Wagner Rebellion: 24 जून को दक्षिणी रूसी शहर रोस्तोव छोड़ने के बाद से प्रिगोझिन को सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया है. 24 जून को वैगनर ग्रुप ने मॉस्को के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह की घोषणा की थी. हालांकि यह बगावत 24 घंटे भी न चल सकी.
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Wagner Group: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूसी प्राइवेट आर्मी वैगनर ग्रुप के चीफ येवगेनी प्रिग्रोझिन को जहर दिए जाने की आशंकाओं के बीच चुटकी लेते हुए कहा कि अगर वह उसकी जगह होते तो खाना खाते समय सावधानी बरतते. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि प्रिगोझिन कहां है इसे लेकर अमेरिका अनिश्चित है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक व्हाइट हाउस प्रतिलेख के अनुसार बाइडेन ने कहा, 'अगर मैं उनकी जगह होता, तो मैं सावधान रहता कि मैंने क्या खाया. मैं अपने मेनू पर नज़र रखता...' उन्होंने कहा, 'लेकिन सब मजाक एक तरफ...मुझे नहीं लगता कि हममें से कोई भी निश्चित रूप से जानता है कि रूस में प्रिगोझिन का भविष्य क्या है.' बता दें 24 जून को दक्षिणी रूसी शहर रोस्तोव छोड़ने के बाद से प्रिगोझिन को सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया है.
विद्रोह के बाद प्रिगोझिन से मिले पुतिन
गौरतबल है कि सी राष्ट्रपति कार्यालय ‘क्रेमलिन’ के प्रवक्ता ने हाल ही में यह जानकारी दी है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने‘वैगनर’ के विद्रोह के कुछ दिनों बाद उसके प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन से मुलाकात की थी. क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने सोमवार (10 जुलाई) को कहा कि तीन घंटे की बैठक 29 जून को हुई और इसमें प्रिगोझिन के सैन्य समूह के कमांडर भी शामिल थे.
पेस्कोव ने कहा कि 29 जून की बैठक के दौरान, पुतिन ने यूक्रेन में युद्ध के मैदान में वैगनर के कार्यों और '24 जून की घटनाओं' को लेकर 'आकलन' पेश करने को कहा. उन्होंने कहा, राष्ट्रपति ने ‘कमांडरों के स्पष्टीकरण भी सुने और उन्हें रोजगार और युद्ध में आगे उपयोग के विकल्प की पेशकश की.’
पेस्कोव ने कहा, ‘जो कुछ हुआ, उसे लेकर कमांडरों ने खुद अपना पक्ष रखा. उन्होंने रेखांकित किया कि वे राज्य के प्रमुख और कमांडर-इन-चीफ के कट्टर समर्थक और सैनिक हैं, और यह भी कहा कि वे अपनी मातृभूमि के लिए लड़ने के लिए तैयार हैं.‘
यूक्रेन में रूस की तरफ से लड़ चुके हैं वैगनर सैनिक
बता दें वैगनर के भाड़े के सैनिकों ने यूक्रेन में रूसी सैनिकों के साथ लड़ाई लड़ी है लेकिन प्रिगोझिन का रूस के शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ लंबे समय से संघर्ष चल रहा है, जिसकी परिणति 24 जून को सशस्त्र विद्रोह में हुई. हालांकि प्रीगोझिन द्वारा ऐलान किए जाने के बाद यह बगावत 24 घंटे से भी कम समय तक ही चल पाई और एक समझौते के तहत प्रिगोझिन और उनके कुछ सेनानियों को बेलारूस जाने की अनुमति देने की बात सामने आई.