US News: 11 सांसदों ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को लिखे एक पत्र में पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद रोकने की मांग की है. 11 प्रभावशाली सांसदों के इस समूह में सांसद इल्हान उमर भी शामिल हैं.
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US-Pakistan relations: अमेरिका के 11 प्रभावशाली सांसदों के एक समूह ने बाइडन प्रशासन से अपील की है कि जब तक पाकिस्तान संवैधानिक व्यवस्था बहाल नहीं करता और स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव नहीं कराता, तब तक उसे भविष्य में दी जाने वाली सहायता रोक दी जाए. पीटीआई भाषा के मुताबिक सांसदों ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को लिखे एक पत्र में विदेश मंत्रालय से यह आकलन करने का अनुरोध किया कि कहीं अमेरिका से मिलने वाली सुरक्षा सहायता के जरिए पाकिस्तान में मानवाधिकारों का उल्लंघन तो नहीं हो रहा.
11 प्रभावशाली सांसदों के इस समूह में सांसद इल्हान उमर भी शामिल हैं, जो अमेरिकी संसद में मुसलमानों से संबंधित मुद्दे उठाती रही हैं. उमर के अलावा, पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में फ्रैंक पैलोन जूनियर, जोकिन कास्त्रो, समर ली, टेड डब्ल्यू लियू, दीना टाइटस, लॉयड डोगेट और कोरी बुश शामिल हैं.
सांसदों ने पत्र में क्या लिखा?
सांसदों ने पत्र में लिखा, ‘हम अनुरोध करते हैं जब तक कि पाकिस्तान संवैधानिक व्यवस्था की बहाली की दिशा में निर्णायक रूप से आगे नहीं बढ़ जाता और सभी दलों की भागीदारी से स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव नहीं कराता तब तक भविष्य में उसे मिलने वाली सुरक्षा सहायता रोक दी जाए.’
‘डॉन’ समाचारपत्र की खबर के अनुसार, पत्र में ईशनिंदा कानून को और मजबूत बनाने के पाकिस्तान के कदमों का भी प्रमुखता से जिक्र किया गया है. पत्र में ब्लिंकन को आगाह किया गया है कि प्रस्तावित बदलावों का इस्तेमाल छोटे धार्मिक समूहों और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के लिए किया जा सकता है.
पाकिस्तान में ईशनिंदा एक संवेदनशील मुद्दा
पाकिस्तान में ईशनिंदा एक संवेदनशील मुद्दा है, जहां अप्रमाणित आरोप भी भीड़ को हिंसा के लिए भड़का सकता है. सेंटर फॉर सोशल जस्टिस - [अल्पसंख्यकों के अधिकारों की वकालत करने वाला एक स्वतंत्र समूह] - के अनुसार, पाकिस्तान में 1987 से इस साल मई तक 2,000 से अधिक लोगों पर ईशनिंदा करने का आरोप लगाया गया है, और इसी तरह के आरोपों के लिए भीड़ द्वारा कम से कम 88 लोगों की हत्या कर दी गई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि विदेश विभाग इन चिंताओं पर कैसे प्रतिक्रिया देगा और क्या यह अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों की गतिशीलता को प्रभावित करेगा.
(इनपुट - एजेंसी)