Russia says Assad left Syria: सीरिया में 24 साल लंबे बशर अल-असद शासन का अंत हो गया है. हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) के कमांडर अबु मोहम्मद अल-जुलानी के नेतृत्व में विद्रोहियों ने रविवार को राजधानी दमिश्क पर भी कब्जा कर लिया है. राष्ट्रपति बशर देश छोड़कर भाग गए हैं. अब सबके जेहन में एक सवाल है कि आखिर जो विद्राहियों ने सीरिया में इतना कोहराम मचाया, उन्होंने आखिर किस आधार पर असद को जिंदा देश से भागने दिया. जानें इनसाइड स्टोरी.
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World News in Hindi: सीरिया में असद के शासन का अंत हो गया. असद ने कभी सोचा नहीं होगा कि एक दिन उन्हें देश से भागना पड सकता है. बशर अल-असद अपने परिवार के साथ रूस की राजधानी मॉस्को पहुंच गए हैं. अब सबसे बड़ा सवाल कि जिस विद्रोही गुट ने असद की सत्ता छीन ली उसने असद को आराम से भागने क्यों दिया. इसका जवाब रूस ने दिया है. जानें असद के भागने के पीछे की इनसाइट स्टोरी.
रूस ने क्या बताई सच्चाई
रूसी विदेश मंत्रालय ने रविवार (8 दिसंबर) को कहा कि सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद ने देश से भागने से पहले एक आदेश दिया था जिसके बाद वह सुरक्षित देश से निकल पाए हैं. तो बिना देर किए आपको बता दें कि असद ने विद्रोहियों की मंशा को समझ लिया था. असद को पता था कि अब हम अधिक समय सत्ता में नहीं रह सकते, इसलिए बिना किसी देरी किए उन्होंने एक आदेश दिया, जिसमें कहा गया था कि हम बिना किसी शर्त के अपनी सत्ता को सौंप रहे हैं. यही वह बात है जिसके बाद असद को देश से भागने दिया गया. विद्राहियों का एक ही मकसद था असद को सत्ता से हटाना.
विद्रोहियों का क्या था मकसद?
तभी तो दमिश्क पर विद्रोहियों ने जैसे ही कब्जा किया उसके एक घंटे बाद ही सरकारी टीवी पर बयान प्रसारित कराया, जिसमें कहा गया कि राष्ट्रपति बशर को सत्ता से उखाड़ फेंका गया है और जेल से कैदियों को रिहा कर दिया गया है. अनस सलखादी नामक विद्रोही कमांडर ने सरकारी टीवी पर अल्पसंख्यकों को भरोसा दिया कि किसी से भेदभाव नहीं किया जाएगा. उसने कहा, सीरिया सभी के लिए है, कोई अपवाद नहीं. हम लोगों के साथ वैसा व्यवहार नहीं करेंगे जैसा असद परिवार ने किया.
रूस की क्या है इस मामले में भूमिका
उधर रूस ने बताया "सीरियाई अरब गणराज्य के क्षेत्र में सशस्त्र संघर्ष में असद और नेताओं के बीच बातचीत के परिणामस्वरूप, असद ने राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने का फैसला किया और सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण के निर्देश देते हुए देश छोड़ दिया. बयान में आगे कहा गया कि मॉस्को सीरिया में हुई घटनाओं से बेहद चिंतित है सीरिया और सभी पक्षों से क्षेत्र में हिंसा से दूर रहने का आग्रह किया है. "हम सभी संबंधित पक्षों से हिंसा के इस्तेमाल से दूर रहने और शासन के सभी मुद्दों को राजनीतिक माध्यमों से हल करने का आग्रह करते हैं.
11 दिन में हाथ से निकली सत्ता
2013 में सख्ती से विद्रोह को दबाने वाले राष्ट्रपति बशर के हाथ से सत्ता इस बार मात्र 11 दिन में ही निकल गई. विद्रोही लड़ाकों ने 27 नवंबर के बाद से हमले तेज कर दिए थे. विद्रोहियों ने पहले हामा फिर अलेप्पो और दमिश्क पर कब्जा कर लिया. इससे सीरिया में 50 साल लंबे असद परिवार के शासन का भी खात्मा हो गया.
रविवार को सीरिया में क्या हुआ
असद कथित तौर पर रविवार तड़के सीरिया से रवाना हुए थे. सीरिया की राजधानी दमिश्क पर विद्रोहियों के कब्जे के साथ ही असद परिवार के 50 वर्ष के शासन का अंत हो गया है. दमिश्क में चौराहों पर जश्न मनाती हुई भीड़ इकट्ठा हुई और सीरियाई क्रांतिकारी ध्वज लहराया जिससे ‘अरब स्प्रिंग’ विद्रोह के शुरुआती दिनों की याद ताजा हो गई. असद और अन्य शीर्ष अधिकारियों की कोई खबर न होने के बाद अनेक लोगों ने राष्ट्रपति भवन और असद परिवार के आवास में तोड़फोड़ की. असद के करीबी सहयोगी रहे रूस ने कहा कि असद ने विद्रोही समूहों के साथ बातचीत के बाद देश छोड़ दिया और उन्होंने शांतिपूर्वक सत्ता हस्तांतरण के निर्देश दिए थे. वर्षों पहले अलकायदा से नाता तोड़ने वाला अबू मोहम्मद अल-गोलानी सबसे बड़े विद्रोही गुट का नेता है और वह अब देश के भविष्य की दिशा तय करेगा.