्ज नहीं है. इसके अलावा 18 साल के 32.6 प्रतिशत युवाओं का नाम भी स्कूल में नामांकित नहीं है.   

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