India-Russia Voronezh Radar Deal: भारत और रूस के बीच एक महत्वपूर्ण रक्षा सौदा चर्चा में है. जिसमें भारत एक अत्याधुनिक अर्ली वॉर्निंग रडार सिस्टम वोरोनिश खरीदने की योजना बना रहा है.
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India-Russia Voronezh Radar Deal: भारत और रूस के बीच एक महत्वपूर्ण रक्षा सौदा चर्चा में है. जिसमें भारत एक अत्याधुनिक अर्ली वॉर्निंग रडार सिस्टम वोरोनिश खरीदने की योजना बना रहा है. यह रडार प्रणाली 6,000 किलोमीटर से अधिक की रेंज में बैलिस्टिक मिसाइलों, विमानों और अन्य हवाई खतरों का पता लगाने की क्षमता रखता है. यह सौदा लगभग 4 बिलियन डॉलर से अधिक का हो सकता है और भारतीय सेना की ताकत को काफी बढ़ावा देगा.
क्या है वोरोनिश रडार?
वोरोनिश रडार रूस की लेटेस्ट तकनीक पर आधारित है. इसे अल्माज-एंटे कंपनी ने विकसित किया है, जो एस-400 मिसाइल प्रणाली के लिए भी जानी जाती है. यह रडार लंबी दूरी तक हवा में हो रहे परिवर्तनों का पता लगाकर बैलिस्टिक मिसाइलों और विमानों से संभावित खतरों को लेकर अलर्ट करता है. इसकी मॉड्यूलर डिजाइन इसे इंस्टाल करने में तेज और कुशल बनाती है. रडार का इस्तेमाल करने में लगने वाला समय पारंपरिक प्रणालियों की तुलना में महीनों का होता है, जो पहले वर्षों तक खिंच जाता था. यह कम कर्मचारियों के साथ भी प्रभावी ढंग से काम करता है, जिससे इसे संचालित करना आसान हो जाता है.
कैसे काम करता है वोरोनिश रडार?
वोरोनिश रडार की पहचान प्रणाली विशेष रूप से रडार तरंगों के माध्यम से काम करती है. इसकी तकनीक लंबी दूरी पर हवा और अंतरिक्ष में गतिविधियों का पता लगाती है. यह रडार अत्यधिक संवेदनशील है और 6,000 से 8,000 किलोमीटर तक के दायरे में हवाई खतरों को ट्रैक कर सकता है. इसकी मॉड्यूलर संरचना इसे किसी भी समय आंशिक रूप से चालू करने की अनुमति देती है, जिससे इसे जल्दी से कार्य में लाया जा सकता है. सूत्रों की मानें तो रडार के उन्नत संस्करण को भारत में कर्नाटक के चित्रदुर्ग में स्थापित करने की योजना है.
भारत की ताकत को कैसे बढ़ाएगा ये रडार?
वोरोनिश रडार के शामिल होने से भारत की रक्षा प्रणाली को कई फायदे मिलेंगे..
लंबी दूरी की सुरक्षा: यह प्रणाली 6,000 किलोमीटर से अधिक के दायरे में बैलिस्टिक मिसाइलों और विमानों का पता लगा सकती है, जिससे दुश्मन के हमले का जवाब देने का समय बढ़ेगा.
हवाई खतरों पर नजर: यह रडार विमान और अन्य हवाई वस्तुओं की गतिविधियों को सटीकता से ट्रैक कर सकता है.
सुरक्षा में मजबूती: भारत की सीमाओं और आकाशीय क्षेत्र में सुरक्षा की एक नई परत जोड़ेगा.
60 प्रतिशत निर्माण भारत में ही..
सूत्रों के अनुसार, रूस की प्रमुख वायु रक्षा प्रणाली निर्माता अल्माज-एंटे का दस सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल हाल ही में भारत दौरे पर आया था. इस टीम ने दिल्ली और बेंगलुरु में भारतीय भागीदारों से मुलाकात की. चर्चा का केंद्र मेक इन इंडिया के तहत 60 प्रतिशत निर्माण भारत में करने पर रहा. यह रडार प्रणाली न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाएगी बल्कि देश में रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगी. 50 से अधिक भारतीय कंपनियां इस परियोजना में शामिल होंगी.
अन्य देशों से तुलना
अभी तक केवल रूस, अमेरिका, और चीन जैसे देशों के पास 5,000 किलोमीटर से अधिक की रेंज वाले रडार सिस्टम हैं. अगर भारत यह प्रणाली हासिल करता है तो यह रक्षा क्षेत्र में उसकी स्थिति को और मजबूत करेगा. वोरोनिश रडार पूरी तरह से रक्षात्मक प्रकृति का है. इसे बैलिस्टिक मिसाइल खतरों और विमानों से संभावित खतरों को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है. यह भारत को दुश्मनों की गतिविधियों पर नजर रखने में मदद करेगा और समय रहते प्रतिक्रिया देने का मौका देगा.
भारत के लिए रणनीतिक लाभ
यह सौदा भारत के रक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है. न केवल यह भारत की रणनीतिक ताकत को बढ़ाएगा बल्कि आत्मनिर्भरता के मिशन को भी बल देगा. यह प्रणाली देश की सीमाओं को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और आने वाले समय में भारत को एक रक्षा महाशक्ति के रूप में स्थापित करने में मदद करेगी. भारत और रूस के बीच यह संभावित डील दोनों देशों की रक्षा साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी.