Ravi River: 45 साल का इंतजार खत्‍म, भारत ने पाकिस्‍तान की तरफ जाने वाली 'धारा' का मोड़ा मुंह
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Ravi River: 45 साल का इंतजार खत्‍म, भारत ने पाकिस्‍तान की तरफ जाने वाली 'धारा' का मोड़ा मुंह

Shahpur Kandi Barrage: पंजाब के पठानकोट जिले में स्थित शाहपुर कंडी बैराज का काम जम्मू-कश्मीर और पंजाब के बीच घरेलू विवाद के कारण रुका हुआ था.

Ravi River: 45 साल का इंतजार खत्‍म, भारत ने पाकिस्‍तान की तरफ जाने वाली 'धारा' का मोड़ा मुंह

Indus Water Treaty: भारत ने रावी नदी पर बांध बनाकर पाकिस्तान में पानी का प्रवाह रोक दिया है. कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया है. इस बांध का काम कई बाधाओं के बाद करीब 45 वर्षों में पूरा हुआ है.

पंजाब के पठानकोट जिले में स्थित शाहपुर कंडी बैराज का काम जम्मू-कश्मीर और पंजाब के बीच घरेलू विवाद के कारण रुका हुआ था. इस वजह से वर्षों तक भारत के पानी का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान जाता रहा.

विश्व बैंक की देखरेख में 1960 में हुई सिंधु जल संधि के तहत रावी, सतलुज और ब्यास के पानी पर भारत का पूरा अधिकार है, जबकि सिंधु, झेलम और चिनाब के पानी पर पाकिस्तान का अधिकार है.

1979 में बैराज के लिए समझौता हुआ
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 1979 में, पंजाब और जम्मू-कश्मीर सरकारों ने पाकिस्तान को पानी रोकने के लिए रंजीत सागर बांध और डाउनस्ट्रीम शाहपुर कंडी बैराज बनाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए. समझौते पर जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री शेख मोहम्मद अब्दुल्ला और उनके पंजाब समकक्ष प्रकाश सिंह बादल ने हस्ताक्षर किए थे.

1982 में, पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने इस परियोजना की नींव रखी, जिसके 1998 तक पूरा होने की उम्मीद थी.रणजीत सागर बांध का निर्माण 2001 में पूरा हो गया लेकिन शाहपुर कंडी बैराज नहीं बन सका और रावी नदी का पानी पाकिस्तान में बहता रहा.

2008 में शाहपुर कंडी परियोजना को राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया गया था लेकिन निर्माण कार्य 2013 में शुरू हुआ.

विडंबना यह है कि 2014 में पंजाब और जम्मू-कश्मीर के बीच विवादों के कारण परियोजना फिर से रुक गई थी. आखिरकार 2018 में केंद्र ने मध्यस्थता की और दोनों राज्यों के बीच समझौता कराया. इसके बाद काम फिर से शुरू हुआ जो अब खत्म हो गया है.

बैराज के बन जाने से क्या होगा? 
इस बैराज के बन जाने से जो पानी पाकिस्तान जा रहा था, उसका उपयोग अब जम्मू-कश्मीर के दो प्रमुख जिलों - कठुआ और सांबा को सिंचित करने के लिए किया जाएगा. 1150 क्यूसेक पानी से अब केंद्र शासित प्रदेश की 32,000 हेक्टेयर भूमि की सिंचाई होगी. बांध से पैदा होने वाली पनबिजली का 20 फीसदी हिस्सा जम्मू-कश्मीर को भी मिल सकेगा.

55.5 मीटर ऊंचा शाहपुरकंडी बांध एक बहुउद्देश्यीय नदी घाटी परियोजना का हिस्सा है जिसमें 206 मेगावाट की कुल स्थापित क्षमता वाली दो जल विद्युत परियोजनाएं शामिल हैं. यह रंजीत सागर बांध परियोजना से 11 किमी नीचे रावी नदी पर बनाया गया है.

बांध के पानी से जम्मू-कश्मीर के अलावा पंजाब और राजस्थान को भी मदद मिलेगी.

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