कौन हैं राष्ट्रपति असद, भाई की मौत के बाद मिली सत्ता, जिसके दमपर सीरिया में मचाया कोहराम, उन्हीं देशों ने छोड़ा साथ
Advertisement
trendingNow12549282

कौन हैं राष्ट्रपति असद, भाई की मौत के बाद मिली सत्ता, जिसके दमपर सीरिया में मचाया कोहराम, उन्हीं देशों ने छोड़ा साथ

Who is President Bashar al Assad: सीरिया के चार शहरों पर विद्रोही समूह का कब्जा हो गया है और राष्ट्रपति बशर अल असद का मजबूत किला दमिश्क भी ढह गया है. राष्ट्रपति बशर अल असद के सीरिया छोड़कर अज्ञात जगह पर जाने की खबरें हैं. आइए जानते हैं कौन हैं बशर अल असद, जिनको हटाने के लिए सीरिया में हुआ खूनी संघर्ष.

कौन हैं राष्ट्रपति असद, भाई की मौत के बाद मिली सत्ता, जिसके दमपर सीरिया में मचाया कोहराम, उन्हीं देशों ने छोड़ा साथ

Syria Civil War Assad rule ends: सीरिया में विद्रोहियों ने राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया है. विद्रोही गुट पूरे सीरिया में जश्न मना रहा है. पचास साल से अधिक एक ही परिवार का शासन अब खत्म हो गया है. राष्ट्रपित अल असद देश छोड़कर भाग गए हैं ऐसी खबरें भी चल रही हैं. असद को सीरिया की जनता तानाशाह और अपराधी बता रही है. मस्जिदों से 'अल्लाह-हू-अकबर' के नारे लगाए जा रहे हैं. इस मौके पर जानते हैं आखिर कौन हैं बसर, जिनको हटाने के लिए सीरिया में मचा कोहराम.

देश छोड़कर भाग गए राष्ट्रपति बसर?
सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद के देश छोड़ देने का दावा कई मीडिया रिपोर्ट्स में विद्रोही गुटों के हवाले से किया जा रहा है. विद्रोही गुटों का यह भी दावा है कि उन्होंने राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया है.

कौन हैं राष्ट्रपति असद?
आखिर राष्ट्रपति असद कौन हैं और विद्रोही गुट क्यों उनके खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं. 59 वर्षीय बशर अल-असद ने 2000 में अपने पिता हाफिज अल-असद की मृत्यु के बाद सत्ता संभाली. उनके पिता 1971 से देश पर शासन कर रहे थे. मीडिया रिपोट्स के मुतबिक दमिश्क में जन्मे अल-असद ने राजधानी में मेडिकल स्कूल से स्नातक किया. वह नेत्र विज्ञान में विशेषज्ञता हासिल करने के लिए लंदन में पढ़ाई कर रहे थे जब उन्हें अपने भाई की मृत्यु के बाद सीरिया वापस लौटना पड़ा.

बड़े भाई की मौत के बाद मिली सत्ता
बड़े भाई बासेल अल-असद को देश के नेता के रूप में अपने पिता की जगह लेने वाले थे, लेकिन एक कार दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई, जिससे बशर उत्तराधिकारी बन गए. 2011 उनके शासन काल के लिए सबसे अहम साल रहा जब लोकतंत्र की मांग को लेकर हजारों सीरियाई नागरिक सड़कों पर उतर आए, लेकिन उन्हें भारी सरकारी दमन का सामना करना पड़ा.

2012 से सत्ता उखाड़ने के लिए बने समूह
हालांकि सरकार के विरोध में विभिन्न सशस्त्र विद्रोही समूहों का गठन हो गया और सरकार का विरोध 2012 के मध्य तक, विद्रोह एक पूर्ण गृह युद्ध में बदल गया. असद पर मानवाधिकार उल्लंघनों का आरोप लगता रहा है, जिनमें युद्ध के दौरान सीरिया में रासायनिक हथियारों का प्रयोग, कुर्दों का दमन और लोगों को जबरन गायब करना शामिल है.

जिनके दमपर सीरिया में मचाया कोहराम, उन्हीं देशों ने छोड़ा साथ
असद रूस, ईरान और लेबनान के हिजबुल्लाह की मदद से वर्षों तक विद्रोही गुटों का सफलतापूर्व मुकाबला करते रहे. लेकिन पिछले दिनों अचानक सक्रिय हुए विद्रोही गुटों ने सीरियाई राष्ट्रपति के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी क्योंकि असद के तीन सहयोगी- रूस, हिजबुल्लाह और ईरान इजरायल खुद के संघर्षों में उलझे हुए थे. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक असद की सेना वर्षों के युद्ध से नष्ट हो चुकी थी और कई सैनिक तो उनके पक्ष में लड़ना भी नहीं चाहते थे. असद की सत्ता का पतन रूस और ईरान के लिए बड़ा झटका है, जिन्होंने इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण सहयोगी खो दिया है. सबसे बड़ी बात जब सीरिया में असद को अपने दोस्त देशों की सबसे अधिक सहायता की जरूरत थी, तब वह अपने वजूद के लिए जंग किसी और से लड़ रहे थे. और अंत में असद अकेले पड़े और सत्‍ता चली गई. इनपुट आईएएनएस से भी

Trending news