Ekrem Imamoglu: कौन हैं एक्रेम इमामोग्लू, मेयर चुनाव जीतकर राष्ट्रपति की उड़ा दी नींद, मुस्लिमों के बन रहे थे 'दरोगा'
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Ekrem Imamoglu: कौन हैं एक्रेम इमामोग्लू, मेयर चुनाव जीतकर राष्ट्रपति की उड़ा दी नींद, मुस्लिमों के बन रहे थे 'दरोगा'

Turkey Local Election Result:  खुद को मुस्लिमों का सबसे बड़ा हितैषी मानने वाले तुर्की राष्ट्रपति को बहुत बड़ा झटका लगा है. यह झटका किसी और ने नहीं उनके देश की आम जनता ने दिया है. आइए जानते हैं पूरा मामला.

Ekrem Imamoglu: कौन हैं एक्रेम इमामोग्लू, मेयर चुनाव जीतकर राष्ट्रपति की उड़ा दी नींद, मुस्लिमों के बन रहे थे 'दरोगा'

Who is Ekrem Imamoglu?: मुस्लिमों देशों की तरफ से दुनिया का लीडर बनने का सपना देखने वाले तुर्की राष्ट्रपति की पार्टी लोकल चुनाव में कई जगह मेयर पद हार गई है. राष्ट्रपति रेसेप तैयब एर्दोगन को कभी अदांजा नहीं रहा होगा कि उनके 21 साल के शासन में पहली बार हार का सामना करना पड़ेगा.

तुर्की में विपक्ष ने स्थानीय चुनावों में राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन और उनकी जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी (AK Party) पर बड़ी जीत दर्ज की है, देश की मुख्य विपक्षी रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी ने इस्तांबुल, अंकारा और इजमिर के प्रमुख शहरों में जीत दर्ज करते हुए इतिहास रच दिया है. आइए जानते हैं कौन है वह एक्रेम इमामोग्लू जिन्होंने तुर्की का दिल कहे जाने वाले शहर में राष्ट्रपति की पार्टी को हराकर अपने नाम को ‌भी में दर्ज करा दिया. 

एक्रेम इमामोग्लू कौन है?
एक्रेम इमामोग्लू 53 साल के हैं. इमामोग्लू का करियर तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन की तरह ही है. दोनों ने 1990 के दशक में इस्तांबुल में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करते हुए अपने कदम राजनीति में आगे बढ़ाए.

एक्रेम इमामोग्लू का जन्मस्‍थान 
एक्रेम इमामोग्लू जो ट्रैबजोन में पैदा हुए. इस्तांबुल यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने के बाद परिवार के कंस्ट्रक्शन बिजनेस को चलाया. बिजनेस में सफलता के बाद उन्होंने राजनीति का में कदम रखा. 

2008 में राजनीति में रखा कदम
2008 में इमामोग्लू सीएचपी पार्टी में शामिल हो गए और 2014 में इस्तांबुल के बेयलिकडुज़ु जिले में मेयर बन गए. 2019 में उन्होंने इस्तांबुल में राष्ट्रपति की जस्टिस एंड डेवलपमेंट पार्टी के उम्मीदवार को हराकर चुनाव जीता. एर्दोगन की पार्टी की शिकायत के बाद अदालत ने नतीजों को रद्द कर दिया और फिर से चुनाव हुए. इमामोग्लू ने वह चुनाव और बड़े अंतर से जीतकर एर्दोगन को जबरदस्त झटका दिया. मौजूदा चुनाव में एर्दोगन की तमाम कोशिशों के बावजूद इमामोग्लू ने जीत हासिल की है. इस जीत के बाद विशेषज्ञों का कहना है कि वह एर्दोगन की सत्ता को चुनौती दे सकते हैं. 

2022 में जेल की सजा 
साल 2022 में तुर्की की सर्वोच्च चुनाव परिषद का अपमान करने के आरोप में इमामोग्लू को दो साल और सात महीने जेल की सजा सुनाई गई और राजनीति से प्रतिबंधित कर दिया गया. उन्होंने इस मामले में अपील की है, लेकिन अपील अदालत ने अभी तक फैसला नहीं सुनाया है. उनपर जो आरोप लगाए गए वह पहली बार मेयर बनने के दौर के हैं. राष्ट्रपति की पार्टी ने इस चुनाव में अनियमितताओं की शिकायत की थी. जिसके बाद दोबारा चुनाव हुए थे.

2024 में दोबारा मेयर बने
इस बार के स्‍थानीय चुनाव में तुर्किये की मुख्य विपक्षी पार्टी सेंटर-लेफ़्ट रिपब्लिकन पीपुल्स पार्टी (Center-left Republican People's Party) CHP ने बड़ी जीत हासिल की है. जबकि कुछ महीने पहले ही एर्दोआन ने राष्ट्रपति चुनाव में जीत हासिल की थी और तीसरी बार चुने गए. लेकिन इसके बावजूद बड़े शहरों के मेयर चुनाव में विपक्षी दल ने उनकी पार्टी को मात दे दी है. 2019 में इंस्ताबुल जीतने वाले सेकुलर विपक्ष के नेता इकरेम इमामोग्लु ने दूसरी बार जीत हासिल की है. इनको 50 फीसदी से अधिक वोट मिला और इन्होने राष्ट्रपति एर्दोआन की AK पार्टी के उम्मीदवार को लगभग दस लाख वोट से हरा दिया.

इमामोग्लू के साथ जनता
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस्तांबुल मेयर का जीतना विपक्षी पार्टी के लिए सफलता की बात है. इमामोग्लू ने जिस तरह चुनाव लड़ा उससे देश में लोकतंत्र और न्याय को ताकत मिलेगी. इमामोग्लू तुर्की की राजनीति में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बन गए हैं. ये उनकी एक बिजनेसमैन से आने वाले भविष्य के राष्ट्रपति के तौर पर अब लोग उम्मीद कर रहे हैं.

रेसेप तैयब एर्दोगन की ताकत हो रही कम
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयब एर्दोगन मुस्लिम दुनिया के नेता बनने की हमेशा कोशिश में लगे रहते हैं. दुनिया के किसी कोने के मुसलमानों का मुद्दा हो, एर्दोगन सबसे पहले अवाज उठाने वालों में से होते हैं. शायद यही वजह है कि तुर्की पिछले कुछ सालों से मुस्लिम मुद्दों पर सऊदी अरब से अलग चलता नजर आया है. इसके पीछे का मकसद मुस्लिम दुनिया में खुदकी एक अलग पहचान बनाना नजर आता है.लेकिन अब उनका ये सपना टूटता नजर आ रहा है. 20 साल से भी ज्यादा सालों से तुर्की पर राज करने वाले एर्दोगन अपने ही देश में कमजोर होते नजर आ रहे हैं.

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