VIDEO: NASA का ओरियन कैप्सुल चंद्रमा से ऐसे पहुंचा धरती तक, यहां जानें सबुकछ
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VIDEO: NASA का ओरियन कैप्सुल चंद्रमा से ऐसे पहुंचा धरती तक, यहां जानें सबुकछ

Moon Mission: ओरियन ने 16 नवंबर को नासा के ‘कैनेडी स्पेस सेंटर’ से चंद्रमा के लिए उड़ान भरी थी और धरती पर लौटने से पहले उसने लगभग एक सप्ताह चंद्रमा की कक्षा में बिताया. 

(साभार @NASA)

NASA Moon Mission: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का ओरियन कैप्सूल (यान) रविवार को मैक्सिको के समीप प्रशांत महासागर में उतर गया और इसी के साथ आर्टेमिस 1 मिशन को पूरा किया. यह यान गुआडालुपे द्वीप के समीप मैक्सिको के बाजा कैलिफोर्निया के पश्चिम में समुद्र में उतरा.

ओरियन ने 16 नवंबर को नासा के ‘कैनेडी स्पेस सेंटर’ से चंद्रमा के लिए उड़ान भरी थी और धरती पर लौटने से पहले उसने लगभग एक सप्ताह चंद्रमा की कक्षा में बिताया. इस बार ओरियन में कोई अंतरिक्ष यात्री नहीं हैं बल्कि 3 मानव पुतले हैं. इन पुतलों में कंपन, झटके, रेडिएशन समेत कई और चीजों के आंकड़े जुटाने के लिए कई तरह के सेंसर लगे हैं.

 

‘नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन’ (नासा) को इसके सफलतापूर्वक उतरने की इसलिए जरूरत थी ताकि वह अपनी ओरियन उड़ान की दिशा में आगे बढ़ सके जो 2024 में होगी. चार अंतरिक्ष यात्री इस उड़ान पर जायेंगे. इससे पहले 50 साल पहले अंतरिक्ष यात्री चंद्रमा पर गये थे. हम आपको बताते हैं यह ओरियान की धरती पर उतरने की पूरी प्रक्रिया के बारे में:

स्पेसक्राफ्ट तीन हिस्सों में बंटा

-ओरियन स्पेसक्राफ्ट धरती पर आते समय 3 हिस्सों गया  ये 3 हिस्से थे लॉन्च एबॉर्ट सिस्टम, क्रू मॉड्यूल और सर्विस मॉड्यूल.

-स्पेसक्राफ्ट के चंद्रमा की ऑर्बिट से अंतरिक्ष में प्रवेश करने पर  सबसे पहले नाक की तरह दिखने वाला लॉन्च एबॉर्ट सिस्टम अलग हुआ. 

-इसके बाद ओरियन धरती के वातावरण के पास पहुंचने पर क्रू मॉड्यूल से सर्विस मॉड्यूल अलग हुआ. सर्विस मॉड्यूल ही स्पेसक्राफ्ट का मेन इंजन है.

स्पीड

-ओरियन क्रू मॉड्यूल धरती के वातावरण की ओर बढ़ा तो उस वक्त उसकी स्पीड 40 हजार किमी/घंटे की थी यानी ध्वनि की रफ्तार से 32 गुना तेज.

-ओरियन मॉड्यूल को किसी इंजन की जरूरत नहीं होती है क्योंकि यह धरती के गुरुत्वाकर्षण की वजह से ही धरती के वातावरण में प्रवेश करता है.

तापतमान

-ओरियन क्रू मॉड्यूल जब धरती के वातावरण में आया तो हवा के घर्षण की वजह से क्रू मॉड्यूल की गति कम हो गई  लेकिन तापमान बढ़कर 2760 डिग्री सेल्सियस हो जाएगा.

-इतने अधिक तापमान में भी क्रू मॉड्यूल में लगी हीट शील्ड या विशेष तरह की कोटिंग ने उसे बचा जलने से बचा लिया.  

-यहां यह बता दें कि सिर्फ 1200 डिग्री सेल्सियस में पिघल जाता है.

धरती के वातावरण में आने पर क्या हुआ

-क्रू मॉड्यूल की स्पीड कम होकर 483 किमी/घंटे हो गई.

-धरती से 8 किलोमीटर की ऊंचाई पर इसमें लगे 3 पैराशूट खुल गए. ऐसा इसलिए हुआ ताकि समंदर में आसानी से लैंडिंग हो सके.

पैराशूट खुलने के बाद क्या हुआ

-क्रू मॉड्यूल की स्पीड और कम हो गई.

-32 किमी/घंटे की स्पीड से क्रू मॉड्यूल मैक्सिको के बाजा कैलिफोर्निया में प्रशांत महासागर में गिर गया.

क्या है आर्टेमिस मिशन

-आर्टेमिस-1 में किसी अंतरिक्ष यात्रा को नहीं भेजा गया है.

-इस टेस्ट फ्लाइट मकसद चांद पर एस्ट्रोनॉट्स के लिए सही हालात सुनिश्चित करना है.

-ओरियन क्रू कैप्सूल चंद्रमा के बेहद करीब पहुंचा लेकिन इसने लैंड नहीं किया.

-अमेरिका आर्टेमिस मिशन के जरिए इंसानों को चांद पर भेजने की तैयारी कर रहा है.

-आर्टेमिस मिशन को तीन भागों में बांटा गया है.

-आर्टेमिस-1 - रॉकेट चंद्रमा के ऑर्बिट तक जाएगा, कुछ छोटे सैटेलाइट्स छोड़ेगा और ऑर्बिट में ही स्थापित हो जाएगा.

-आर्टेमिस-2 - कुछ एस्ट्रोनॉट्स भी जाएंगे,  लेकिन वे चांद पर कदम नहीं रखेंगे.

-आर्टेमिस-3 में जाने वाले एस्ट्रोनॉट्स चांद पर उतरेंगे.

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