India Russia Trade: अमेरिका की परवाह किए बगैर खरीदा तेल, दोस्ती भी पक्की; तो भारत की ये बात क्यों नहीं मान रहा रूस
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India Russia Trade: अमेरिका की परवाह किए बगैर खरीदा तेल, दोस्ती भी पक्की; तो भारत की ये बात क्यों नहीं मान रहा रूस

Rupee-Rouble trade: रूस अभी तक भारतीय करेंसी रुपये में भारत के साथ व्यापार (Trade) के लिए तैयार नहीं है. इसका कारण दोनों देशों के व्यापार में बड़े पैमाने पर बढ़ रहा असंतुलन है. ये खबर भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) के हिसाब से अच्छी नहीं है.

PTI

Dollar still used to import russian oil: यूंं तो आजादी के बाद से ही रूस (Russia) भारत का सबसे बड़ा रक्षा आपूर्तिकर्ता और भरोसेमंद साथी रहा है. अमेरिका (US) की किसी भी धमकी की परवाह किए बगैर भारत (India) ने अपने पारंपरिक सहयोगी देश रूस का साथ निभाते हुए उससे जमकर कच्चे तेल (Russian Oil) का आयात किया, इसके बावजूद रूस, अपने बेस्ट फ्रेंड इंडिया की एक बात मानने को तैयार नहीं है. ये व्यापार के लिहाज से अच्छी खबर नहीं है.

Rupee-Rouble trade पर था जोर

जानकारों का मानना है कि भारत और रूस के बीच अपनी मुद्रा में व्यापार करने को लेकर कई बार सार्थक चर्चा हुई थी. खासकर तेल की खरीद को लेकर कहा जा रहा था कि भारत, रूस को डॉलर के बजाए रूस की मुद्रा रूबल (Rouble) में भुगतान कर सकता है. रूस से सस्ता और अच्छा तेल मिलने के आश्वासन पर रूस की यूक्रेन से जारी जंग के बावजूद भारत महीनों से रूसी तेल का लगातार आयात कर रहा है. यहां हैरानी की बात यह है कि भारतीय तेल कंपनियां अभी तक डॉलर में ही रूस को पैसा चुका रही हैं. हालांकि, इस बीच रूस की ओर से अब यूरो और दिरहम करेंसी में भी कारोबार जरूर बढ़ाया जा रहा है. 

भारत की ये बात क्यों नहीं मान रहा रूस?

 

'इकोनॉमिक टाइम्स' की एक रिपोर्ट के मुताबिक रूस अभी तक भारतीय करेंसी रुपये में भारत के साथ व्यापार के लिए तैयार नहीं है. इसका कारण दोनों देशों के व्यापार में बड़े पैमाने पर बढ़ रहा असंतुलन है. वहीं दूसरी ओर भारतीय तेल आयातकों का कहना है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने जो इसी साल जुलाई में रुपये-रूबल में व्यापार (Rupee-Rouble trade) करने की व्यवस्था बनाई थी, लेकिन उसके जरिए अभी तक किसी तरह की शुरुआत नहीं की गई है. 

इसी रिपोर्ट के मुताबिक हमारा रूस से निर्यात कम और आयात ज्यादा है. ऐसे में रुपये में भुगतान शुरू हुआ तो सप्लायरों के पास रुपये में ज्यादा करेंसी होगी और उन्हें नहीं समझ आएगा कि वे इनका क्या करें. रूपये-रूबल में व्यापार के लिए जरूरी है कि भारत भी रूस को ज्यादा से ज्यादा सामान बेचे. तभी रूस, रुपये का इस्तेमाल कर पाएगा. 

भारत सरकार का रुख

सूत्रों के मुताबिक रूस की ओर से भारतीय व्यापारियों से यूरो और दिरहम में भी पेमेंट करने के लिए कहा जा रहा है. ऐसे में एक अधिकारी ने कहा कि हम दूसरे की करेंसी क्यों मजबूत करें. यानी भारत सरकार का वित्त मंत्रालय ही तय करेगा कि देश हित में कौनसी करेंसी में ऑयल इंपोर्ट करना सही रहेगा. वहीं विदेशमंत्री जयशंकर ये कह चुके हैं जहां से भारत को फायदा मिलेगा, वहीं से तेल खरीदारी की जाएगी. दूसरी ओर, अमेरिका और यूरोप के बड़े देश रूस पर आर्थिक प्रतिबंध बढ़ा रहे हैं ताकि वह दबाव में आ जाए. ऐसे में यह देखना होगा कि रूस, भारत की मुद्रा में व्यापार को बढ़ावा कब देगा.

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