लाल सागर में आतंक, गाजा में पर्दे के पीछे 'खेल'; मिडिल ईस्‍ट में 'दादागिरी' की ईरान चुका रहा कीमत?
Advertisement
trendingNow12042877

लाल सागर में आतंक, गाजा में पर्दे के पीछे 'खेल'; मिडिल ईस्‍ट में 'दादागिरी' की ईरान चुका रहा कीमत?

Iran Role In Middle East Crisis: ईरान दुनिया के कई मुस्लिम देशों में आतंकी संगठनों को सपोर्ट करता है. इजरायल के खिलाफ वह हमास के साथ है. लेबनान में हिजबुल्लाह और यमन के हुती विद्रोहियों को भी वह मदद पहुंचाता है. हाल में उसके यहां हमले हुए तो कई सवाल उठने लगे हैं. 

लाल सागर में आतंक, गाजा में पर्दे के पीछे 'खेल'; मिडिल ईस्‍ट में 'दादागिरी' की ईरान चुका रहा कीमत?

Iran Blast News: गाजा में इजरायल के जवाबी हमले शुरू होने के बाद से मिडिल ईस्ट में तनाव लगातार बढ़ रहा है. इजरायल, फिलिस्तीन के अलावा लेबनान, यमन, सीरिया, ईरान भी इसकी जद में आते दिख रहे हैं. जी हां, ये कुछ ऐसे देश हैं जो अप्रत्यक्ष रूप से ही सही इजरायली ऐक्शन के खिलाफ हैं. यहां के उग्रवादी संगठनों की बौखलाहट के बाद हमले शुरू हुए हैं और अब समुद्री क्षेत्र में भी जोखिम बढ़ गया है. यहूदी देश के साथ अमेरिका खड़ा है. खास बात यह है कि इजरायल के दुश्मन आतंकी संगठनों को मदद शिया बहुल देश ईरान से ही मिल रही है. वह क्षेत्र में खुद को लीडर के तौर पर देखता है लेकिन हाल में हुए दो बड़े धमाकों में बड़ी संख्या में लोगों की मौत के बाद यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या ईरान ने खुद मुसीबत मोल ली है? क्या उसे अपने 'करनी' की कीमत चुकानी पड़ रही है? पूरा सीन समझने की कोशिश करते हैं. 

लाल सागर में खतरा

समुद्री संघर्ष बढ़ा तो भारत समेत दुनिया के कई देशों के हित प्रभावित हो सकते हैं. जी हां, अफ्रीका को अरब प्रायद्वीप से अलग करने वाले लाल सागर में ही पिछले दिनों मालवाहक जहाजों को हूती विद्रोहियों ने निशाना बनाया था. यह समुद्र के रास्ते होने वाले कारोबार के लिहाज से एक महत्वपूर्ण रूट है. 30 फीसदी से ज्यादा कंटेनर इधर से गुजरते हैं. यमन के हूती विद्रोहियों ने माहौल बिगाड़ने की कोशिश की तो अमेरिकी नौसेना ने जवाबी हमले किए. ईरान समर्थित हूतियों का कहना है कि वे इजरायल से जुड़े या इजरायली बंदरगाहों की ओर जाने वाले जहाजों को निशाना बनाएंगे. 

ईरान में इजरायल के खिलाफ गुस्सा

उधर, हाल में ईरान में हुए दो बम धमाकों ने सनसनी मचा दी. इसमें 95 लोगों की मौत हो गई. यह हमला 2020 में अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे गए जनरल कासिम सुलेमानी की बरसी पर हो रहे कार्यक्रम में हुआ. इसे ईरान में 1979 में इस्लामी क्रांति के बाद सबसे घातक हमला माना जा रहा है. राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने चेतावनी दी है कि यहूदी सरकार (इजरायल) को इसकी बड़ी कीमत चुकानी होगी. ईरान की कुद्स फोर्स के चीफ ने इजरायल और अमेरिका पर गुस्सा जाहिर किया है. वैसे, पहले इस तरह के हमलों के लिए सुन्नी कट्टरपंथी इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया गया था. ईरान अपने देश में व्यक्ति विशेष या जगहों पर हमले के लिए इजरायल पर आरोप लगाता रहा है लेकिन उसके दावे पर इजरायल ने न कभी पुष्टि की और न इनकार किया. रूस, तुर्की समेत कई देशों ने इस हमले की निंदा की है. 

हमले के बाद इजरायल और अमेरिका के खिलाफ देश में नारे लगे. ईरानी राष्ट्रपति ने कहा कि इन दिनों सुलेमानी की कब्र पर काफी भीड़ हो रही थी लेकिन ऐसे हमलों से डराया नहीं जा सकता. याद रखना, इसके जवाब में बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी. उन्होंने कहा, 'मैं यहूदी सरकार को चेतावनी देता हूं कि इस अपराध और दूसरे क्राइम के लिए आपको पछतावा होगा.' सुलेमानी को ईरान में शहीद का दर्जा दिया जाता है. धमाका उनकी कब्रगाह के पास हुआ, उस समय वहां बड़ी संख्या में लोग जमा थे. 

सुलेमानी ईरान की सैन्य गतिविधियों के रणनीतिकार थे. उन्हें एक राष्ट्रीय नायक के रूप में सम्मान दिया जाता है. सुलेमानी ने 2011 में अरब क्रांति के बाद बशर अल-असद के खिलाफ प्रदर्शनों और गृह युद्ध में भी सीरियाई राष्ट्रपति की मदद की थी. सुलेमानी की अपने देश में लोकप्रियता तब बढ़ी जब अमेरिका ने आरोप लगाया कि उन्होंने आतंकियों को अमेरिकी सैनिकों की हत्या करने में मदद की.

ईरान का दुश्मन कौन?

ईरान के कई दुश्मन हैं जो इस हमले के पीछे हो सकते हैं. इसमें देश से बाहर एक्टिव समूह, आतंकी संगठन और स्टेट ऐक्टर्स शामिल हैं. जहां तक इजरायल की बात है, उसने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर कई हमले किए हैं, लेकिन वो बमबारी नहीं बल्कि टारगेट किलिंग थीं. अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि यह मानने की कोई वजह नहीं है कि ईरान में हुए हमले में इजरायल शामिल था. जिस इलाके करमान में इस बार हमला हुआ वह क्षेत्र अब तक शांत था.

लेबनान और सीरिया में ऐक्शन

ईरान खुद दशकों से फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास ही नहीं, लेबनान के शिया मिलिशिया हिजबुल्लाह और यमन के हूती विद्रोहियों को हथियार देता रहा है. जैसे ही 7 अक्टूबर के रक्तपात के बाद इजरायल ने हमास के खिलाफ गाजा में हमले शुरू किए, दोनों हिजबुल्ला और हूती ने इजरायल को नुकसान पहुंचाने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी. वे कह रहे हैं कि यह फिलिस्तीन के सपोर्ट में है. 

दो दिन पहले बेरुत में हमास के डेप्युटी चीफ को मार गिराया गया. संभावना जताई जा रही है कि इसके पीछे इजरायल हो सकता है. गौर करने वाली बात है कि काफी आबादी वाली लेबनान की राजधानी में हुए इस अटैक में बहुत कम लोगों की जान गई. साफ है कि यह टारगेट हमला था. पिछले हफ्ते ही सीरिया में एक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कमांडर को संदिग्ध इजरायली अटैक में ढेर कर दिया गया. ताजा घटनाक्रम से ऐसा नहीं लगता कि मिडिल ईस्ट का संकट जल्दी सुलझने वाला है. 

Trending news