Karnataka High Court ने कहा-मुस्लिम समाज में पहली पत्नी के लिए क्रूरता की वजह है बहु विवाह

मुस्लिमों में दूसरा विवाह कानूनी है, लेकिन अकसर यह पहली पत्नी के खिलाफ भारी क्रूरता का कारण बनता है और इसलिए उसके द्वारा तलाक का दावा न्यायोचित है. उच्च न्यायालय की कलबुर्गी खंडपीठ में न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित और न्यायमूर्ति पी कृष्ण भट की पीठ ने यह टिप्पणी की.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Sep 13, 2020, 12:33 AM IST
    • तलाक के एक मामले में सुनवाई कर रही थी कर्नाटक हाईकोर्ट
    • शौहर ने पहली बीवी के रहते कर लिया था दूसरा निकाह
Karnataka High Court ने कहा-मुस्लिम समाज में पहली पत्नी के लिए क्रूरता की वजह है बहु विवाह

बेंगलुरुः  कर्नाटक हाई कोर्ट  (Karnataka High Court) ने  शनिवार को मुस्लिम समाज में शामिल बहुविवाह की रीति पर टिप्पणी की. हाई कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पुरुष (Muslim men) की दूसरी शादी (Second Marriage) भले ही कानूनी तौर पर मान्य हो लेकिन यह पहली पत्नी के प्रति भारी क्रूरता की वजह है. 

उच्च न्यायालय की कलबुर्गी खंडपीठ में न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित और न्यायमूर्ति पी कृष्ण भट की पीठ ने हाल में निचली अदालत के फैसले को निरस्त करने की मांग वाली अपील को खारिज कर दिया था जिसमें याचिकाकर्ता युसूफ पाटिल की पहली पत्नी रमजान बी द्वारा शादी को खत्म की याचिका को न्यायोचित करार दिया गया था.

एक तलाक का फैसला सुनाते हुए की टिप्पणी
पीठ ने टिप्पणी की, 'हालांकि, मुस्लिमों में दूसरा विवाह कानूनी है, लेकिन अकसर यह पहली पत्नी के खिलाफ भारी क्रूरता का कारण बनता है और इसलिए उसके द्वारा तलाक का दावा न्यायोचित है.' दरअसल उत्तरी कर्नाटक के विजयपुरा जिला के मुख्यालय के रहने वाले पाटिल ने जुलाई 2014 में शरिया कानून के तहत बेंगलुरु में रमजान बी से निकाह किया था. इस शादी के बाद पाटिल ने दूसरी शादी कर ली.

पति ने कहा, वह पहली पत्नी से प्यार करता है
रमजान बी ने निचली अदालत में याचिका दायर कर क्रूरता और परित्याग करने के आधार पर शादी खत्म करने का अनुरोध किया. रमजान बी ने अपने पति और उसके माता-पिता पर उससे और अपने माता-पिता से दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया. 

पाटिल ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर कहा कि वह पहली पत्नी से प्यार करता है.  पाटिल ने अदालत से यह भी कहा कि उसने माता-पिता के भारी दबाव की वजह से दूसरी शादी की जो शाक्तिशाली और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली हैं. 

पीठ ने पति के तर्कों को किया खारिज
पति ने इस दूसरे विवाह को न्यायोचित ठहराते हुए कहा कि शरीया कानून में मुस्लिमों को बहुविवाह की अनुमति है और इसलिए यह कृत्य क्रूरता के बराबर नहीं है और न ही सयुंग्म (विवाह) के अधिकारों का विरोध करने का आधार है. पीठ ने पाटिल के इस तर्क को खारिज कर दिया है कि शरीया कानून बहुविवाह के साथ पहले विवाह को पुन: स्थापित करने की अनुमति देता है.

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