Canada: खालिस्तानी आतंकवादियों के रहनुमा बने कनाडाई PM का भारत विरोधी चेहरा सामने आ चुका है. यह पहला मौका नहीं है, जब उन्होंने खालिस्तानियों का सपोर्ट किया हो. इससे पहले भारत विरोधी रेफरेंडम और भारतीय नायकों के अपमान को वो अभिव्यक्ति की आजादी बता चुके हैं. जस्टिन ट्रू़डो वही गलती दोहराते दिख रहे हैं, जो कभी उनके पिता से हुई थी.
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India Canada row Canada India tension: खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर के कत्ल के बाद कनाडाई पीएम जस्टिन ट्रूडो की टिप्पणी से भारत-कनाडा के बीच तनाव चरम पर है. जस्टिन ट्रूडो ने जो आरोप लगाया है कि आतंकवादी निज्जर के मर्डर में भारत का हाथ है, उसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया है. हालांकि, यह कोई पहला मौका नहीं है, जब किसी खालिस्तानी आतंकवादी को लेकर भारत और कनाडा आमने-सामने हैं. दरअसल करीब 40 साल पहले जस्टिन ट्रूडो के पिता सीनियर ट्रूडो ने भी अपने कार्यकाल के दौरान भारत की मांग न मानकर बहुत बड़ी गलती की थी. जिसकी कनाडा को ऐसी कीमत चुकानी पड़ी थी, उसके बारे में सुनकर आज भी कनाडा के लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं.
'खालिस्तानियों ने दिए कनाडा को जो जख्म वो अभी तक हरे हैं'
दरअसल खालिस्तानियों ने कई दशक पहले भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के शासन काल के दौरान भारत की संप्रभुता पर हमला करने के नाम पर जो कायराना करतूत की थी, उसकी कीमत कनाडा के सैकड़ों लोगों को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी थी. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने जिस तरह से खालिस्तानी आतंकवादियों का समर्थन और उनका बचाव करते हुए आतंकी हरदीप हज्जर की हत्या में भारत का हाथ होने का आरोप लगाया है. उससे उन्होंने एक बार फिर अपने पिता और तत्कालीन प्रधानमंत्री पियरे ट्रूडो की याद दिला दी है. पियरे ट्रूडो 1968 से 1979 और 1980 से 1984 तक दो बार कनाडा के प्रधानमंत्री थे.
ट्रूडो के पिता ने ठुकरा दी इंदिरा गांधी की गुजारिश
जैसे भारत आज खालिस्तानी आतंकवादी पन्नू और उसके गुर्गों को भारत को सौंपने की मांग कर रहा है, ठीक वैसी ही मांग भारत ने 1982 में कनाडा से की थी. अपनी मांग में भारत ने तब खालिस्तानी आतंकवादी तलविंदर परमार के प्रत्यर्पण की गुजारिश की थी. लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री पियरे ट्रूडो (वर्तमान पीएम जस्टिन ट्रूडो के पिता) ने बहाना बनाते हुए तलविंदर का प्रत्यर्पण करने से इनकार कर दिया था. जबकि तलविंदर सिंह परमार भारत में एक वांटेड आतंकवादी था. उस दौर में कनाडा की पियरे ट्रूडो सरकार ने तलविंदर परमार को प्रत्यर्पित करने के भारतीय अनुरोध को इस आधार पर अस्वीकार कर दिया था कि राष्ट्रमंडल देशों के बीच प्रत्यर्पण प्रोटोकॉल लागू नहीं होंगे.
'40 साल में कनाडा में खूब फले फूले खालिस्तानी'
कनाडा के वरिष्ठ पत्रकार और खालिस्तानी आंदोलन पर लंबे समय तक रिपोर्टिंग करने वाले टेरी माइलवस्की के मुताबिक बीते 40 सालों में कनाडा में जिस तरह खालिस्तानी फले-फूले हैं. ये बात भी 100% सच है कि कनाडा ने खालिस्तान को खुलेआम कानूनी और राजनीतिक रूप से ऐसा अनुकूल माहौल प्रदान किया है कि खालिस्तानी आज वहां बड़ा वोट बैंक और पावरफुल लॉबी बन गए हैं. यही वजह है कि कई दशकों से खालिस्तानियों को लेकर कनाडा का नर्म रुख हमेशा से भारतीय नेताओं के निशाने पर रहा है. आपको बताते चलें कि 1982 में भारत की तत्कालीन भारतीय PM इंदिरा गांधी ने भी कनाडा की सरकार से इसकी शिकायत की थी.
1985 का वो भयावह हादसा
माइलवस्की ने अपनी एक किताब में लिखा, 'इंदिरा गांधी के राज में भारत के प्रत्यर्पण अनुरोध को ठुकराने के बाद कनाडा को बहुत बड़ा नुकसान हुआ. क्योंकि कनाडा ने जिस आतंकी तलविंदर सिंह का प्रत्यर्पण करने से इनकार किया था. उसने 1985 में एयर इंडिया के कनिष्क विमान को टाइम बम से उड़ा दिया था.
उस हमले में विमान में सवार सभी 329 लोगों की मौत हो गई थी. हादसे में मरने वालों में सबसे ज्यादा 268 कनाडाई नागरिक थे. आज भी कनाडा जिस तरह से भारत विरोधी आतंकवादियों और आस्तीन के सांपों को पाल रहा रहा है वो भविष्य में उसे एकबार फिर बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं.