China US Latest Updates: चीन और अमेरिका के बीच तनातनी लगातार बढ़ती जा रही है. चीन ने अमेरिका की 5 कंपनियों पर बैन लगाने की घोषणा की है. हालांकि इसका ज्यादा असर न होने की बात कही जा रही है.
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Why China imposed ban on US companies: ताइवान के मुद्दे पर चीन और पश्चिमी देशों के बीच शह-मात का खेल लगातार जारी है. अमेरिका ने ताइवान की प्रतिरक्षा को मजबूत करने के लिए उसे हथियार बेचने की घोषणा की थी. साथ ही उसके कई नागरिकों के अमेरिका में घुसने पर बैन लगाया था. अब इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिका की 5 रक्षा उपकरण बनाने वाली कंपनियों पर बैन लगाने की घोषणा की है. चीनी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इन प्रतिबंधों के तहत चीन में इन अमेरिकी कंपनियों की संपत्ति कुर्क हो जाएगी और चीनी संगठनों व लोगों के उनके साथ कारोबार करने पर मनाही होगी.
चीन ने पहले ही दिया था संकेत
चीन के विदेश मंत्रालय ने यह नहीं बताया कि किस हथियार सौदे या अमेरिका के किन प्रतिबंधों पर चीन यह प्रतिक्रिया दे रहा है लेकिन प्रवक्ता वांग वेनबिन ने तीन सप्ताह पहले आगाह किया था कि दिसंबर में ताइवान को 30 करोड़ डॉलर के सैन्य पैकेज की अमेरिकी सरकार की स्वीकृति के बाद चीन जवाबी कदम उठाएगा.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका के कदमों ने चीन की संप्रभुत्ता और सुरक्षा हितों को नुकसान पहुंचाया है, ताइवान जलडमरूमध्य में शांति एवं स्थिरता को कमजोर किया है और चीनी कंपनियों तथा नागरिकों के अधिकारों व हितों का उल्लंघन किया है. मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘चीन की सरकार राष्ट्रीय संप्रभुत्ता और क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा और चीनी कंपनियों तथा नागरिकों के कानूनी अधिकारों और हितों की रक्षा के हमारे संकल्प पर अडिग है.’
केवल सांकेतिक हैं बैन, नहीं होगा असर
चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि जिन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं, उनमें बीएई सिस्टम्स लैंड एंड आर्मामेंट, एलियंट टेकसिस्टम्स ऑपरेशन, एयरोविरोनमेंट वियासैट एंड डेटा लिंक सॉल्यूशंस शामिल हैं. फिलहाल यह क्लियर नहीं है कि प्रतिबंधों का इन कंपनियों पर क्या असर होगा. माना जा रहा है ये प्रतिबंध केवल सांकेतिक ही हैं क्योंकि अमेरिकी रक्षा ठेकेदार आमतौर पर चीन को सामान नहीं बेचते हैं.
ताइवान में चुनाव से एक हफ्ते पहले घोषणा
यह घोषणा ताइवान में राष्ट्रपति चुनाव से महज एक सप्ताह से भी कम समय पहले की गयी है. चीन स्व:शासित ताइवान को अलग देश नहीं मानता और वह उसे अपना ही हिस्सा बताता है. वह उसे चीन में मिल जाने या फिर हमले का सामना करने की बार-बार धमकी देता रहता है. वहीं जापान का कहना है कि अगर ताइवान पर हमला हुआ तो चीन का अगला निशाना वही होगा, इसलिए अपना अस्तित्व बचाने के लिए ताइवान की रक्षा के लिए उतरेगा.
(एजेंसी भाषा)