'इजरायल ने जबरदस्ती किया फिलिस्तीन की जमीन पर कब्जा', ICJ के आदेश के क्या हैं मायने?
Advertisement
trendingNow12347768

'इजरायल ने जबरदस्ती किया फिलिस्तीन की जमीन पर कब्जा', ICJ के आदेश के क्या हैं मायने?

Israel Hamas War: अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने फैसला सुनाया है कि इजरायल का फिलिस्तीनी क्षेत्रों पर दशकों लंबा कब्जा गैरकानूनी है. अदालत ने यह भी कहा कि यह वास्तविक रूप से जमीन हड़पने के समान है.

'इजरायल ने जबरदस्ती किया फिलिस्तीन की जमीन पर कब्जा', ICJ के आदेश के क्या हैं मायने?

Israel Hamas War: अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने फैसला सुनाया है कि इजरायल का फिलिस्तीनी क्षेत्रों पर दशकों लंबा कब्जा गैरकानूनी है. अदालत ने यह भी कहा कि यह वास्तविक रूप से जमीन हड़पने के समान है. अदालत ने इजरायल को जल्द से जल्द फिलिस्तीनी क्षेत्रों से हटने का आदेश दिया है. यह भी कहा है कि फिलिस्तीनियों को 57 साल के कब्जे के दौरान झेले गए नुकसान का हर्जाना दिया जाना चाहिए. इस कब्जे में फिलिस्तीनियों के साथ लगातार भेदभाव किया गया है.

इजरायल पर लगे कई आरोप

यह फैसला इजरायल के इस दावे को भी खारिज करता है कि ICJ के पास इस मामले को सुनने का अधिकार नहीं है. क्योंकि संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों और इजरायल-फिलिस्तीन के बीच द्विपक्षीय समझौतों ने पहले ही इस विवाद को सुलझाने का सही ढांचा तय कर दिया है. सबसे महत्वपूर्ण फैसला ये रहा कि इजरायल लोगों का वेस्ट बैंक और (यरूशलेम) में बसना और उन्हें वहां रहने देना चौथे जेनेवा सम्मेलन के अनुच्छेद 49 के खिलाफ है.

इजरायल को अदालत ने दोषी ठहराया

ICJ ने पाया कि इजरायल की नीतियां और कार्य जमीन हड़पने के बराबर है. जिनमें बस्तियों का विस्तार, दीवार का निर्माण और प्राकृतिक संसाधनों का दोहन शामिल है. ICJ ने कहा है कि 1967 से कब्जे वाले क्षेत्रों पर इजरायल के नियंत्रण को मजबूत किया है, जो कि सही नहीं है. अदालत ने यह भी कहा कि पूर्वी यरूशलम और वेस्ट बैंक में इजरायल द्वारा अपनाई गई नीतियां और कार्य "अंतरराष्ट्रीय संबंधों में बल प्रयोग के निषेध और बल द्वारा जमीन हथियाने के सिद्धांत" के खिलाफ हैं.

ICJ का इजरायल को आदेश

अदालत ने आगे कहा कि इजरायल की नीतियों और कार्यों के प्रभाव और कुछ फिलिस्तीनी क्षेत्रों पर संप्रभुता का प्रयोग, फिलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार का उल्लंघन है. अदालत के इस फैसले से इजरायल पर अपने जारी सैन्य अभियान को खत्म करने का दबाव बढ़ने की संभावना है. ICJ पहले से ही उन आरोपों पर विचार कर रहा है कि इजरायल गाजा में अपने सैन्य अभियान में नरसंहार कर रहा है. अदालत ने पहले ही एक शुरुआती फैसला सुना दिया है, जिसमें इजरायल को किसी भी तरह के नरसंहार को उकसाने और रोकने के लिए कदम उठाने और मानवीय सहायता के लिए प्रावधानों को बढ़ाने का आदेश दिया है.

इजरायल पर नहीं पड़ा फर्क

अदालत ने पहले ही इजरायल को दक्षिणी गाजा में स्थित राफा शहर में अपने सैन्य अभियान को रोकने के लिए कहा था, क्योंकि वहां हजारों फ़िलिस्तीनी शरण लिए हुए थे. लेकिन इजरायल ने अदालत के आदेश की अवहेलना करते हुए वहां अपना अभियान जारी रखा है.

ICJ के फैसले का इजरायल पर क्या होगा असर?

-यह फैसला इजरायल के कब्जे की अंतरराष्ट्रीय आलोचना को मजबूत करता है. इससे इजरायल का कूटनीतिक तौर पर दुनिया से अलग-थलग कर सकता है.

-अदालत द्वारा फिलिस्तीनियों को हुए नुकसान की भरपाई की मांग इजरायल पर वित्तीय बोझ डाल सकती है.

-इजरायल के खिलाफ बहिष्कार (boycott), विनिवेश (divestment) और प्रतिबंध (sanctions) (BDS) के आह्वान में वृद्धि हो सकती है. अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत फिलिस्तीनी अधिकारों की चर्चा को बढ़ावा मिल सकता है.

-ICJ के पास अपने फैसलों को लागू करवाने की कोई शक्ति नहीं है, इसलिए इसका प्रभाव अंतरराष्ट्रीय समुदाय के कार्रवाई करने की इच्छा पर निर्भर करता है. अमेरिकी वीटो के कारण सुरक्षा परिषद की कार्रवाई की संभावना नहीं है.

-यह फैसला दोनों पक्षों पर संघर्ष का समाधान खोजने के लिए दबाव बना सकता है. यह अंतरराष्ट्रीय कानून के आधार पर बातचीत के लिए एक नया ढांचा प्रदान कर सकता है.

-हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ये सिर्फ संभावनाएं हैं. वास्तविक प्रभाव इस बात पर निर्भर करेगा कि इजरायल, फ़िलिस्तीन और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस फैसले का जवाब कैसे देते हैं.

-ICJ का फैसला गाजा में चल रही लड़ाई खत्म करने के लिए दबाव बढ़ा सकता है. फैसले पर अमेरिकी स्थिति इसके अंतरराष्ट्रीय प्रभाव को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण होगी.

TAGS

Trending news