‘हर 6 घंटे में एक को फांसी’, इस मुल्क को लेकर मानवाधिकार समूह का चौंकाने वाला दावा
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‘हर 6 घंटे में एक को फांसी’, इस मुल्क को लेकर मानवाधिकार समूह का चौंकाने वाला दावा

Death Penalty In Iran: IHR के प्रमुख ने कहा, ‘फांसी का उद्देश्य सामाजिक भय पैदा करना है, न कि अपराध से लड़ना.‘ उन्होंने कहा, 'पिछले दस दिनों में हर छह घंटे में एक व्यक्ति को मार डाला गया है जबकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय चुप है.’

प्रतीकात्मक फोटो

Iran News: ईरान को एक लेकर एक मानवाधिकार समूह ने चौंका देने वाला दावा किया है. मीडिया की खबरों के मुताबिक ईरान ह्यूमन राइट्स (आईएचआर) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान में पिछले दस दिनों में हर छह घंटे में एक व्यक्ति को फांसी दी जा रही है.

2018 में एक सैन्य परेड में कथित तौर पर लोगों की हत्या करने के लिए ईरान द्वारा स्वीडिश-ईरानी व्यक्ति हबीब फ़राजुल्लाह चाब को फांसी दिए जाने के दो दिन बाद नई रिपोर्ट आई है.

10 दिन में 42 लोगों फांसी
मीडिया की खबरों के मुताबिक पिछले 10 दिनों में, 42 से अधिक लोगों को, जिनमें से आधे अल्पसंख्यक बलूच समुदाय के थे, ईरानी अधिकारियों द्वारा फांसी पर लटका दिया गया है.

2023 में अब 194 से अधिक लोगों को फांसी
ईरान ह्यूमन राइट्स के अनुसार, ईरान ने 2023 में अब तक 194 से अधिक लोगों को फांसी दी जा चुकी है. इनमें से केवल दो मृत्युदंडों की औपचारिक रूप से अधिकारियों द्वारा घोषणा की गई थी. रिपोर्ट से पता चलता है कि अधिकांश फांसी नशीली दवाओं के अपराधों के आरोपी लोगों को दी गई थी.

अंतरराष्ट्रीय समुदाय चुप है
IHR के प्रमुख महमूद अमीरी-मोगद्दम ने कहा, ‘फांसी का उद्देश्य सामाजिक भय पैदा करना है, न कि अपराध से लड़ना.‘ उन्होंने कहा, ‘इस्लामिक रिपब्लिक ने पिछले दस दिनों में हर छह घंटे में एक व्यक्ति को मार डाला है जबकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय चुप है.’

फ़्रांस के टुगेदर अगेंस्ट द डेथ पेनल्टी (ECPM) के सहयोग से IHR की एक अन्य रिपोर्ट से पता चला है कि 2022 में ईरान में फांसी की सजा में 75 प्रतिशत की वृद्धि हुई, कम से कम 582 लोगों को समाज में ‘डर फैलाने’ के लिए फांसी दी.

आधिकारिक रिपोर्टों से पता चलता है कि इनमें से केवल 71 को पिछले साल आधिकारिक रूप से रिकॉर्ड किया गया था. बाकी ‘अघोषित’ और ‘गुप्त रूप से’ किए गए थे और परिवार के सदस्यों और चश्मदीदों द्वारा रिपोर्ट किए गए थे.

महमूद ने कहा, ‘प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मौत की सजा पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं ने इस्लामिक गणराज्य के लिए उनके निष्पादन को आगे बढ़ाना मुश्किल बना दिया है.‘

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