Delhi Riots 2020: दंगों में हिंदुओं की गाड़ी को निशाना बनाने की साजिश थी

दिल्ली में हुए दंगों के दौरान हिंदुओं की गाड़ी को खास तौर पर निशाना बनाने के लिए बड़ी साजिश की गई थी. इस खुलासे के बाद मजहबी कट्टरपंथियों का असल चेहरा बेनकाब हो गया है..

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 22, 2020, 11:09 AM IST
  • दिल्ली के दंगाईयों की असलियत आई सामने
  • हिंदुओं की गाड़ी को निशाना बनाने की साजिश थी
  • पहचान के लिए E-WAHAN ऐप से जानकारी जुटाई गई
Delhi Riots 2020: दंगों में हिंदुओं की गाड़ी को निशाना बनाने की साजिश थी

नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली दंगो में पुलिस से बचने के लिए और एक खास समुदाय के लोगों की पहचान करने के लिए जिन खास तरीकों का इस्तेमाल किया गया, दिल्ली पुलिस ने भी उन दंगाईयों की पहचान करने और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए हाइटेक तकनीक का इस्तेमाल किया.

हिंदुओं की गाड़ियों को निशाना बनाने की साजिश

खुलासा हुआ है कि दंगाईयों ने हिंदुओं की गाड़ियों को पूरी साजिश के तहत निशाना बनाया. इसके लिए हिंदुओं की गाड़ियों की पहचान के लिए E-WAHAN ऐप से जानकारी जुटाई गई.

दंगों के दिन यानी 23 फरवरी को दंगाइयों ने पहले E-WAHAN ऐप पर गाड़ी नंबर भेजा और टेक्स्ट मैसेज से जब ये पता चला कि ये गाड़ी किस समुदाय के व्यक्ति की है, तो उसके ख़िलाफ़ वैसी कार्रवाई की गई.

VOIP ऑन करके वाट्सएप्प कॉल किया

दिल्ली के नार्थ ईस्ट ज़िले में 23, 24 और 25 फरवरी को हुए दंगो में दंगाईयो ने कॉल सर्विलांस से बचने के लिए VOIP ऑन करके वाट्सएप्प कॉल किया था.

गाड़ियों में आग लगाने से पहले गाड़ी के मालिक की पहचान करने के लिए सरकारी वेबसाइट ई-वाहन पर मैसेज करके गाड़ी के मालिक का पता लगाने के बाद ही गाड़ी में आग लगाई.

डंप डेटा एनालिसिस से पुलिस को पता चला

दिल्ली दंगों की जांच कर रही पुलिस ने इसके लिए E-WAHAN ऐप को 23 फरवरी के दिन मिले टेक्स मैसेज की जांच की. तब इस साजिश का खुलासा हुआ. खुलासा ये भी हुआ है कि दंगाईयो ने कॉल सर्विलांस से बचने के लिए VOIP ऑन करके वाट्सएप्प कॉल किया था. पुलिस को डंप डेटा एनालिसिस से ये पता चला.

चांद बाग इलाके में दंगे के वक़्त करीब 10,000 लोग स्पॉट पर मौजूद थे. जिसके बाद Face Recognition सिस्टम के जरिये दंगाइयों के चेहरों की पहचान की गई, इतना ही नहीं मोबाइल फुटेज, सीसीटीवी फुटेज, और मीडिया द्वारा प्राप्त वीडियो फुटेज के आधार पर हिंसा भड़काने वालों के चेहरों की पहचान करने के बाद पुलिस ने कार्रवाई की.

Geolocation एनालिसिस के जरिये ये पता लगाया गया कि उनके मोबाइल में जो लोकेशन थी वो उस वक़्त दंगे वाले स्पॉट पर थी. मोबाइल फोरेंसिक के जरिये फोन क्लोन करके उसके अंदर मौजूद खुद का बनाया डेटा और मोबाइल में ऑडियो रिकॉर्डिंग की जानकारी जुटाई गई

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