Basrah Breeze: सद्दाम हुसैन का तैरता महल, मस्जिद, हैलीपैड, मिसाइलों से था लैस, कभी नहीं हो सका अपनी ‘सोने की नाव’ पर सवार
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Basrah Breeze: सद्दाम हुसैन का तैरता महल, मस्जिद, हैलीपैड, मिसाइलों से था लैस, कभी नहीं हो सका अपनी ‘सोने की नाव’ पर सवार

Saddam Hussein's Superyacht:बसरा ब्रीज (Basrah Breeze) में हर वह सुविधा उपलब्ध है जिसकी सद्दाम को जरुरत पड़ सकती थी. अपना शासन चलाने में व्यस्त होने के बावजूद, हुसैन ने यह सुनिश्चित किया कि 270 फीट के जहाज में कहीं कोई कमी न रह जाए. 

Basrah Breeze:  सद्दाम हुसैन का तैरता महल, मस्जिद, हैलीपैड, मिसाइलों से था लैस, कभी नहीं हो सका अपनी ‘सोने की नाव’ पर सवार

Saddam Hussein: दशकों तक इराक पर राज करने वाले तानाशाह सद्दाम हुसैन का साम्राज्य 2003 में अमेरिकी हमले के साथ समाप्त हो गया. सद्दाम हुसैन की तानाशाही और उसके दौलत के किस्से आज भी इराक में मशहूर हैं. आज हम आपको उसकी आलीशान सोने से जड़े सुपरयॉट के बारे में बताएंगे.

बसरा ब्रीज (Basrah Breeze) में हर वह सुविधा उपलब्ध है जिसकी सद्दाम को जरुरत पड़ सकती थी. इसमें स्विमिंग पूल, एक मस्जिद और एक मिसाइल लांचर जैसे सुविधाएं थीं. इसमें एक प्रेसिडेंशियल सुइट, डाइनिंग रूम और बेडरूम के साथ-साथ 17 छोटे गेस्ट रूम है. इसके साथ ही चालक दल के लिए 18 केबिन और एक क्लिनिक मौजूद हैं.

अपना शासन चलाने में व्यस्त होने के बावजूद, हुसैन ने यह सुनिश्चित किया कि किसी समय यात्रा करने के लिए  270 फीट का जहाज अच्छी तरह से सुसज्जित हो.  सुपरयॉट में एक ऑपरेटिंग थिएटर है, आपात स्थिति में इस पर हेलिकॉप्टर लैंडिंग की सुविधा भी है.  

इराक-ईरान युद्ध के दौरान निर्माण
इस सुपरयॉट का निर्माण इराक-ईरान युद्ध शुरू होने के एक साल बाद 1981 में एक डेनिश शिपयॉर्ड द्वारा किया गया था. यह आलीशान जहाज बनाने में कितना पैसा खर्च हुआ इसका खुलासा तो कभी नहीं हो सका लेकिन माना जाता है कि इसमें करोड़ों डॉलर खर्च हुए.

हालांकि सद्दाम हुसैन ने अपने इस प्यारे जहाज को सजाने पर पानी की तरह पैसा बहाया लेकिन वह कभी इस पर पैर नहीं रख सका. दरअसल इसे ईरान के साथ जारी युद्ध के बीच ईरानी शक्ति का प्रतीक माना गया जिसकी वजह से यह सुपर यॉट टारगेट पर आ गई.  जिसने अनिवार्य रूप से इसे एक लक्ष्य बना दिया.

सद्दाम ने सऊदी अरब भेज दी सुपरयॉट
बसरा ब्रीज़ को हवाई हमलों से बचाने के लिए सद्दाम के उस समय सहयोगी रहे सऊदी अरब के पास भेजा गया. हालांकि 1990 मेंइराक द्वारा कुवैत पर आक्रमण करने के बाद सद्दाम के साथ सऊदी अरब के संबंध बिगड़ गए. इसके बाद र जहाज को जॉर्डन को सौंप दिया.

इसके बाद के आंदोलन बारे में तब तक कुछ स्पष्ट पता नहीं चला जब तक कि इराक ने नीस के फ्रांसीसी रिसॉर्ट में इसे ट्रैक नहीं किया, जहां एक अदालत ने इसे जब्त कर लिया और इसे घर भेज दिया.

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